चुनावी वादे रोकने पर SC में आज फिर सुनवाई: CJI बोले- कोई सिंगापुर भेजने का वादा करे तो EC कैसे रोकेगा; पढ़िए वादों का चुनावों पर असर

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16 मिनट पहलेलेखक: नीरज श्रीवास्तव/अविनीश मिश्रा

राजनीतिक पार्टियों के मुफ्त वादों के खिलाफ लगी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को करीब 45 मिनट तक सुनवाई हुई। इसमें पार्टियों के मुफ्त वादों पर रोक लगाने की मांग गई है। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान संकेत दिया कि वह इस केस को बड़ी बेंच में भेजा जा सकता है। अगली सुनवाई बुधवार यानी 24 अगस्त को होगी।

सुनवाई के दौरान वकील विकास सिंह ने कहा कि मुफ्त वादों के चलते देश दिवालिया होने की स्थिति में है। इस पर CJI रमना ने कहा कि- मान लीजिए कोई वादा कर दूं कि चुनाव जीतने पर लोगों को सिंगापुर भेज दूंगा। तो चुनाव आयोग इस पर कैसे रोक सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में आज की सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल न्याय मित्र के तौर पर, जबकि अभिषेक मनु सिंघवी आम आदमी पार्टी और विकास सिंह याचिकाकर्ता के वकील के तौर पर पेश हुए। केस की सुनवाई कर रही चीफ जस्टिस एनवी रमना की बेंच में जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली शामिल थीं।

देशभर में फ्री स्कीम्स पर बहस के बीच कोर्ट इसकी परिभाषा तय करने की तैयारी में है। हालांकि तमाम राजनीतिक दल चुनावी मैदान में फ्री स्कीम्स का ऐलान करते रहे हैं। ग्राफिक्स के जरिए जानते हैं कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव देश की बड़ी पार्टियों भाजपा और कांग्रेस ने लोगों से क्या वादे किए थे और उनका चुनाव परिणाम पर क्या असर पड़ा था…

ऊपर के दोनों ग्राफिक्स से साफ है कि 2014 में जहां भाजपा और कांग्रेस की तरफ से कम से कम तीन-तीन ऐसी स्कीम्स की बात कही गई थी, जिनमें कुछ न कुछ मुफ्त दिया जाना था। हालांकि, 2019 के चुनाव में दोनों ही पार्टियों की तरफ से ऐसे ऐलान नहीं किए गए, जिन्हें सीधे-सीधे मुफ्त स्कीम्स में शामिल किया जा सके। दोनों ही बार बड़े अंतर से भाजपा ने जीत दर्ज की।

अब 8 राज्यों के विधानसभा चुनाव को देखकर यह समझने की कोशिश करते हैं कि राज्यों में मुफ्त स्कीम्स या फ्रीबीज के वादे से पॉलिटिकल पार्टियों को कितना फायदा मिलता है…

उत्तर प्रदेश: भाजपा ने मुफ्त गैस सिलेंडर की बात कही, सपा ने फ्री पेट्रोल-डीजल की

देश में सबसे ताजा विधानसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में इसी साल यानी 2022 में हुआ है। कुल 403 सीटों के लिए हुए चुनाव में भाजपा, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस तीनों ने ही मुफ्त स्कीम्स की झड़ी लगा दी। नतीजे आए, तो कुल 430 सीटों में से भाजपा को 255 सीटें मिलीं, जबकि सपा ने 111 सीटें हासिल कीं। वहीं, कांग्रेस महज दो सीटों पर सिमट गई।

बिहार: राजद, भाजपा और कांग्रेस ने मुफ्त योजनाओं का ऐलान किया, जदयू इससे दूर रही

उत्तर प्रदेश से ठीक पहले 2021 में बिहार विधानसभा के लिए चुनाव हुआ। चुनावी मैदान में राजद, जदयू, भाजपा और कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टियां थीं। इनमें राजद और कांग्रेस एक साथ थे, तो भाजपा और जदयू का गठबंधन था। जदयू को छोड़कर बाकी पार्टियों ने नौकरियां, पेंशन, कर्ज माफी जैसे वादे किए थे।

नतीजे आए तो कुल 243 सीटों में से 76 सीटें हासिल कर राजद सबसे बड़ी पार्टी बनी, जबकि भाजपा 75 सीटों के साथ दूसरे नंबर पर रही। जदयू को 45 सीटें मिली थीं। वहीं, कांग्रेस 19 सीटों पर ही जीत सकी थी। हालांकि बाद में नीतीश कुमार ने भाजपा का साथ छोड़कर राजद और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार बना ली।

मध्य प्रदेश: कांग्रेस ने कर्ज माफी का वादा किया, भाजपा ने फ्री लैपटॉप का

मध्य प्रदेश में 2018 में हुए चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच मुकाबला था। कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी का वादा किया और बेरोजगारी भत्ता देने की बात भी कही। दूसरी तरफ भाजपा ने भी बेरोजगारी भत्ते को चुनावी स्कीम्स में शामिल तो किया, लेकिन उसका नाम अनुदान कर दिया। साथ ही स्टूडेंट्स को स्कूटी और लैपटॉप देने जैसे वादे भी किए।

चुनाव नतीजे आए तो कुल 230 सीटों में से कांग्रेस ने 114 सीटें जीतीं, तो भाजपा ने 109 सीटों पर जीत दर्ज की। यहां कांग्रेस ने सरकार बनाई, जो 15 महीने बाद गिर गई और राज्य में एक बार फिर भाजपा की सरकार बन गई।

