बिलकिस के तीन दोषियों ने SC में याचिका दाखिल की: सरेंडर करने के लिए और समय मांगा; कोर्ट ने 22 जनवरी तक सरेंडर को कहा था

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नई दिल्ली4 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को बिलकिस बानो का गैंगरेप करने के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को बिलकिस बानो का गैंगरेप करने के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।

बिलकिस बानो मामले के 11 दोषियों में से 3 ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके जेल में सरेंडर करने के लिए और समय मांगा है। उनके वकीलों ने दलील दी है कि सरेंडर करने के लिए दो हफ्ते का समय दिया गया था, वह 22 जनवरी को खत्म हो रहा है, ऐसे में उनकी याचिकाओं पर तत्काल सुनवाई की जाए। सुप्रीम कोर्ट ने इस दलील को स्वीकार कर लिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो का गैंगरेप करने के 11 दोषियों को समय से पहले रिहा करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने कहा था- गुजरात सरकार दोषियों को कैसे माफ कर सकती है। सुनवाई महाराष्ट्र में हुई है तो रिहाई पर फैसला भी वहीं की सरकार करेगी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस के घर पर पटाखे फोड़े गए।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बिलकिस ने कहा- आज मेरा नया साल शुरू हुआ
8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद बिलकिस ने एक बयान जारी कर सुप्रीम कोर्ट का शुक्रिया अदा किया। उन्होंने कहा कि असल में आज मेरे लिए नया साल शुरू हुआ है। मेरी आंखें राहत के आंसुओं से भीग गई हैं। पिछले डेढ़ साल में आज पहली बार मेरे चेहरे पर मुस्कान आई है।

गुजरात पुलिस ने बताया- बिलकिस के 11 दोषी हमारे संपर्क में नहीं, हमें उनके सरेंडर की जानकारी नहीं
कोर्ट के फैसले के दो दिन बाद गुजरात पुलिस ने जानकारी दी कि बिलकिस बानो गैंगरेप के 11 दोषी उनके संपर्क में नहीं है। गुजरात के दाहोद SP बलराम मीणा ने दावा किया कि पुलिस के पास दोषियों के सरेंडर करने की जानकारी नहीं है। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले की कॉपी भी अब तक नहीं मिली है, जिसमें दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने को कहा गया है।

दाहोद SP ने बताया कि सभी दोषी गुजरात के सिंगवाड के रहने वाले हैं। उनमें से कुछ अपने रिश्तेदारों से मिलने के लिए आते रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद रणधीकपुर में शांति बनाए रखने के लिए पुलिस बल तैनात किए गए हैं।

बिलकिस के दोषियों के खिलाफ 30 नवंबर को दाखिल की गई थी याचिका
बिलकिस के 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ 30 नवंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट में दो याचिकाएं दाखिल की गई थीं। पहली याचिका में 11 दोषियों की रिहाई को चुनौती देते हुए उन्हें तुरंत वापस जेल भेजने की मांग की गई थी। दूसरी याचिका में सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए आदेश पर विचार करने की मांग की गई थी।

कोर्ट ने कहा था कि दोषियों की रिहाई पर फैसला गुजरात सरकार करेगी। बिलकिस ने कहा कि जब केस का ट्रायल महाराष्ट्र में चला था, फिर गुजरात सरकार फैसला कैसे ले सकती है? केस के सभी 11 दोषी आजादी के अमृत महोत्सव के तहत रिहा कर दिए गए थे।

दंगों के दौरान 5 महीने की गर्भवती थीं बिलकिस
गुजरात में गोधरा कांड के बाद 3 मार्च 2002 को दंगे भड़के थे। दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में रंधिकपुर गांव में उग्र भीड़ बिलकिस बानो के घर में घुस गई थी। दंगाइयों से बचने के लिए बिलकिस अपने परिवार के साथ एक खेत में छिपी थीं। तब बिलकिस की उम्र 21 साल थी और वे 5 महीने की गर्भवती थीं।

दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया
दंगाइयों ने बिलकिस का गैंगरेप किया। उनकी मां और तीन और महिलाओं का भी रेप किया गया। इस हमले में उनके परिवार के 17 सदस्यों में से 7 लोगों की हत्या कर दी गई थी। 6 लोग लापता पाए गए, जो कभी नहीं मिले। हमले में सिर्फ बिलकिस, एक शख्स और तीन साल का बच्चा ही बचे थे।

2008 में 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली
गैंगरेप के आरोपियों को 2004 में गिरफ्तार किया गया था। जनवरी 2008 में CBI की स्पेशल कोर्ट ने 11 दोषियों को उम्रकैद की सजा दी थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आरोपियों की सजा को बरकरार रखा था। आरोपियों को पहले मुंबई की आर्थर रोड जेल और इसके बाद नासिक जेल में रखा गया था। करीब 9 साल बाद सभी को गोधरा की सबजेल में भेज दिया गया था।

प्रियंका गांधी बोलीं- भाजपा की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया
अंततः न्याय की जीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार बिलकिस बानो के आरोपियों की रिहाई रद्द कर दी है। इस आदेश से भाजपा की महिला विरोधी नीतियों पर पड़ा हुआ पर्दा हट गया है। इस आदेश के बाद जनता का न्याय व्यवस्था के प्रति विश्वास और मजबूत होगा। बहादुरी के साथ अपनी लड़ाई को जारी रखने के लिए बिलकिस बानो को बधाई।

राहुल गांधी बोले- सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने बताया अपराधियों का संरक्षक कौन है
चुनावी फायदे के लिए ‘न्याय की हत्या’ की प्रवृत्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए खतरनाक है। आज सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक बार फिर देश को बता दिया कि ‘अपराधियों का संरक्षक’ कौन है। बिलकिस बानो का अथक संघर्ष, अहंकारी भाजपा सरकार के विरुद्ध न्याय की जीत का प्रतीक है।

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28 फरवरी 2002 की सुबह दाहोद के रंधीकपुर गांव की एक बस्ती खाली हो चुकी थी। बूढ़े-बच्चे, औरत-मर्द सब बदहवासी और डर की हालत में काम भर का सामान लेकर खेतों-जंगलों के रास्ते भाग रहे थे। पीछे एक भीड़ थी। हाथों में कुल्हाड़ी, हंसिया और तलवारें लिए।

करीब 96 घंटे तक 5 महीने की प्रेग्नेंट बिलकिस बानो, 9 महीने की प्रेग्नेंट शमीम, 7 साल का सद्दाम और उसकी मां अमीना खेतों-जंगलों में रुकते-भागते रहे। 3 मार्च 2002 को इस भीड़ ने आखिरकार उन्हें पत्थलपाणी के जंगल में घेर लिया। बिलकिस समेत 6 औरतों का गैंगरेप हुआ। पढ़िए उन 96 घंटों की कहानी…

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बिलकिस बानो गैंगरेप केस के बस दो ही जिंदा किरदार हैं, एक बिलकिस खुद और दूसरा घटना के वक्त महज 7 साल उम्र का बच्चा सद्दाम। सद्दाम ही वो शख्स है, जो बिलकिस बानो केस में बिलकिस के अलावा पूरी घटना का अकेला चश्मदीद गवाह था। बिलकिस की कहानी तो आपने पढ़ी-सुनी ही होगी, सद्दाम की कहानी पढ़िए…

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‘हमें यकीन ही नहीं हो रहा कि बिलकिस से गैंगरेप करने वाले, मेरी 3 साल की बेटी को पटक-पटककर मार देने वाले, मेरे परिवार के सात लोगों की हत्या करने वालों को सरकार ने कैसे छोड़ दिया। ये सोचकर ही हमें डर लग रहा है। इस फैसले ने बिलकिस को तोड़ दिया है।’ ये बातें बिलकिस बानो के पति याकूब रसूल ने दैनिक भास्कर से कही हैं। पूरा इंटरव्यू पढ़ें…