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नई दिल्ली19 मिनट पहले
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बिलकिस बानो ने 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने बिलकिस बानो गैंगरेप केस में मंगलवार 8 अगस्त को लगातार दूसरे दिन सुनवाई की। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्जवल भुईयां की बेंच ने बिलकिस के वकील की दलीलें सुनने के बाद कहा कि वह लोकस स्टैंडी के तहत 9 अगस्त को जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।
याचिकाएं बिलकिस गैंगरेप केस और 2002 के गुजरात दंगों के दौरान उसके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या से जुड़ी हैं। ये याचिकाएं CPI (M) नेता सुभाषिनी अली, फ्रीलांस जर्नलिस्ट रेवती लाल और लखनऊ यूनिवर्सिटी की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने दायर की हैं।
आरोपी के वकील ने जनहित याचिका पर सुनवाई का विरोध किया
दोषियों में से एक का पक्ष रखने आए सीनियर एडवोकेट सिद्धार्थ लूथरा ने बेंच को बताया कि एक बार जब पीड़ित व्यक्ति (बिलकिस बानो) कोर्ट में याचिकाकर्ता के तौर पर मौजूद है, तो इस तरह के मामलों में दूसरों के पास अदालत में मुकदमा लाने का अधिकार नहीं हो सकता है।
इस पर बेंच ने कहा- हमने आरोपी और पीड़ित दोनों पक्षों के वकीलों की दलीलें सुनी हैं। लेकिन, इस केस में बाकी याचिकाएं जनहित से जुड़ी हैं। इन याचिकाओं को लेकर एक प्राइमरी ऑब्जेक्शन उठाया गया है। इन पर सुनवाई के लिए, मामले को 9 अगस्त को दोपहर 3 बजे लिस्ट किया जाए।
सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह ने कहा कि वह मामले के फैक्ट्स पर अदालत में बहस नहीं करेंगी, लेकिन कानून के प्रस्ताव पर बहस जरूर करेंगी।
बिलकिस के दोषी मुस्लिमों के खून के प्यासे थे
बिलकिस की तरफ से पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने 7 अगस्त को सुनवाई के दौरान कहा था कि इस केस के दोषी मुसलमान के खून के प्यासे थे। वो बस उसे मारना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कई दिनों तक उसके परिवार का पीछा भी किया था।
उन्होंने कोर्ट में कहा कि सभी दोषी उसके घर के आस-पास ही रहते थे। वो उन्हें जानती थी। घटना के दौरान वो उनसे कहती रही की वो उनकी बहन जैसी है। लेकिन उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी। वो कह रहे थे कि ये मुस्लिम है, मार डालो। पढ़ें पूरी खबर…
लगातार गुजरात सरकार को लग रही फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने 18 अप्रैल को 11 दोषियों को दी गई छूट पर गुजरात सरकार से सवाल किया था और कहा था कि नरमी दिखाने से पहले अपराध की गंभीरता पर विचार किया जाना चाहिए था। बेंच ने इस बात पर भी हैरानी जताई थी कि सभी आरोपी 15 अगस्त 2022 को रिहा होकर चले गए थे, क्या इसमें दिमाग का कोई इस्तेमाल किया गया था?
अदालत ने दोषियों की समय से पहले रिहाई का कारण पूछते हुए जेल में बंद रहने के दौरान उन्हें बार-बार दी जाने वाली पैरोल पर भी सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था- ”यह (छूट) एक तरह की कृपा है, जो अपराध के अनुपात में होनी चाहिए थी।”
बिलकिस बानो के साथ यह हादसा जब हुआ तब वे 21 साल की और पांच महीने की गर्भवती थीं। 2002 में गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के सांप्रदायिक दंगों के डर से भागते समय उनके साथ गैंगरेप किया गया था।दंगों में मारे गए परिवार के सात सदस्यों में से उनकी तीन साल की बेटी भी एक थी।