नाबालिग बहनों को काटते वक्त…हमलावरों का दिल नहीं पसीजा: प्रेम यादव मरा…तो परिवार वाले हत्यारे बन गए, सत्य प्रकाश के घर 5 मौत, कोई रोने वाला तक नहीं बचा

7 मिनट पहलेलेखक: देवांशु तिवारी / राजेश साहू

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देवरिया में दो भाइयों में विवाद हुआ। एक भाई ने दूसरे भाई का घर और साथ हमेशा के लिए छोड़ दिया। वह गांव में ही एक प्रभावशाली व्यक्ति के घर में रहने लगा। लगातार रहते हुए उसने अपने हिस्से की 9 बीघे जमीन उसी व्यक्ति के नाम कर दी। यह बात दूसरे भाई को बुरी लगी। विवाद हुआ लेकिन पंचायत से मामला शांत हो गया। अचानक 2 अक्टूबर की सुबह उस प्रभावशाली व्यक्ति की हत्या कर दी जाती है। चूंकि प्रभावशाली व्यक्ति था इसलिए हत्या की खबर से उसके समर्थक उग्र हो गए।

गुस्साए समर्थक लाश के पास पहुंचे। गला कटी और सिर कूंची लाश उसी दूसरे भाई के घर के सामने मिली। भीड़ ने दरवाजा तोड़ दिया। मारना शुरू किया। पहले उस भाई को और उसकी पत्नी को मारा। फिर 18 साल की बेटी, 15 साल के बेटे, 10 साल की बेटी की निर्मम हत्या कर दी। 8 साल के बेटे को भी लगभग मार ही दिया था लेकिन उसकी सांस चलती रही।

इस हत्याकांड की वजह बनी दिमाग पर चढ़ी खूनी सनक। जिसने मासूम बच्चों का गला रेतने में भी तरस नहीं दिखाया। इस पूरे हत्याकांड को कवर करने भास्कर की टीम गांव पहुंची। हर वजह को खंगाला। उन लोगों से बात की जिन्होंने गोलियों की आवाज तो सुनी पर मौके पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। आइए शुरू से पूरी कहानी जानते हैं…

भाई ने भाई का साथ छोड़कर दूसरे के साथ रहना तय किया

ये वही जगह है जहां प्रेम यादव को मारकर फेंका गया। यहां से 20 मीटर पर सत्य प्रकाश का घर है।

ये वही जगह है जहां प्रेम यादव को मारकर फेंका गया। यहां से 20 मीटर पर सत्य प्रकाश का घर है।

देवरिया जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर फतेहपुर गांव है। गांव में कुल 14 पुरवा हैं। उसी में से एक लेहड़ा है। इसे फतेहपुर लेहड़ा कहते हैं। यहीं सत्यप्रकाश दुबे का घर है। कुल तीन भाई थे। बड़े वाले भाई ओम प्रकाश दुबे की पहले ही मौत हो चुकी थी। छोटा भाई ज्ञान प्रकाश उर्फ साधु सत्य प्रकाश के ही साथ रहता था। दोनों भाइयों के बीच कई बार विवाद हुआ। साधु ने तय किया कि अब घर पर नहीं रहना है। उसने जमीन का बंटवारा करवाया और घर छोड़ दिया।

साधु के हिस्से में करीब साढ़े 9 बीघा जमीन आई। वह कहीं गया नहीं बल्कि गांव में ही प्रधान रहे और बाद में जिला पंचायत सदस्य बने प्रेम यादव के घर पर रहने लगा। न सत्य प्रकाश ने साधु को वापस लाने की कोशिश की और न ही साधु वापस आया। साथ रहने का असर यह हुआ कि 2014 में साधु ने अपने हिस्से की पूरी जमीन प्रेम के नाम कर दी। प्रेम तीन महीने में दाखिल खारिज करवाकर उस जमीन के मालिक बन गए और खेती करने लगे। कहानी में आगे बढ़ने से पहले ये ग्राफिक देखिए…

जमीन के बेचने की खबर सत्य प्रकाश के लिए हैरान करने वाली थी। लेकिन उनके पास करने को कुछ नहीं था। 2016 में उन्होंने कहा कि मेरे छोटे भाई की समझ कम है इसलिए उसको बहला-फुसलाकर जमीन लिखवा ली गई। पंचायत हुई। लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकला। सत्य प्रकाश कोर्ट गए। राजस्व टीम ने खेत की पैमाइश की लेकिन कोई गड़बड़ी नहीं मिली। जमीन पर प्रेम खेती करते रहे। गांव में जब भी आते, सबके घर जाते लेकिन कभी सत्यप्रकाश के घर नहीं गए।

