झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की तैयारी: कल कैबिनेट मीटिंग में होगा फैसला, सोरेन ला सकते हैं विश्वास प्रस्ताव

रांची6 घंटे पहलेलेखक: शंभू नाथ

झारखंड सरकार विधानसभा का विशेष सत्र बुला सकती है। कल होने वाली कैबिनेट की बैठक में इस एजेंडे को शामिल किया गया है। अगर कैबिनेट में सभी मंत्रियों की सहमति मिल जाती है तो दिल्ली की तर्ज पर सरकार विशेष सत्र बुलाकर अपना विश्वास मत पेश कर सकती है।

इससे पहले, राज्य में जारी सियासी संकट के बीच 4 मंत्री रायपुर से रांची पहुंचे। गुरुवार को ये सभी कैबिनेट की बैठक में शामिल होंगे। कांग्रेस कोटे के चारों मंत्री आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, रामेश्वर उरांव और बादल पत्रलेख स्पेशल फ्लाइट से रायपुर से रांची रवाना हुए थे।

एयरपोर्ट के लिए निकलने से पहले आलमगीर आलम ने बताया कि कल वापस आ रहे हैं। सरकार का कोई भी काम प्रभावित ना हो, इसलिए पहले से प्रस्तावित कैबिनेट में हिस्सा लेने के लिए रांची जा रहे हैं।

इस बीच, रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट के बाहर एक संगठन के लोग प्रदर्शन करने पहुंच गए हैं। ये झारखंड सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ नरेबाजी कर रहे हैं। साथ ही अंकिता के हत्यारे शाहरुख को फांसी देने की मांग कर रहे हैं।

प्रदर्शन करने वालों में एक निर्दलीय पार्षद भी हैं। उन्होंने बताया कि वे भगोड़ा सरकार की निंदा करते हैं। जहां बेटियों को हिंदू के घरों में पेट्रोल डालकर जला दिया जाता है, वहां की पूरी सरकार भागकर दूसरे राज्य में शरण ले रही है।

झारखंड सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ नारेबाजी करते लोग।

झारखंड सरकार के मंत्रियों और विधायकों के खिलाफ नारेबाजी करते लोग।

सरकार के विश्वस्त सूत्रों की मानें तो दो कद्दावर नेताओं पर हेमंत सोरेन को शक है, जो सरकार में फूट डालने की कोशिश कर रहे हैं। इनमें एक JMM के हैं और एक कांग्रेस के। हेमंत सोरेन इन्हीं पर शिकंजा कसने की कोशिश कर रहे हैं। सभी विधायकों को रांची से बाहर निकालना भी इसी का हिस्सा है।

महागठबंधन के बड़े विधायकों की मानें तो टूट का सबसे ज्यादा डर कांग्रेस के खेमे में है। इस मामले पर झारखंड को लंबे समय से कवर कर रहे सीनियर जर्नलिस्ट रवि प्रकाश कहते हैं कि JMM के जितने विधायक हैं, उनका अपना ग्राउंड तो है, लेकिन वो जीतते हैं केवल शिबू सोरेन के नाम पर। इनको पता है कि अगर अभी शिबू सोरेन के खिलाफ हो गए तो अगला चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा।

हॉर्स ट्रेडिंग का डर, इसलिए विधायकों को शिफ्ट किया: भूपेश

इधर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शिमला के लिए रवाना हो गए हैं। शिमला जाने से पहले उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से हॉर्स ट्रेडिंग कर रही है, इसके चलते झारखंड के विधायकों को छत्तीसगढ़ में ठहरने के लिए कहा गया है। एक सप्ताह हो गया है राजभवन से नोटिफिकेशन को लेकर लिफाफा नहीं खुल पाया है। इसका मतलब साफ है कि अंदर खाने कुछ तो पक रहा है। ऐसी स्थिति में विधायकों की सुरक्षा के लिए वो छत्तीसगढ़ में आए हैं, यहां रिसॉर्ट में हैं।

