चुनाव आयोग बूथ वार वोटिंग डेटा देने के खिलाफ: सुप्रीम कोर्ट में कहा- इसमें बैलट पेपर के आंकड़े भी होंगे, इससे वोटर्स में भ्रम फैलेगा

नई दिल्ली7 मिनट पहले

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एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) नाम के एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें वोटिंग के 48 घंटे के भीतर सभी बूथ का फाइनल डेटा जारी करने की मांग की गई है। - Dainik Bhaskar

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) नाम के एक NGO ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें वोटिंग के 48 घंटे के भीतर सभी बूथ का फाइनल डेटा जारी करने की मांग की गई है।

चुनाव आयोग ने चुनाव के 48 घंटे के भीतर बूथ वार वोटिंग का डेटा सार्वजनिक करने की मांग का विरोध किया है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एफिडेविट में आयोग ने बुधवार को कहा, ‘फॉर्म 17सी (हर मतदान केंद्र पर डाले गए वोटों का रिकॉर्ड) के आधार पर वोटिंग डेटा का खुलासा करने से मतदाताओं के बीच भ्रम पैदा होगा, क्योंकि इसमें बैलट पेपर की गिनती भी शामिल होगी।’

आयोग ने कहा, ‘ऐसा कोई कानून नहीं है, जिसके आधार पर सभी मतदान केंद्रों का फाइनल वोटिंग डेटा जारी करने के लिए कहा जा सके। फॉर्म 17सी केवल पोलिंग एजेंट को दे सकते हैं। इसे किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को देने की अनुमति नहीं है।’ फॉर्म 17सी वह प्रमाण पत्र है, जिसे पीठासीन अधिकारी सभी प्रत्याशियों को प्रमाणित करके देता है।

चुनाव आयोग ने कहा, ‘कई बार जीत-हार का अंतर नजदीकी होता है। आम वोटर फॉर्म 17सी के अनुसार बूथ पर पड़े कुल वोटों और बैलट पेपर को आसानी से नहीं समझ सकते। ऐसे में इसका इस्तेमाल गलत तरीके से चुनावी प्रक्रिया पर कलंक लगाने के लिए किया जा सकता है, जिससे मौजूदा चुनाव में अव्यवस्था फैल सकती है।’

चुनाव आयोग पर वोटिंग पर्सेंट देर से जारी करने का आरोप
दरअसल, NGO एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई है। इसमें वोटिंग के 48 घंटे के भीतर सभी बूथ का फाइनल डेटा आयोग के वेबसाइट पर जारी करने की मांग की गई है।

NGO ने चुनाव आयोग पर लोकसभा चुनाव के पहले दो चरणों में वोटिंग पर्सेंट जारी करने में देरी का आरोप लगाया। याचिका में कहा गया कि पहले तो डेटा जारी करने में देरी हुई। इसके बाद शुरुआती डेटा के मुकाबले फाइनल डेटा में वोटिंग पर्सेंट काफी बढ़ गया।

याचिका के मुताबिक, चुनाव आयोग ने 19 अप्रैल को पहले चरण के मतदान के 11 दिन बाद और 26 अप्रैल को दूसरे चरण के मतदान के चार दिन बाद 30 अप्रैल को फाइनल वोटिंग पर्सेंट जारी किया था। इसमें वोटिंग के दिन जारी शुरुआती आंकड़े के मुकाबले वोटिंग पर्सेंट लगभग 5-6 प्रतिशत ज्यादा था।

6 बड़े राज्यों में 0.14% से 5.91% बढ़ गई वोटिंग

राज्य सीट शाम 7 बजे रात 12 बजे 22 मई
महाराष्ट्र 13 48.88% 54.33% 56.89%
उत्तर प्रदेश 14 57.59% 57.79% 58.02%
झारखंड 03 63.0% 63.09% 63.21%
ओडिशा 05 60.72% 69.34% 73.50%
बिहार 05 52.55% 54.85% 56.72%
प. बंगाल 07 73.0% 74.68% 78.45%

(शाम 7 और रात 12 बजे के मतदान के आंकड़े 20 मई को आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति के मुताबिक। 22 मई के आंकड़े वोटर टर्न आउट एप से)

चुनाव आयोग बोला- चुनाव प्रक्रिया को लेकर संदेह पैदा करने का अभियान चल रहा
सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को NGO की याचिका पर सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से एक हफ्ते में जवाब मांगा था। बुधवार (22 मई) को आयोग ने कहा, ‘चुनाव प्रक्रिया को लेकर भ्रामक दावों और निराधार आरोपों से संदेह पैदा करने का अभियान चल रहा है। इसे समझना होगा। सच सामने आने तक नुकसान हो चुका होगा। एडीआर कानूनी अधिकार का दावा कर रहा है लेकिन ऐसा कानून है ही नहीं।’

5वां फेज: यूपी में आंकड़ा 0.23, महाराष्ट्र में 2.6, बंगाल में 3.8, ओडिशा में 5.91% बढ़ा
आयोग ने पांचवें चरण के मतदान का फाइनल डेटा बुधवार को वोटर टर्नआउट एप पर जारी कर दिया। इस चरण में 20 मई को 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोटिंग हुई थी। तब रात 11:30 बजे जारी आयोग की विज्ञप्ति में इन सीटों पर 60.09% मतदान होना बताया था। ताजा आंकड़ों में कुल मतदान 2.11% ज्यादा दिख रहा है। यानी पांचवें चरण में कुल 62.20% वोटिंग हुई, जो 2019 से 0.17% ज्यादा है।

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