  • अब कहानी उस मनहूस तारीख की, जब 30 मीटर के बीच खून से सनी 6 लाशें पड़ी थी और पुलिस की गाड़ियां लखनऊ से देवरिया की तरफ भाग रही थी।

प्रेम यादव की हत्या पर भीड़ उग्र हो गई
सत्य प्रकाश के कुल 6 बच्चे थे। 3 बेटे और 3 बेटियां। एक बेटी की शादी उन्होंने तीन साल पहले देवरिया शहर में की थी। वह अपने ससुराल में रहती है। बाकी बच्चे लेहड़ा गांव में ही रहते थे। 2 अक्टूबर को बीच वाले बेटे गांधी का जन्मदिन था। उसने अपने बड़े भाई देवेश से कहा कि भइया मेरे पास कुछ नहीं है। देवेश ने कहा, “भाई तुम्हारे लिए कथा में जा रहा हूं, वहां जो मिलेगा, उससे तुम्हें जो खरीदना होगा खरीद लेना।” इतना कहकर वह कथा के लिए चला गया।

दूसरी तरफ प्रेम सुबह उठे। पत्नी से चाय लाने को कहा। अचानक एक फोन आया। यह फोन लेहड़ा के किसी व्यक्ति का था। उसने बताया कि आपके खेत में लगे सागौन के पेड़ काटे गए। प्रेम ने चाय का भी इंतजार नहीं किया और बाइक उठाकर लेहड़ा गांव की तरफ चले आए। यहां वह सीधा सत्य प्रकाश के घर पहुंचे। यहां दोनों में विवाद हो गया। सत्य प्रकाश ने पूरे परिवार के साथ प्रेम पर हमला कर दिया। ईंट-पत्थरों से कूंचकर प्रेम को मार दिया।

एक संकरी सी गली में सत्य प्रकाश का घर है। इसी रास्ते से 6 डेडबॉडी निकाली गईं।

एक संकरी सी गली में सत्य प्रकाश का घर है। इसी रास्ते से 6 डेडबॉडी निकाली गईं।

प्रेम यादव के मारे जाने की खबर उनके घर और आसपास के लोगों को मिली। तुरंत एक भीड़ इकट्ठा हो गई। लोगों ने घर में रखे हथियार निकाले। चाकू उठाई। बाइक के जरिए लेहड़ा गांव पहुंच गए। लोग कहते हैं कि इस भीड़ में प्रेम का भाई रामजी भी शामिल था। प्रेम की जमीन पर पड़ी लाश देखकर उनके भाई और समर्थकों के होश उड़ गए। सत्य प्रकाश का दरवाजा पीटा लेकिन नहीं खुला। दो लोग दीवार फांदकर अंदर गए और दरवाजा खोल दिया। भीड़ अंदर पहुंच गई।

जिस दिन पैदा हुआ बेटा गांधी, उसी दिन हत्या हो गई
गुस्साई भीड़ को जो आगे मिला उसे ही मारना शुरू किया। सबसे पहले सत्य प्रकाश को गोली मारी गई और फिर चाकू से सीने और चेहरे पर पर प्रहार किया गया। इसके बाद उनकी पत्नी किरण को मारा गया। 18 साल की सलोनी को सीने में गोली मारी गई और फिर उसका गला धारदार हथियार से रेत दिया गया। उसकी छोटी बहन 12 साल की नंदनी को भी ऐसे ही मार दिया गया। सत्य प्रकाश के मझले बेटे गांधी का आज 15वां जन्मदिन था। लेकिन भीड़ ने उसे भी नहीं छोड़ा और मार दिया।

भीड़ के हमले से बचा अनमोल इस वक्त BRD मेडिकल कॉलेज में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहा है।

भीड़ के हमले से बचा अनमोल इस वक्त BRD मेडिकल कॉलेज में जिंदगी और मौत के बीच लड़ाई लड़ रहा है।