राजस्थान: कांग्रेस ने किसान पेंशन पर दांव लगाया, भाजपा ने बेरोजगारी भत्ते पर

मध्य प्रदेश के साथ राजस्थान में भी विधानसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस का जोर किसानों की कर्ज माफी और बुजुर्ग किसानों को पेंशन देने पर था। वहीं, भाजपा ने बेरोजगारों को 5 हजार रुपए बेरोजगारी भत्ता देने का वादा किया था। साथ ही हर साल 30 हजार सरकारी नौकरियों की बात भी कही थी।

चुनाव परिणाम आए तो कुल 200 सीटों वाली विधानसभा में कांग्रेस ने 100 सीटों पर जीत हासिल की, तो वहीं भाजपा ने 73 सीटें जीतीं। यहां भाजपा को सत्ता से हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई।

छत्तीसगढ़: कांग्रेस ने बिजली बिल आधा करने का वादा किया, भाजपा ने हजार रुपए पेंशन का

छत्तीसगढ़ विधानसभा का चुनाव भी 2018 में ही हुआ था। यहां कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी और बिजली बिल आधा करने का वादा किया। साथ ही राज्य के 10 लाख बेरोजगार युवाओं को भत्ता देने की बात कही। दूसरी तरफ भाजपा ने दो लाख किसानों को फ्री पंप कनेक्शन देने और भूमिहीन किसानों को हर महीने एक हजार रुपए पेंशन देने की बात कही थी।

चुनाव नतीजों में राज्य की कुल 90 सीटों में से कांग्रेस ने 63 सीटों पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा राज्य में महज 15 सीटों पर सिमट गई। यहां भी भाजपा को सत्ता से हटाकर कांग्रेस ने सरकार बनाई थी।

अब देश की हिंदी पट्टी के पांच राज्यों से इतर तीन और बड़े राज्यों के विधानसभा चुनाव पर नजर डाल लेते हैं, पिछले विधानसभा चुनाव में इन तीनों ही राज्यों में पहले से सत्ता में काबिज रहीं पार्टियों ने ही जीत दर्ज की है…

गुजरात: स्मार्टफोन, लैपटॉप देने की बात की, भाजपा ने सस्ती दवाओं और मोहल्ला क्लीनिक की

मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनाव से एक साल पहले गुजरात में विधानसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में कांग्रेस ने किसानों की कर्ज माफी और बिजली बिल आधे करने की बात कही थी। साथ ही गरीब परिवारों के लिए 20 लाख फ्लैट बनाने का वादा भी किया था। इतना ही नहीं, हायर एजुकेशन के लिए जाने वाले स्टूडेंट्स को स्मार्टफोन और लैपटॉप देने को भी कहा था। दूसरी तरफ राज्य की सत्ता पर काबिज भाजपा ने किसी फ्री स्कीम का वादा तो नहीं किया, लेकिन सस्ती दवा दुकानें और मोहल्ला क्लीनिक खोलने की बात जरूर कही।

चुनाव परिणाम आए तो राज्य विधानसभा की कुल 182 सीटों में से भाजपा ने कुल 99 सीटें जीतीं, वहीं कांग्रेस के खाते में कुल 82 सीटें ही आईं। चुनाव में कांग्रेस से कड़ी टक्कर मिलने के बावजूद भाजपा ने राज्य में एक बार फिर सरकार बनाई।

पश्चिम बंगाल: तृणमूल ने SC-ST महिलाओं को 12 हजार रु. देने की बात कही, भाजपा ने मछुआरों को 6 हजार

पश्चिम बंगाल में 2021 में विधानसभा चुनाव हुआ। यहां ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने किसानों को सालाना 10 हजार रुपए देने की बात कही। वहीं, SC-ST महिलाओं को सालाना 12 हजार रुपए और OBC महिलाओं को सालाना 6 हजार रुपए देने का वादा भी किया। इधर, भाजपा ने मछुआरों को सालाना 6 हजार रुपए देने का ऐलान किया। वहीं, महिलाओं को 33% आरक्षण और विधवा पेंशन 3 हजार रुपए करने का वादा भी किया।

चुनाव के नतीजे आए, तो राज्य की कुल 294 सीटों में से तृणमूल कांग्रेस ने 215 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं, भाजपा को 77 सीटें हासिल हुईं। इसके बाद बंगाल में एक बार फिर ममता बनर्जी की अगुआई में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी।

ओडिशा: बीजद ने भूमिहीनों को हर महीने 12 हजार देने का वादा किया, भाजपा ने लड़कियों को स्कूटी का

ओडिशा में 2019 में विधानसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में बीजू जनता दल (बीजद) ने राज्य के भूमिहीन किसानों को हर महीने 12 हजार रुपए देने का वादा किया था। साथ ही किसानों को भी 10 हजार रुपए की मदद देने की बात कही थी। राज्य के सभी स्कूल-कॉलेजों में मुफ्त वाई-फाई देने का वादा भी किया था। इधर, भाजपा ने 12वीं पास करने वाली छात्राओं को स्कूटी और किसानों को हर महीने तीन हजार रुपए की पेंशन देने की बात कही थी।

चुनाव नतीजे आए, तो राज्य की कुल 147 सीटों में से बीजद ने 112 सीटें जीतीं, जबकि भाजपा को 23 सीटें मिलीं। यहां राज्य की सत्ता में रही बीजद ने नवीन पटनायक की अगुआई में एक बार फिर सरकार बनाई।

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