पुलिस वाले और आर्मीवालों को भी ठग लिया: पत्नियां चलाती थीं नेटवर्क, 70 हजार से ज्यादा लोगों से 12 हजार करोड़ की ठगी

जयपुर/सीकर6 मिनट पहलेलेखक: विक्रम सिंह सोलंकी

17 जनवरी 2023 को अचानक राजस्थान के कई जिलों में तहलका मच गया। खबर आई कि नेक्सा एवरग्रीन कंपनी के मालिक 12 हजार करोड़ की ठगी कर फरार हो गए।

ये वो कंपनी है जिसने गुजरात के धोलेरा स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में इन्वेस्टमेंट के नाम पर बड़े-बड़े सपने दिखाए। ठगी का ऐसा चक्रव्यूह तैयार किया कि चाय की थड़ी चलाने वालों तक ने बैंक से लोन उठाकर इन्वेस्टमेंट किया। पुलिसकर्मी, सरकारी कर्मचारी, सेना के जवानों से लेकर अफसर तक जाल में फंसते चले गए।

बड़ी तादाद में पीड़ितों ने जब थाने पहुंचना शुरू किया, तब समझ में आया कि ये कोई छोटी-मोटी ठगी नहीं है। महज 10 महीने में 70 हजार से ज्यादा लोगों को शिकार बनाया गया और 12000 करोड़ ठग लिए। इस ठगी की गूंज विधानसभा तक में सुनाई दी।

राजस्थान में हुई इस ‘महाठगी’ की भास्कर ने पड़ताल शुरू की। जयपुर, सीकर सहित कई शहरों में जाकर नेटवर्क खंगाला तो हैरान कर देने वाली बातें सामने आई।

इस ठगी का एक मास्टरमाइंड सेना से रिटायर्ड है। उसने ठगी के लिए 35 से ज्यादा शहरों में दफ्तर खोल रखे थे। वहां 3000 से ज्यादा एजेंट को ठगी के टारगेट दिए जाते थे। टारगेट पूरा करने वालों को बैंकॉक, थाईलैंड में ऐश करवाई जाती थी…

आज संडे बिग स्टोरी में आप भी पढ़िए राजस्थान के हजारों लोगों को ठगी का शिकार बनाने वाले ‘ठग्स ऑफ शेखावाटी’ और उसके ‘मायाजाल’ की पूरी पड़ताल…

रियल एस्टेट के नाम पर अहमदाबाद में करवाया रजिस्ट्रेशन

नेक्सा एवरग्रीन (NEXA EVERGREEN) कंपनी का रजिस्ट्रेशन अहमदाबाद में 17 अप्रैल 2021 में हुआ। रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज अहमदाबाद के रिकॉर्ड से पता चलता है कि यह कंपनी रियल एस्टेट एक्टिविटी के लिए रजिस्टर्ड कराई गई थी। जिसके मालिक सीकर के पनलावा निवासी सुभाष बिजारणियां व रणवीर बिजारणियां हैं।

दोनों ही कंपनी के एमडी हैं। कंपनी के बोर्ड में 6 टॉप लीडर बनाए गए, जो इंवेस्टमेंट प्लान बनाकर डील करते थे। इनमें सलीम खां, समीर, दातार सिंह, रक्षपाल, ओमपाल व सांवरमल के नाम सामने आए हैं।

सबसे पहले कंपनी के नाम पर गुजरात सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट धोलेरा स्मार्ट सिटी के करीब 1700 बीघा जमीन खरीदने के डॉक्यूमेंट तैयार करवाए गए। मोटा पैसा इन्वेस्ट करने वालों को इसी जमीन के डॉक्यूमेंट दिखाकर पर्सनल विजिट करवाते थे। उन्हें यह बताया जाता था कि आपसे लिए गये पैसे से यहां मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, मॉल्स, कॉलोनी डेवलप की जाएगी। देशभर के बड़े-बड़े अमीर लोग यहीं शिफ्ट होंगे।