रायपुर के मेफेयर रिजॉर्ट में 31 विधायक

झारखंड में सियासी संकट के बीच UPA के विधायकों को रायपुर एयरलिफ्ट किया गया है। कांग्रेस-JMM और राजद के 31 विधायकों को रांची से इंडिगो के विशेष विमान से रायपुर लाया गया है। विधायकों को 3 बसों में बैठाकर नवा रायपुर के मेफेयर रिसॉर्ट ले जाया गया। रिसॉर्ट के बाहर चप्पे-चप्पे पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई है। इस रिसॉर्ट को 2 दिनों के लिए बुक किया गया है। देर रात छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी विधायकों से रिसॉर्ट में मुलाकात की।

विधायकों के लिए मेफेयर रिसॉर्ट को ही क्यों चुना गया?

मेफेयर अभी तक कांग्रेस विधायकों के लिए सबसे अभेद रहा है। पिछले साल जब असम में विधानसभा चुनाव हुए थे और वहां विपक्ष के विधायकों की खरीद-फरोख्त शुरू हुई थी, तब वहां विपक्ष के लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायकों को रायपुर के इसी मेफेयर रिसॉर्ट में लाया गया था। वहीं जब हरियाणा में राज्यसभा चुनाव होना था, तो वहां भी बीजेपी की तरफ से खरीद-फरोख्त की बात सामने आई, इस पर हरियाणा के विधायकों को मेफेयर में ही ठहराया गया था। अब जब झारखंड सरकार के सामने संकट आया है तो विधायकों को यहां लाया गया है। छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल को क्राइसिस मैनेजमेंट का मास्टर माना जाता है।

विधायकों के लिए रिसॉर्ट में शराब पहुंची

नवा रायपुर के जिस मेफेयर रिसॉर्ट में विधायकों को ठहराया गया है, वहां शराब भेजी गई है। छत्तीसगढ़ आबकारी विभाग की एक गाड़ी में महंगी शराब पेटियों में पहुंचाई गई है। बताया जा रहा है कि ये विधायकों के लिए ही भेजी गई है।

RPN सिंह के कंधे पर है कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी

BJP में जाने से पहले RPN सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी थे। राज्य में कांग्रेस को खड़ा करने और सत्ता में साझीदार बनाने में उनकी अहम भूमिका मानी जाती है। टिकट बंटवारे से लेकर मंत्री तय करने तक का सार काम खुद RPN सिंह ने संभाला था। माना जाता है कि उन्हें झारखंड कांग्रेस की मजबूती और कमजोरी दोनों की बखूबी जानकारी है। इसलिए अब कांग्रेस को तोड़ने की जिम्मेदारी बीजेपी ने उन्हें ही दी है।

कई विधायक अभी भी सीधे RPN के संपर्क हैं

झारखंड कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो अभी भी झारखंड कांग्रेस के कई विधायक सीधे RPN सिंह के संपर्क में हैं। लगातार इनकी दिल्ली में RPN सिंह से मुलाकात हो रही है। यही कारण है कि अविनाश पांडे कांग्रेस को बचाने की मुहिम में खुद फ्रंट से लीड कर रहे हैं। हालांकि ऑफ द रिकॉर्ड वे भी इस बात को स्वीकार कर चुके हैं कि ये एक जटिल काम है।

कांग्रेस को तोड़कर अलग दल बनाने की हो रही कोशिश

झारखंड कांग्रेस के एक बड़े नेता ने दैनिक भास्कर को बताया कि RPN सिंह ने कांग्रेस में टूट कराने की जिम्मेदारी पार्टी के एक वरिष्ठ नेता को दी है। इसकी पूरी प्लानिंग भी हो गई थी। कांग्रेस के लगभग 12 विधायकों को तोड़ कर एक दल बनाने की तैयारी थी, जिनका नेता उस वरिष्ठ सदस्य को चुना जाना था।

