तीन राज्यों में भास्कर एग्जिट पोल: राजस्थान में भाजपा और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत का अनुमान, मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बढ़त

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नई दिल्ली2 घंटे पहले

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हिंदी पट्‌टी के 3 प्रमुख राज्यों- राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दैनिक भास्कर के एग्जिट पोल सामने आ गए हैं। वोटर्स से मिले इन रुझानों में राजस्थान में भाजपा और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की जीत होती दिख रही है। सबसे ज्यादा 230 सीटों वाले मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस को हल्की बढ़त है।

दैनिक भास्कर के 300 से ज्यादा रिपोर्टरों ने इस पोल को तीन चरणों में किया। 12 से 27 नवंबर के बीच भास्कर की टीम ने 33 हजार से ज्यादा लोगों से संभावित हार-जीत के बारे में फीडबैक लिया। प्रतिष्ठित चुनावी एक्सपर्ट सतीश नैयर की मदद से एनालिसिस करके यह एग्जिट पोल बनाया गया।

राजस्थान में भाजपा को पूर्ण बहुमत, रिवाज बरकरार
राजस्थान के वोटर्स रिवाज को कायम रखते हुए राज बदलने के संकेत दे रहे हैं। 200 सीटाें वाले राजस्थान में 17 नवंबर को एक सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के निधन के कारण 199 सीटों पर वोटिंग हुई थी। भास्कर के पोल में यहां भाजपा को 98 से 105 सीटें मिलने का अनुमान है। लग रहा है कि कांग्रेस इस बार दो अंकों में सिमटती हुई 85 से 95 सीटों के बीच ही ला पाएगी।

बागी और निर्दलीय प्रत्याशी 10 से 15 सीटें ला सकते हैं, लेकिन 2018 की तरह किंगमेकर नहीं बन पाएंगे क्योंकि भाजपा पूर्ण बहुमत अपने दम पर लाती दिख रही है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस को बढ़त, फिर से हंग असेंबली के आसार
230 सीटों वाले मध्य प्रदेश में इस बार चुनावी इतिहास का सबसे दिलचस्प मुकाबला है। यहां के एग्जिट पोल में जीत-हार की बजाय कांटे की ऐसी टक्कर है जिसमें सिर्फ 10 सीटों से बाजी पलट सकती है। कांग्रेस को 105 से 120 सीटें मिल सकती है, जबकि भाजपा 95 से 115 तक पहुंच सकती है।

निर्दलीय और बागी 15 सीटों के साथ किंगमेकर बन सकते हैं। यहां लगभग 2018 के नतीजों जैसी ही स्थिति है जब कांग्रेस ने निर्दलीय और बागियों के समर्थन से सरकार बनाई थी।

छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को पूर्ण बहुमत, भाजपा का बेस बढ़ा
छत्तीसगढ़ के वाेटर्स कांग्रेस और भूपेश बघेल पर फिर से भरोसा दिखाते लग रहे हैं। भास्कर के पोल में यहां कांग्रेस को 45 से 55 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिलने का अनुमान है। हालांकि कांग्रेस 2018 जैसा एकतरफा प्रदर्शन दोहराती नहीं दिख रही, लेकिन इसे पूर्ण बहुमत मिल रहा है। 2018 में कांग्रेस ने 90 में से 68 सीटें जीतकर भाजपा को सिर्फ 15 सीटों पर समेट दिया था।

दोनों मुख्य पार्टियों के बागी, अमित जोगी की जनता कांग्रेस और निर्दलीय करीब 10 सीटें पा सकते हैं, लेकिन सरकार बनाने में इनकी कोई भूमिका नजर नहीं आती।

भास्कर एग्जिट पोल सर्वे का तरीका
दैनिक भास्कर ने तीन राज्यों में इस मेगा-सर्वे को करने के लिए 3 फेज अप्रोच पर काम किया। इसे करने में भास्कर नेटवर्क के 300 से ज्यादा रिपोर्टरों ने फील्ड में जाकर वोटर्स से बात की और डेटा जमा किया। भास्कर सर्वे के 3 फेज –

i. वोटिंग से पहले ओपिनियन पोल: वोटर्स का मूड समझने और हवा का रुख भांपने के लिए हर स्टेट में दो लेवल पर ओपिनियन पोल किए गए।

ii. वोटिंग वाले दिन फीडबैक: वोटर्स किस कैंडिडेट और पार्टी की ओर झुकाव दिखा रहे, यह समझने के लिए तीनों राज्यों में वोटिंग के दिन लोगों से फीडबैक लिया गया।

iii. एक्सपर्ट सर्वे: भास्कर की टीम ने हर राज्य में रीजन वाइज चुनावी एक्सपर्ट, प्रबुद्धजनों और वरिष्ठ पत्रकारों से बात करके वोटर्स के मिजाज को समझा।