पुलिसवाले भी ठगे गए, ठगों की पत्नियां भी चलाने लगीं नेटवर्क

NEXA EVER GREEN कंपनी के एमडी रणवीर बिजारणियां की पत्नी लक्ष्मी सीकर एसपी ऑफिस में कॉन्स्टेबल थी। उसने एक महीने पहले ही VRS ले लिया था। लक्ष्मी ने पति रणवीर के कहने पर अपने साथी पुलिसकर्मियों को भरोसे में लेकर रुपए इन्वेस्ट करना शुरू किया। ऐसा पहली बार हुआ कि काफी बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने कंपनी में करोड़ों रुपए का इंवेस्टमेंट किए। लक्ष्मी पुलिस का आईडी कार्ड दिखाकर लोगों को भरोसे में लेती थी।

कंपनी का एमडी सुभाष बिजारणियां आर्मी से रिटायर्ड था। इसी वजह से उसने आर्मी जवानों को टारगेट बनाया। रिटायर होने के बाद आर्मी जवानों को लाखों रुपए ग्रेच्युटी के मिलते हैं। ठगों ने ऐसे जवानों को झांसे में लिया और कंपनी में इन्वेस्ट करा दिए।

वहीं कंपनी में शामिल एक और डायरेक्टर बनवारी महरिया (गांव कूदन, जिला-सीकर) की पत्नी गिरिजा सीकर जिला अस्पताल में नर्स (ANM) है। उसने भी स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों को टारगेट किया। लक्ष्मी और गिरिजा ने फरार होने से एक महीने पहले ही वीआरएस के लिए आवेदन कर दिया था।

60 सप्ताह का इन्वेस्टमेंट प्लान

ठगों ने बैंक से दोगुने ब्याज का रिटर्न, हर हफ्ते ब्याज का पैसा अकाउंट में, नया ग्राहक जोड़ने पर कमिशन, धोलेरा सिटी में प्लॉट जैसे लालच दिए। जिसने भी इनका प्लान सुना, लालच में आकर शिकार बनता चला गया। इसे साधारण तरीके से समझाते हैं …

कंपनी में इन्वेस्टमेंट प्लान 50 हजार रुपए से शुरू होता था, जिसे 60 महीने के लिए जमा करवाने पर हर हफ्ते उसके ब्याज के रूप में 1352 रुपए रिटर्न मिलता था। इसी तरह 1 लाख रुपए जमा करवाने पर 2704 रुपए मिलते थे।

कंपनी ने लोगों को झांसे में लेने के लिए ऐसे बुकलेट बना रखे थे। इन बुकलेट में भविष्य के प्रोजेक्ट, प्लानिंग, लैंड, प्लॉट, मॉल्स के अच्छे-अच्छे फोटो लगाकर ऐसे पेश किया जाता था जैसे सचमुच ऐसा शहर बसा रहे हैं।

कंपनी ने लोगों को झांसे में लेने के लिए ऐसे बुकलेट बना रखे थे। इन बुकलेट में भविष्य के प्रोजेक्ट, प्लानिंग, लैंड, प्लॉट, मॉल्स के अच्छे-अच्छे फोटो लगाकर ऐसे पेश किया जाता था जैसे सचमुच ऐसा शहर बसा रहे हैं।

मान लीजिए कंपनी में आपने 50 हजार रुपए 60 महीने के लिए इन्वेस्ट किए हैं। अब आपको हर 7 दिन बाद बैंक अकाउंट में 1352 रुपए मिलना शुरू हो जाएंगे।

60 सप्ताह यानी 14 महीने तक इन्वेस्टमेंट रखने पर उसे 1352X60 = 81 हजार 120 रुपए देने का दावा कंपनी करती थी। यानी 50 हजार रुपए पर 14 महीने में 31 हजार 120 रुपए की कमाई। इसी तरह 1 लाख रुपए जमा कराने पर 14 महीने में 62 हजार से ज्यादा का रिटर्न मिलता था।

ऐप बनाकर हाइटेक तरीका अपनाया

कंपनी ने इन्वेस्ट प्लान सक्सेस करने के लिए NEXA EVERGREEN के नाम से एक मोबाइल ऐप भी बना रखा था। इस ऐप के जरिए जुड़ने वाले हर कस्टमर की आईडी-पासवर्ड जनरेट होते थे। इससे ग्राहक को भरोसा रहता था कि ऐप में हो रहा लेनदेन सेफ है। कंपनी सिस्टेमेटिक तरीके से काम कर रही है और भागेगी नहीं।