8 साल के अनमोल के सिर में किसी धारदार हथियार से मारा गया। पीठ पर भी हमला हुआ। वह बेहोश होकर गिर गया। भीड़ सबको खत्म कर चुकी थी। उसे लगा कि अनमोल भी मर चुका है, इसलिए वह वहां से निकल गई। प्रेम यादव की लाश को वहीं छोड़ दिया। बरसात हो रही थी इसलिए आसपास के बहुत सारे लोगों को इस नरसंहार की खबर तक नहीं लगी। तभी सत्य प्रकाश के घर के पीछे की महिलाओं को इसकी जानकारी मिली। गांववालों की भीड़ उमड़ पड़ी। पुलिस तक 6 हत्याओं की जानकारी पहुंची तो उसके कान खड़े हो गए। तुरंत ही फोर्स के साथ मौके पर पहुंचे।

हम दोनों ही परिवारों के पास पहुंचे। प्रेम यादव के घर के बाहर करीब 50 महिलाएं बैठी मिलीं। पुरुष एक भी नहीं थे। कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में ले रखा है तो कुछ डरकर गांव से कहीं चले गए हैं। हमने प्रेम की तीनों बेटियों से बात की। वह देवरिया में रहकर पढ़ाई करती हैं। बड़ी बेटी अर्चना ने कहा, मुझे कोई जानकारी नहीं है। पापा जब कभी कहीं जाते थे तो उनके साथ दो लोग रहते थे लेकिन आज वह फोन आने पर अकेले ही चले गए और उन्होंने मार दिया। इतना कहकर वह रोने लगती है। प्रेम की पत्नी की हालत ऐसी नहीं थी कि वह बात कर सकें।

ये प्रेम यादव की तीनों बेटियां है। इन्हें अभी भी भरोसा नहीं कि पापा लौट कर कभी नहीं आएंगे।

ये प्रेम यादव की तीनों बेटियां है। इन्हें अभी भी भरोसा नहीं कि पापा लौट कर कभी नहीं आएंगे।

सत्य प्रकाश के घर कोई रोने वाला तक नहीं
हम सत्य प्रकाश के घर जाने के लिए निकले। रास्ते में करीब 50 से ज्यादा पुलिस के जवान मिले। घर पहुंचे तो एकदम सूनसान। दूर-दूर तक कोई नजर नहीं आया। 50 गुणा 100 की जगह में महज एक कमरा बना था। बाकी कुछ जगह पर टीन रखे गए थे। कुल मिलाकर देखने से पता चलता है कि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। हम यहां कुछ देर रुके। पुलिसवालों से बात की। पूछा कि इनके परिवार से कोई और आया? पुलिसवालों ने कहा- “कोई रोने तक यहां नहीं आया।”

हम इसके बाद गांव में पहुंचे। हमें राजू मिले। राजू कहते हैं कि सत्य प्रकाश गांव के लोगों से मतलब नहीं रखते थे। वह लोगों से नहीं बोलते थे इसलिए लोग भी उनसे बात नहीं करते थे। हमने कहा कि क्या प्रेम यादव की हत्या में सत्य प्रकाश के घर और भी कोई हो सकता है? राजू फिर से अपना जवाब दोहराते हैं और कहते हैं कि सत्य प्रकाश के साथ खड़े होकर कोई भी प्रेम की हत्या नहीं कर सकता। वहीं गांव की ही एक महिला कहती हैं, उन हत्यारों का हाथ नाबालिग बेटियों को मारते वक्त कांपा नहीं! कम से कम उन्हें तो छोड़ देते।

गांव में हिंसा न भड़के इसलिए तीन किलोमीटर के दायरे में करीब 200 पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। एडीजी लॉ एण्ड ऑर्डर प्रशांत कुमार खुद घटनास्थल पर पहुंचे। आरोपियों पर कार्रवाई की बात कही। पीड़ित पक्ष के लिए सरकार की तरफ से मदद देने की बात कही।

फिलहाल….इस हत्याकांड का जो हासिल है वह बेहद दर्दनाक है। सत्य प्रकाश का छोटा बेटा अनमोल जिंदगी-मौत के बीच संघर्ष कर रहा। अब उसे कभी मां-बाप-बहन का साया नसीब नहीं होगा। बड़े बेटे देवेश को समझ ही नहीं आ रहा कि क्या करे। दूसरी तरफ प्रेम यादव की तीनों बेटियों के सिर से बाप का साया चला गया। पत्नी को कुछ होश ही नहीं। कुल मिलाकर हर किसी के हिस्से में अपार दुख आया।

  • आखिर में इस फोटो को देखिए। सत्य प्रकाश, उनकी पत्नी, दो बेटियां और एक बेटा एक साथ इस दुनिया से विदा हो गए।