राज्यवार भास्कर एग्जिट पोल की 5 बड़ी बातें

1. तीनों राज्यों में वोट स्विंग प्रतिशत का हिसाब

राजस्थान : यहां सरकार में लौट रही भाजपा को 4% निर्णायक वोट ज्यादा मिलने का अनुमान है। जबकि कांग्रेस के 3% वोट घट रहे हैं। निर्दलीय और छोटी पार्टियों के वोटों में भी 1% की कमी हो सकती है।

मध्य प्रदेश: सिंधिया के साथ आने और उपचुनाव के जरिये फिर से सत्ता पाने वाली भाजपा को करीब 5% वोटों का नुकसान होता लग रहा है। कांग्रेस का वोट शेयर 6% बढ़ रहा है। यहां निर्दलीय और छोटी पार्टियों के वोट शेयर में 1% की कमी हो सकती है।

छत्तीसगढ़: सत्ता बरकरार रखने में कामयाब होती दिख रही कांग्रेस का वोट शेयर 2% घट सकता है, जबकि भाजपा का बेस 3% बढ़ सकता है। यहां भी निर्दलीय और छोटी पार्टियों के वोट शेयर में 1% की कमी हो सकती है।

2. महिला और युवा, मिडिल एज और सीनियर वोटर्स का रुख

राजस्थान: यहां पहली बार वोट डाल रहे युवा वोटर्स और 25 से 45 साल वाले पुरुषों का झुकाव भाजपा के पक्ष में दिख रहा है। महिलाओं ने दोनों पार्टियों को बराबरी से चुना है जबकि 45 से ज्यादा उम्र वाले वोटर्स की पसंद कांग्रेस है।

मध्य प्रदेश: प्रदेश में सीएम शिवराज की लाडली बहना योजना का असर दिखा है। यहां महिलाएं कांग्रेस की तुलना में भाजपा को चुन रही हैं। 18 से 25 साल वाले युवा वोटर्स का वोट भी भाजपा को मिलता दिख रहा है। पुरुष और 25 से 45 आयु वर्ग के वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। सीनियर वोटर्स ने अपनी पारंपरिक पैटर्न के हिसाब से दोनों पार्टियों को चुना है।

छत्तीसगढ़: महिलाओं और 25 से 45 साल वाले वोटर्स का झुकाव कांग्रेस की तरफ है। 18 से 25 साल वाले युवा वोटर्स का वोट भाजपा को मिलता दिख रहा है। सीनियर वोटर्स ने दोनों पार्टियों को चुना है।

3. सीएम फेस के लिए पहली पसंद कौन?
राजस्थान
: बिना चेहरे के मुकाबला जीत रही भाजपा के लिए वसुंधरा राजे 40% वोटर्स की पसंद है, जबकि कांग्रेस से अशोक गहलोत को 34% वोटर्स फिर सीएम देखना चाहते हैं।

मध्य प्रदेश: यहां दोनों प्रमुख पार्टियों में सीटों की तरह ही सीएम फेस में भी सिर्फ 1% का अंतर है। हालांकि भाजपा ने मोदी के चेहरे पर दांव लगाया था, फिर भी शिवराज सिंह चौहान को 40% लोग सीएम देखना चाहते हैं। 2018 में जीतकर 15 महीने सरकार चला चुके कमलनाथ को 39% लोग पसंद कर रहे हैं।

छत्तीसगढ़: यहां भूपेश बघेल का प्रभाव बढ़ता दिख रहा है। कांग्रेस ने भले ही उन्हें बतौर सीएम प्रोजेक्ट नहीं किया, फिर भी बघेल 45% वोटर्स की पसंद है। भाजपा के दिग्गज डॉ. रमन सिंह को 25% वोटर्स फिर से सीएम देखना चाहते हैं।

4. वोटर्स को प्रभावित करने वाले फैक्टर्स

भास्कर पोल में वोटर्स ने सीधे तौर पर तीनों राज्यों में कुछ प्रमुख फैक्टर्स की ओर इशारा किया। ये हैं –

राजस्थान में 3 प्रमुख फैक्टर:

i. कांग्रेस की फूट से नुकसान: यहां वोटर्स के मन में कांग्रेस की फूट का असर साफ दिख रहा है। गहलोत और पायलट के बीच 4 साल से चली आ रही भारी खींचतान ने कांग्रेस को भारी नुकसान पहुंचाया है। यहां के नतीजों में भाजपा अपने दम पर नहीं जीत रही, बल्कि उसे कांग्रेस की फूट से जीत मिल रही है।

ii. गहलोत की योजनाएं देर से आईं: वोटर्स को लगता है कि चुनावी साल में अपनी डांवाडोल स्थिति को संभालने में सीएम गहलोत ने देर कर दी। उनकी लुभावनी योजनाओं का असर वोट में नहीं बदल पाया। लोगों को लगा कि ऐसी योजनाएं 4 साल पहले क्यों नहीं लाई गईं। वोटर्स को लगा कि ये वोट जुगाड़ने की लॉलीपॉप स्कीम्स हैं।

iii. भाजपा ने वसुंधरा को ऐन मौके पर बढ़ाया: राजस्थान में साइड लाइन पर चल रहीं पूर्व सीएम वसुंधरा को भाजपा ने चुनाव के महीने भर पहले सुपर एक्टिव किया। भाजपा हाईकमान ने भले ही उन्हें बतौर सीएम चेहरा प्रोजेक्ट नहीं किया, लेकिन उनकी लाइन को छोटा भी नहीं किया। इससे ओवरऑल भाजपा को फायदा मिलता दिख रहा है।