कोलकाता कैश कांड के बाद बिगड़ा खेल

RPN सिंह की प्लानिंग लगभग पूरी तरह लागू भी हो गई थी, लेकिन इससे ठीक पहले कांग्रेस के तीन विधायक इरफान अंसारी, राजेश कच्छप और नमन विक्सल कोंगाड़ी कैश के साथ कोलकाता में धरे गए। इसके बाद टूट का खेल बिगड़ गया। कांग्रेस के प्रभारी ने उन्हें इस पूरे खेल का खुलासा करने के लिए कहा, लेकिन जब उन्होंने ऐसा करने से मना कर दिया तो अब पार्टी उनके खिलाफ एक्शन लेने के मोड में है। उनकी विधायकी पर भी तलवार लटक सकती है।

हेमंत इस बार पूरी तरह अलर्ट

सीनियर जर्नलिस्ट रवि प्रकाश कहते हैं कि इस बार हेमंत पूरी तरह अलर्ट हैं। उन्हें पता है कि इतनी सीट पहली बार उन्हें हासिल हुई है और वे किसी भी तरह से इस मौके को खोना नहीं चाहते हैं। यही कारण है कि वे खरीद-फरोख्त और टूट के मामले में BJP को पूरी तरह चेज करते हुए दिखाई दे रहे हैं।

सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई

इधर सियासी संकट के बीच CM हेमंत सोरेन ने 1 सितंबर को कैबिनेट की बैठक बुलाई है। इसमें जनता के हित से जुड़े कई अहम फैसले लेने संबंधी बातें कही जा रही हैं। सोमवार यानी 29 अगस्त को CM सोरेन के भाई बसंत सोरेन की विधायकी पर भी चुनाव आयोग में चर्चा हुई, लेकिन इस पर कोई निर्णय नहीं हो सका।

चुनाव आयोग को राज‌‌भवन के पत्र का इंतजार

चुनाव आयोग के एक बड़े पदाधिकारी की मानें तो गेंद अभी भी राजभवन के पाले में हैं। चुनाव आयोग ने पहले ही मामले की पूरी जांच-पड़ताल के बाद अपना निर्णय सुना दिया है। आदेश राज्यपाल को जारी करना है। राजभवन के निर्देश के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। राजभवन इस संबंध में गैजेट जारी करेंगे, जिसे राज्य निर्वाचन आयोग विधानसभा स्पीकर को देगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

अब CM ने भी साधा राज्यपाल पर निशाना

चुनाव आयोग से आए निर्देश संबंधी सवाल पूछने पर CM हेमंत सोरेन ने राज्यपाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यह तो राज्यपाल रमेश बैस ही बताएंगे। वे भी इंतजार कर रहे हैं। मौजूदा स्थिति के विषय में ज्यादा अच्छे से राजभवन ही बता पाएगा। CM ने कहा कि वह कुर्सी से दिल्लगी नहीं करते। वे राज्य के सवा तीन करोड़ लोग, आदिवासी, दलित, पिछड़े, गरीब, मजदूरों से दिल्लगी करते हैं।

सोरेन की पत्नी का नाम सबसे आगे

अगर सोरेन की मुख्यमंत्री की कुर्सी जाती है तो इस पद के लिए सबसे पहला नाम सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन का है। दूसरे और तीसरे नंबर पर जोबा मांझी और चंपई सोरेन हैं। दोनों सोरेन परिवार के काफी करीबी और विश्वस्त हैं। कांग्रेस ने भी इन नामों पर अभी तक किसी तरह की आपत्ति नहीं जताई है।

क्या है खनन पट्टे का मामला?

10 फरवरी को पूर्व CM रघुवर दास के नेतृत्व में BJP के एक डेलिगेशन ने गवर्नर से मुलाकात की थी। BJP ने राज्यपाल से CM सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी। BJP ने आरोप लगाया था कि CM सोरेन ने पद पर रहते हुए रांची के अनगड़ा में 88 डिसमिल पत्थर माइनिंग लीज लिया है। BJP का आरोप है कि यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RP) 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है। गवर्नर ने BJP की यह शिकायत चुनाव आयोग को भेजी।

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