कंपनी के झांसे में आए सीकर के सुरेंद्र ने बताया कि उन्होंने एक बार ऐप पर पासवर्ड बदल दिया था। कंपनी से फोन आया और वापस वही पासवर्ड रखने के लिए बोला था। वे आईडी खोल कर चेक करते रहते थे। ऐप पर ही कमीशन और रुपयों का इंवेस्टमेंट का रिकॉर्ड रहता था। लेकिन सुरेन्द्र यह समझ नहीं पाए कि कंपनी ऐसा क्यों कर रही है।

मोबाइल ऐप में कस्टमर की यूजर आईडी और उसका पासवर्ड दिया जाता था। ऐसे ही एक कस्टमर के ऐप में अकाउंट का स्क्रीनशॉट।

मोबाइल ऐप में कस्टमर की यूजर आईडी और उसका पासवर्ड दिया जाता था। ऐसे ही एक कस्टमर के ऐप में अकाउंट का स्क्रीनशॉट।

हर मंगलवार की सुबह रुपए ट्रांसफर

कंपनी रुपए इन्वेस्ट कराने के बाद उसके रिटर्न का पैसा हर सप्ताह के मंगलवार को सीधे अकाउंट में ट्रांसफर कराती थी। सोमवार की रात को 12 बजते ही पैसा अकाउंट में आना शुरू हो जाता था। सुबह उठते ही लोगों के रुपए अकाउंट में मिलने पर चेहरे पर खुशी आ जाती थी। जब लोगों को पक्का विश्वास हो गया तो कई लोगों ने अपनी जमीनें बेचकर कंपनी में पैसा लगाना शुरू कर दिया।

नए लोगों को जोड़ने पर कमीशन

कंपनी मल्टीलेवल मार्केटिंग पैटर्न पर काम कर रही थी। एक के नीचे तीन लोगों काे जोड़ना, फिर उन तीन के नीचे तीन-तीन कर 9 लोगों की चेन बनाने का सिस्टम बनाया गया था।

  • तीन लोगों को जोड़ने पर हर ग्राहक को 4500 रुपए का कमीशन अलग से दिया जाता था।
  • इसी तरह आपके द्वारा जोड़े गए ग्राहक ने एक और आदमी से इन्वेस्टमेंट कराया तो उसका भी हर सप्ताह 200 रुपए कमीशन और तीन लोगों की चेन बनने पर 600 रुपए मिलते थे।
  • ऐसे में लोगों ने ज्यादा लालच में पड़ कर अपने रिश्तेदारों और पड़ोस के लोगों, जान पहचान वाले लोगों को जोड़ना शुरू कर दिया।
  • कंपनी बाकायदा नियम के अनुसार 74 रुपए का टीडीएस 60 सप्ताह तक काटती थी जोकि मार्च में मिल जाता था।
सीकर में खुले नेक्सा कंपनी के एक ऑफिस की पुरानी तस्वीर जो हमें पीड़ितों ने उपलब्ध करवाई है। आज यहां ताला लगा हुआ है।

सीकर में खुले नेक्सा कंपनी के एक ऑफिस की पुरानी तस्वीर जो हमें पीड़ितों ने उपलब्ध करवाई है। आज यहां ताला लगा हुआ है।

थाईलैंड, बैंकॉक के टयूर, प्लॉट व लग्जरी कार का लालच

कंपनी ने अपने इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स के जरिए 3000 से ज्यादा एजेंट तैयार किए। इन एजेंटों को बड़े टारगेट दिए जाते, जिन्हे पूरा करने पर थाईलैंड व बैंकॉक का फ्री टूर दिया जाता था।

एजेंट को कंपनी अपने आईडी कार्ड बनाकर देती थी, ताकि झांसे में आने वाले ग्राहक को सब कुछ असली नजर आए। अपने अंडर में नई चेन बनाने पर एक एजेंट को 25 हजार रुपए का कमीशन अलग से दिया जाता था। साथ ही बड़े शहरों में प्लॉट और लग्जरी कार का लालच देते थे।