मध्य प्रदेश में 3 प्रमुख फैक्टर्स: मध्य प्रदेश के वोटर्स को लगता है कि तीन फैक्टर्स के कारण कांग्रेस 2018 की सफलता दोहरा सकती है –

i. शिवराज से ज्यादा सरकार के प्रति नाराजगी: मध्य प्रदेश में 18 साल की एंटी इनकम्बेंसी ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। खास तौर पर 2020 में जोड़-तोड़ से सरकार बनाने का गुस्सा भी वोटर्स के मन में दिखा। शिवराज ने अपने दम पर कोशिशें कीं, लेकिन ऐन-चुनाव से पहले भाजपा की सेंट्रल लीडरशिप ने पूरा होल्ड लेकर उन्हें कमजोर कर दिया। चुनाव प्रचार में भी इसकी झलकियां मिलीं, जब पार्टी के बड़े नेताओं ने शिवराज के साथ बहुत कम मंच साझा किया।

ii. कांग्रेस पर कमलाथ का सिंगल हैंड होल्ड: वोटर्स को लगता है कि मध्य प्रदेश में कांग्रेस का मतलब अब कमलनाथ है। कमलनाथ ने 2023 का पूरा चुनाव अपने दम पर लड़ा। टिकटों के बंटवारे से लेकर INDIA गठबंधन की रैली टालने तक पार्टी से लगभग अपना हर फैसला मंजूर करवाया। 2018 में जीतकर भी सरकार गवां देने की सहानुभूति भी उनके साथ दिखी।

iii. सिंधिया को लेकर कांग्रेस की रणनीति सही बैठी: कांग्रेस ने मार्च 2020 की होली पर सिंधिया की बगावत को मध्य प्रदेश में प्रचार में खूब भुनाया। स्टार प्रचारकों से लेकर स्टेट लीडरशिप ने हर मंच से सिंधिया को गद्दार बताते हुए वोटर्स से सहानुभूति मांगी। ग्वालियर-चंबल में इसका असर होता दिख रहा।

छत्तीसगढ़: यहां के वोटर्स को लगता है कि इन 3 फैक्टर्स के कारण भूपेश बघेल ने फिर से खुद को साबित कर दिया –

i. बघेल को घेर नहीं पाई भाजपा: छत्तीसगढ़ के वोटर्स को लगता है कि चुनाव सीएम बघेल vs भाजपा लड़ा गया। चुनाव से ठीक पहले महादेव ऐप घोटाले के जरिये बघेल को घेरना उन्हें और चर्चा में लाकर मजबूत कर गया। कांग्रेस की सेंट्रल लीडरशिप ने भी बघेल को फ्री-हैंड दिया और टीएस सिंहदेव जैसे नेता भी साथ आ गए।

ii. जन हितैषी योजनाओं ने असर डाला: छत्तीसगढ़ में सीएम बघेल की 18 से ज्यादा लुभावनी योजनाओं का असर दिख रहा। इनमें बिजली हाफ योजना, गोधन न्याय योजना, सुपोषण अभियान काफी असर दिखा गए। भाजपा के पास इन योजनाओं की कोई काट नहीं दिखी।

iii. भाजपा में कोई चेहरा न होना: छत्तीसगढ़ में 71 साल के रमन सिंह को किनारे करके चुनाव लड़ी भाजपा उनकी जगह लेने वाला असरदार नेता नहीं खोज पाई। हालांकि भाजपा सीटों पर अपना पिछला प्रदर्शन सुधारती दिख रही, लेकिन कोई सर्वमान्य लोकल लीडर न होने का फायदा कांग्रेस को साफ मिलता दिख रहा।

5. मोदी का चेहरा vs राहुल और प्रियंका

इन चुनावों में पीएम मोदी मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा एक्टिव रहे। उन्होंने 40 से ज्यादा रैलियां और रोड शो किए। एक तरह से तीनों राज्यों को मोदी अपने मन में लिए दिखे। मोदी की तुलना में राहुल ने 18 और प्रियंका ने 24 रैलियां और शो किए। यानी दोनों भाई-बहन ने 42 बड़े इलाके कवर किए। एग्जिट पोल के रुझानों में मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की स्थिति में सुधार मोदी के आक्रामक प्रचार का असर दिखाता है। राहुल-प्रियंका के प्रचार ने कांग्रेस की स्टेट लीडरशिप को ग्राउंड पर एक्टिव करने का काम ज्यादा किया।

और आखिर में हमारे कार्टूनिस्ट मंसूर नकवी की नजर से एग्जिट पोल…

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