बिलकिस के दोषी मुस्लिमों के खून के प्यासे थे: सुप्रीम कोर्ट में पीड़िता के वकील ने कहा- वे बस उसे मारना चाहते थे; 8 अगस्त को फिर सुनवाई

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नई दिल्ली7 मिनट पहले

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बिलकिस के वकील ने कहा- सभी दोषी उसके घर के आस-पास ही रहते थे। वो उन्हें जानती थी। घटना के दौरान वो उनसे कहती रही की वो उनकी बहन जैसी है। लेकिन उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी। - Dainik Bhaskar

बिलकिस के वकील ने कहा- सभी दोषी उसके घर के आस-पास ही रहते थे। वो उन्हें जानती थी। घटना के दौरान वो उनसे कहती रही की वो उनकी बहन जैसी है। लेकिन उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी।

बिलकिस बानो गैंगरेप केस में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई हुई। बिलकिस की तरफ से पेश एडवोकेट शोभा गुप्ता ने जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच को बताया कि इस केस के दोषी मुस्लिमों के खून के प्यासे थे। वो बस उसे मारना चाहते थे।

उन्होंने बताया कि सभी दोषी उसके घर के आस-पास ही रहते थे। वो उन्हें जानती थी। घटना के दौरान वो उनसे कहती रही की वो उनकी बहन जैसी है। लेकिन उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी। वो कह रहे थे कि ये मुस्लिम है, मार डालो।

इससे पहले, 17 जुलाई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम अंतिम सुनवाई के लिए 7 अगस्त की तारीख तय कर रहे हैं। तब तक सभी पक्ष अपने जवाब, लिखित दलीलें कोर्ट में सबमिट करें। सभी पक्ष ऐसा करने के लिए स्वतंत्र हैं।

दोषियों को नोटिस नहीं मिला तो अखबार में छपवा दीजिए
इससे पहले, 9 मई को मामले में सुनवाई हुई थी। तब एक आरोपी कोर्ट में पेश नहीं हुआ था, उसने दावा किया था कि उसे मामले का नोटिस नहीं मिला।

इस पर कोर्ट ने आरोपियों के वकील को फटकार लगाते हुए कहा था- आप नहीं चाहते कि बेंच इस मामले की सुनवाई करे। अगर नोटिस नहीं मिला तो अखबार में छपवा दीजिए, लेकिन कोर्ट इस वजह से बार-बार सुनवाई टाल नहीं सकती।

मामले में कोर्ट 11 दोषियों को रिहा करने पर गुजरात सरकार के साथ केंद्र को नोटिस देकर कारण पूछा था।

सरकार का आरोप- बिलकिस ने कोर्ट में झूठ बोला
केंद्र और गुजरात सरकार की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने बिलकिस की याचिका को फर्जी बताया था। उन्होंने कहा कि बिलकिस ने अपने हलफनामे में झूठ बोला है।

11 दोषियों में से कुछ को बिलकिस की ओर से नोटिस नहीं दिया गया। इसके बाद भी बिलकिस ने कोर्ट में दाखिल हलफनामे में बताया कि सभी दोषियों को नोटिस दे दिया गया है। बिलकिस बानो के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जवाब में शोभा गुप्ता ने कहा था- ‘मैंने सभी दोषियों को मेल पर नोटिस भेज दिया था।’

पति याकूब रसूल के साथ बिलकिस बानो।

पति याकूब रसूल के साथ बिलकिस बानो।

15 अगस्त को रिहा हुए थे दोषी
2002 में हुए गोधरा कांड के दौरान बिलकिस बानो से रेप किया गया था और उनके परिवार के लोगों की हत्या कर दी गई थी। इस मामले में 11 लोगों को दोषी ठहराया गया था। पिछले साल 15 अगस्त को गुजरात सरकार ने सभी दोषियों को जेल से रिहा कर दिया।

इसके बाद बिलकिस बानो ने 30 नवंबर 2022 को इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की थी। इसके अलावा सामाजिक कार्यकर्ता सुभाषिनी अली और TMC सांसद महुआ मोइत्रा ने मामले के 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के आदेश को रद्द करने की मांग की थी।

बिलकिस ने दाखिल की थीं दो याचिकाएं
बिलकिस बानो ने 30 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की थी।

वहीं, दूसरी याचिका में कोर्ट के मई में दिए आदेश पर फिर से विचार करने की मांग की थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। इस पर बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है?

गोधरा कांड के बाद भड़के दंगों में बिलकिस का गैंगरेप हुआ
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।

दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस दौरान हमलावरों ने बिलकिस के परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी। वहीं, 6 लोग लापता हो गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने दी थी सजा
हादसे के समय बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे गर्भवती थीं। दंगों में उनके परिवार के 6 सदस्य जान बचाकर भागने में कामयाब रहे। गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सब जेल में भेज दिया गया था।

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बिलकिस बानो के आरोपियों को समय से पहले रिहाई देने के मामले में गुजरात सरकार 18 अप्रैल को भी दस्तावेज पेश नहीं कर पाई थी। इस पर कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा था, ‘अगर आपने फाइलें नहीं दिखाईं तो हम इसे कोर्ट की अवमानना मानेंगे। आप रिकॉर्ड पेश करने के लिए बाध्य हैं। आप हमसे क्यों लड़ रहे हैं?’ पढ़ें पूरी खबर…

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5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो का 3 मार्च 2002 को एक बार नहीं, कई बार रेप हुआ। अब तक जो पता था, उसके मुताबिक बिलकिस का अजन्मा बच्चा नहीं बच पाया था। हालांकि अब एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है कि बिलकिस की कोख में जो बच्चा था, वो बच गया। 4 महीने बाद वो मां बनीं और एक बच्ची पैदा हुई। पूरी खबर पढ़ें…

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बिलकिस केस के बस दो ही जिंदा किरदार हैं, एक बिलकिस खुद और दूसरा घटना के वक्त महज 7 साल उम्र का बच्चा सद्दाम। सद्दाम पूरी घटना का अकेला चश्मदीद गवाह था। बिलकिस के साथ सद्दाम की अम्मी से भी रेप हुआ था। उस दिन को याद कर सद्दाम कहते हैं, ‘मैं जब होश में आया तो अम्मी की छाती पर तलवारों के घाव थे। उनके तन पर एक भी कपड़ा नहीं था। मैं जोर-जोर से चिल्लाया, अम्मी उठो-अम्मी उठो, पर वे नहीं उठीं। वे मर चुकीं थीं’ पढ़िए पूरी खबर…

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अपने गांव से भागते हुए बिलकिस बानो और उनकी टोली कुआंजर गांव पहुंची थी। उस वक्त गांव के सरपंच थे सुलेमान। वे उस दिन यानी 28 फरवरी को याद कर अब तक पछताते हैं। सुलेमान उस दिन गांव में नहीं थे। वे कहते हैं, ‘मैं अगर उस दिन होता तो शायद यह हादसा ही न होता। बिलकिस बच जातीं। सब बच जाते।’ कुआंजर से बिलकिस पत्थनपुर गांव पहुंची थीं। यहां उन्हें सरपंच अबेसी खाट से मदद मिली। अबेसी कहते हैं कि ‘हम नहीं चाहते थे कि वे लोग यहां से जाएं, लेकिन वे नहीं रुके।’ पढ़िए पूरी खबर…

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