सेमिनार में करते थे ब्रेन वॉश

ज्यादा से ज्यादा लोगों का ब्रेन वॉश करने के लिए जयपुर, सीकर व बड़े-बड़े शहरों में सेमिनार किए जाते थे। सेमिनार में मोटिवेशनल स्पीकर व सेलिब्रेटी बुलाकर अपनी धाक जमाते थे। फिर विदेश घूमकर आए एजेंटों, ज्यादा पैसा कमाने वाले लोगों को सेमिनार में आए नए लोगों के सामने पेश किया जाता था ताकि वे भी प्रभावित होकर अपना इन्वेस्टमेंट करें।

रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां और इनका बड़ा एजेंट गोपाल डूडवाल। इनमें सफेद कुर्ते वाला शख्स गोपाल कंपनी का सबसे ताकतवर एजेंट माना जाता है।

रणवीर बिजारणियां, सुभाष बिजारणियां और इनका बड़ा एजेंट गोपाल डूडवाल। इनमें सफेद कुर्ते वाला शख्स गोपाल कंपनी का सबसे ताकतवर एजेंट माना जाता है।

35 शहरों में खोले ऑफिस

कंपनी ने गुजरात, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा के अलावा राजस्थान में जयपुर, सीकर, चूरू, झुंझुनूं, जोधपुर व अजमेर के साथ ही करीब 35 जगहों पर ऑफिस खोले थे। लेकिन सबसे ज्यादा ऑफिस शेखावाटी में खोले गए। कुछ एजेंट ऐसे भी थे जिन्होंने खुद का कामधंधा बंद करके कंपनी के बोर्ड लगाकर अपने स्तर पर ऑफिस खोल लिए थे। कंपनी के ऑफिस पहुंच कर लोग कैश में रुपए जमा करवाते थे।

जयपुर, सीकर व झुंझुनूं में 200 मुकदमे दर्ज

17 जनवरी को मंगलवार के दिन जब लोगों के अकाउंट में रुपए नहीं आए तो सभी परेशान हो गए। तब कंपनी के एमड़ी सुभाष बिजारणियां ने सफाई देकर जल्द रुपए ट्रांसफर करने की बात कही। अगले सप्ताह 24 जनवरी को भी रुपए नहीं आए तो इन्वेस्ट करने वालों की धड़कनें बढ़ने लगीं। कई लोग गुजरात के धोलेरा सिटी में बनाए इनके फर्जी प्रोजेक्ट ऑफिस पहुंचे। वहां पर भी लोगों को झूठा आश्वासन दिया गया था।

आखिर वही हुआ जिसका निवेशकों को डर था। खबर आई कि कंपनी के एमडी बिजारणियां बंधु, दोनों की पत्नियां और कंपनी के इन्वेस्टमेंट मैनेजर फरार हो गए हैं। इस खबर से पूरे शेखावाटी के निवेशकों में कोहराम मच गया। ठगी के शिकार लोगों की भीड़ थानों में जमा होनी शुरू हो गई।

सीकर पुलिस ने ठगी के दो आरोपी कोदूराम डारा पुत्र कालूराम डारा निवासी शाहपुरा धोद और नागरमल मेहरिया पुत्र लक्ष्मण सिंह निवासी कुदन को गिरफ्तार किया है।

सीकर पुलिस ने ठगी के दो आरोपी कोदूराम डारा पुत्र कालूराम डारा निवासी शाहपुरा धोद और नागरमल मेहरिया पुत्र लक्ष्मण सिंह निवासी कुदन को गिरफ्तार किया है।

अबतक जयपुर, जोधपुर सीकर, झुंझुनूं, चूरू सहित कई जिलों में 200 से ज्यादा एफआईआर कंपनी के खिलाफ दर्ज हो चुकी हैं। रोज इतने पीड़ित आ रहे हैं कि पुलिस भी एक-एक आदमी की एफआईआर की बजाय ग्रुप में शिकायत दर्ज कर रही है।

अकेले जयपुर से 200 करोड़ की ठगी, पहली गिरफ्तारी

जयपुर के अलग-अलग थानों में शिकायतें पहुंची तो उन्हें एक किया गया। जब आंकड़े जोड़े तो पता चला कि नेक्सा एवरग्रीन कंपनी ने अकेले जयपुर में 540 लोगों से 200 करोड़ रुपए की ठगी कर रखी थी।

