ट्विन टावर ब्लास्ट के बाद ग्राउंड जीरो का पहला VIDEO: कंपनी के 6 अफसर जमीन को प्रणाम कर अंदर गए, 30 मिनट बाद ब्लैक बॉक्स लेकर लौटे

नोएडा33 मिनट पहले

नोएडा में बने सुपरटेक के अवैध ट्विन टावर रविवार दोपहर ढाई बजे ढहा दिए गए। सोमवार को ब्लास्ट के तुंरत बाद का एक वीडियो सामने आया है। वीडियो में नजर आ रहा है कि एमराल्ड कोर्ट के बाहर पांच से छह शख्स नजर आ रहे हैं। इसमें से एक शख्स जमीन को प्रणाम करता है। इसके बाद गेट खोलकर सभी अंदर जाते हैं। चारों तरफ धूल ही धूल है। मलबा जमीन पर जगह-जगह बिखरा पड़ा है। सभी ट्विन टावर के मलबे के पास पहुंचते हैं और हालात को चेक करते हैं।

ब्लास्ट के बाद सोसायटी के अंदर जाते कंपनी के कर्मचारी।

ब्लास्ट के बाद सोसायटी के अंदर जाते कंपनी के कर्मचारी।

30 मिनट चेकिंग के बाद दिया था क्लीयरेंस
बताया जा रहा है कि ये सभी एडिफिश कंपनी के कर्मचारी हैं, जिनका ब्लास्ट में अहम रोल रहा है। इसमें जो ब्रिंकमैन, मयूर मेहता, डीसीपी राजेश एस, चेतन दत्ता, मार्टिनेस बोथा और स्मिथ शामिल थे। 30 मिनट चेकिंग के बाद इन्होंने ही ब्लास्ट सक्सेसफुल होने का दावा किया था।

रविवार को ब्लास्ट के बाद एक ब्लैक बॉक्स निकाला था। इस ब्लैक बॉक्स में ब्लास्ट की फुटेज हैं। एडिफिस कंपनी ने छह ब्लैक बॉक्स लगाए थे। इसमें एक ही अभी मिला है। बाकी के बॉक्स अभी मलबे में ही दबे हुए हैं।

ट्विन टावर को गिराने के लिए लगाया गया था 3700 किलो बारूद
एडिफिस कंपनी अब इस जगह पर पार्क बनाएगी। 100 मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले दोनों टावर गिरने में सिर्फ 12 सेकंड का वक्त लगा। इन्हें गिराने के लिए 3700 किलो बारूद का इस्तेमाल किया गया। इसके बाद दोनों टावर करीब 80 हजार टन मलबे में तब्दील हो गए। टावरों से निकले मलबे से टाइल्स बनाई जाएंगी।

बताया जा रहा है कि मलबे से करीब 4 हजार टन लोहा और इस्पात निकलेगा। टावर ढहने के बाद करीब 40-45 फीट ऊंचे मलबे का ढेर लग गया है, 50 मीटर तक मलबा फैला पड़ा है। इस मलबे को हटाने में 90 दिन लगेंगे। यहां से मलबा हटना शुरू होने पर रोजाना 1200-1300 ट्रक फेरे लगाएंगे।

15 करोड़ रुपए का निकला मलबा
प्लान के मुताबिक, यहां इकठ्ठा हुए 80 हजार टन मलबे का सेग्रीगेशन यानी अलग-अलग यहीं पर किया जाएगा। इस प्रक्रिया में 20 से 25 दिन का समय लग जाएगा। मलबे में कंक्रीट और स्टील शामिल हैं, जिनकी कीमत करीब 15 करोड़ रुपए आंकी गई है।

ब्लास्ट के बाद एडिफिस कंपनी ने दो घंटे तक जांच पड़ताल की। उन्होंने देखा कि कहीं कोई डेटोनेटर ब्लास्ट होने से बच तो नहीं गया। सब कुछ सही मिलने के बाद रात करीब 9 बजे आसपास रहने वालों को वापस लौटने का ग्रीन सिग्नल दिया गया। साथ ही सोसायटी की लाइट, पानी सप्लाई और गैस लाइन की सप्लाई बहाल की।

ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिरा ट्विन टावर।

ताश के पत्तों की तरह भरभराकर गिरा ट्विन टावर।

तीन जगहों पर निस्तारित किया जाएगा मलबा
मलबे का तीन जगह निस्तारण किया जाएगा। 35-40 हजार टन मलबा ट्विन टावर के डबल बेसमेंट में भरा जाएगा। इसके बाद करीब 30 हजार टन मलबा सेक्टर-80 में प्राधिकरण के बने सी एंड डी वेस्ट प्लांट में ले जाया जाएगा। यहां वैज्ञानिक पद्धति पर इसका निस्तारण किया जाएगा। यहां टाइल्स आदि बनाई जाएगी। रोजाना करीब तीन हजार टन मलबे का निस्तारण होने की क्षमता है। इसके बाद बचे करीब 10 हजार टन मलबे को डूब क्षेत्र में एक गांव में ली गई जमीन में गढ्ढे में डाला जाएगा।

सोसायटी में रहने वालों को हो सकती है परेशानी
मलबा हटने तक सुपरटेक एमरॉल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज सोसायटी में रहने वाले लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि टावर ध्वस्तीकरण के दौरान करीब तीन किलोमीटर व 300 मीटर ऊंचाई तक धूल उड़ने की आंशका जताई गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टावर की ऊंचाई से ऊपर जाने के बजाए नीचे की ओर ही धूल बैठती चली गई। दायरा भी कम रहा।

12 सेकंड में खत्म हो गया ट्विन टावर। दोनों टावर को गिराने के लिए लगाया गया था 3700 किलो बारूद।

12 सेकंड में खत्म हो गया ट्विन टावर। दोनों टावर को गिराने के लिए लगाया गया था 3700 किलो बारूद।

अफसरों पर अब तक नहीं हुई कोई कार्रवाई
ट्विन टावर तो ब्लास्ट हो गए, लेकिन इनको बनाने की मंजूरी देने वाले नोएडा प्राधिकरण के अफसरों पर अब तक कार्रवाई नहीं हुई है। अभी तक सिर्फ चार अधिकारी निलंबित किए गए हैं। रिटायर्ड 20 अधिकारियों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। कार्रवाई तो दूर इन अधिकारियों से पूछताछ तक विजिलेंस नहीं कर सकी है।

31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था टावर गिरने का आदेश
नोएडा प्राधिकरण-बिल्डर के गठजोड़ से नियमों की अनदेखी कर ये भ्रष्टाचारी रूपी टावर खड़े हुए थे। इनको गिराने का आदेश 31 अगस्त 2021 को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था। इस मामले में शामिल अधिकारियों व बिल्डर पर कार्रवाई के आदेश भी दिए थे, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी सरकार ने मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया था।

24 अधिकारियों पर कराई गई थी FIR
SIT की जांच रिपोर्ट के बाद नोएडा प्राधिकरण ने 2004 से 2012 में तैनात रहे करीब 24 अधिकारियों पर लखनऊ में FIR दर्ज कराई थी। इनमें तत्कालीन CO मोहिंदर सिंह व एस के द्विवेदी, ACEO आरपी अरोड़ा व पीएन बाथम, OSD यशपाल सिंह, वित्त नियंत्रक एसी सिंह, मुख्य परियोजना अभियंता के के पांडे, सहित नियोजन व वर्क सर्किल के अधिकारी शामिल थे।

टावर गिरने के बाद आस-पास के बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा है।

टावर गिरने के बाद आस-पास के बिल्डिंग को भी नुकसान पहुंचा है।

20 अधिकारी पहले ही हो चुके थे रिटायर
हैरानी वाली बात यह है कि जिस वक्त FIR हुई थी, करीब 20 अधिकारी पहले ही रिटायर हो चुके थे। उस दौरान नियोजन विभाग में रहे ऋतुराज व्यास, मुकेश गोयल, विमला सिंह, अनीता को निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा अग्निशमन विभाग के अधिकारियों पर हाल ही में कार्रवाई हुई है।

सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ भी दर्ज हुआ था मामला
मामले में सुपरटेक बिल्डर के खिलाफ भी मामला दर्ज हुआ था। लखनऊ विजिलेंस को जांच सौंपी गई थी। खास बात यह है कि FIR को दर्ज हुए करीब 10 महीने का समय हो चुका है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

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