फारूक बोले- आर्टिकल 370 हम नहीं, महाराजा हरि सिंह लाए: उन्हें डर था विभाजन के बाद पंजाब के लोग जम्मू-कश्मीर आ जाएंगे

जम्मू53 मिनट पहले

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फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया था। - Dainik Bhaskar

फारूक अब्दुल्ला का कहना है कि महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया था।

केंद्र सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया था। 11 दिसंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट भी जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने को बरकरार रखने का फैसला सुना चुका है।

अब नेशनल कॉन्फ्रेंस प्रेसिडेंट फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार (8 जनवरी) को जम्मू में कहा कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हम लेकर नहीं आए, यह तो महाराजा हरि सिंह ने 1947 में लागू किया था।

फारूक ने ये भी कहा कि उन्हें (हरि सिंह) डर था विभाजन के बाद पंजाब के लोग यहां आकर बस जाएंगे और राज्य के गरीब लोग अपनी जमीनें कम कीमत पर उन लोगों को बेच देंगे। महाराजा हरि सिंह ने जम्मू-कश्मीर के स्थानीय लोगों की सुरक्षा के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया था। केवल जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के स्थानीय लोगों के लिए नौकरियां आरक्षित की थीं।

11 दिसंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को आर्टिकल 370 खत्म कर दिया था। साथ ही राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कुल 23 याचिकाएं दाखिल हुई थीं। 5 जजों की बेंच ने सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की थी।

संविधान पीठ में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस संजीव खन्ना शामिल थे। बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने 11 दिसंबर 2023 को (सुनवाई खत्म होने के 96 दिन बाद) जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के केंद्र के फैसले को सही बताया था।

संविधान पीठ कहा था- जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग
पीठ ने अपने फैसले में कहा था कि आर्टिकल 370 अस्थायी प्रावधान था। संविधान के अनुच्छेद 1 और 370 से स्पष्ट है कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है।

भारतीय संविधान के सभी प्रावधान वहां लागू हो सकते हैं। 476 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा था कि हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं।

हम लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए थे।

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केंद्र ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से 370 हटा दिया था। इसके 4 साल, 4 महीने और 6 दिन बाद आए 476 पेज के फैसले में कोर्ट ने कहा, ‘हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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26 वकील, 23 याचिकाएं, 16 दिन और 5 जस्टिस। इस मैराथन बहस के बाद 11 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 पर अपना फैसला सुनाया गा था। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के लिए जारी राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। पूरी खबर पढ़ें…

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