ठगी के शिकार लोगों ने जयपुर पुलिस कमिश्नर से मिलकर शिकायत की। इसके बाद झोटवाड़ा पुलिस ने एक्शन लिया और पहली गिरफ्तारी 3 फरवरी को एक डायरेक्टर दातार सिंह की हुई।

झोटवाड़ा पुलिस ने आरोपी दातार सिंह से कंपनी के एमड़ी सहित अन्य लोगों को लेकर पूछताछ कर रही है। दातार सिंह के पास जयपुर की जिम्मेदारी थी। वहीं कंपनी में एमड़ी सुभाष बिजारणियां, रणवीर बिजारणियां सहित अन्य लोग शेखावाटी का नेटवर्क देखते थे। कंपनी में 20 से ज्यादा लोग शामिल हैं जिनके पास अलग-अलग जगहों की जिम्मेदारी थी।

चाय वाले से लेकर बिजनेसमैन तक ठगे गए

सीकर में जयपुर रोड पर चाय की दुकान चलाने वाले शोभाराम ने बताया कि वह लोसल छोटी के रहने वाले हैं। एजेंटों के झांसे में आकर उन्होंने बैंक ऑफ बड़ौदा से लोन लेकर दो लाख रुपए इन्वेस्ट कर दिए। करीब 50 हजार रुपए तो किस्तों में आ गए। लेकिन डेढ़ लाख रुपए फंस गए। अब चाय बेच कर बैंक की किस्तें चुकानी पड़ रही हैं। शोभाराम ने बताया कि वे खुद किराए के मकान में ही रहता है।

40 लाख गंवाए, बेटी की रील्स के रुपयों से लाना पड़ा राशन

इसी तरह सीकर की पलसाना रोड निवासी सतवीर चौधरी खेती किसानी करते हैं। उनके दो बेटियां हैं। जिनकी शादी के लिए वे शुरू से पैसा जोड़ रहे थे। उन्ही में से 3 लाख रुपए कंपनी में इन्वेस्ट किए थे। हर हफ्ते किस्तों में रुपए आने लगे तो कंपनी के एजेंटों ने और पैसा जमा करवाने के का दबाव बनाया।

मोटे मुनाफे के चक्कर में आकर पत्नी के गहने पर 15 लाख का गोल्ड़ लोन, गाड़ी पर 9 लाख का लोन लिया, 8 लाख की सेविंग व रिश्तेदार से 10 लाख रुपए ब्याज पर लेकर कुल 47 लाख रुपए इवेंस्ट किए थे। करीब 7 लाख रुपए आ गए थे। 40 लाख रुपए फंस गए है।

खुद का बिजनेस बर्बाद हो गया है। घर में राशन के लिए भी रुपए नहीं है। खुद बर्बाद होने की दास्तां बताते हुए आखों में आसू आ गए। बोले कि छोटी बेटी फेसबुक पर काफी समय से रील्स बनाती थी। पहली बार उसके अकाउंट में 10 हजार रुपए आए हैं। इन्हीं रुपयों से जरूरत का सामान लेकर आया हूं। बोले कि सोचा नहीं था कि ऐसे दिन भी देखने पडेंगे।

पुरखों की जमीन बेची, बिजनेस छोड़कर किया इन्वेस्टमेंट

कंपनी में ठगे हुए लोगों की बहुत लंबी लिस्ट है। दिलीप सिंह बताते हैं कि वे जयपुर रोड पर ही पुरानी कार खरीदने बेचने का काम करते हैं। कंपनी के एजेंट बनकर उसके परिचित लोग आए। काफी दबाव बनाया। तब 1 बीघा का खेत बेच दिया। 6 महीने पहले ही कंपनी में 40 लाख रुपए इन्वेस्ट कर दिए। कुछ पुरानी गाड़ियां थी उनको भी बेच डाला और रुपए जमा करा दिए। मेरा पूरा बिजनेस चोपट हो गया। पुरखों की जमीन बेचकर लगा दी। अब हाथ में कुछ भी नहीं बचा है।

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