चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल का हिस्सा अनियंत्रित हुआ: ISRO ने कहा-अज्ञात वजह से पृथ्वी के वातावरण में वापस लौटा, पैसिफिक ओशन में क्रैश हो सकता है

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बेंगलुरु5 मिनट पहले

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चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। 41 दिन बाद 23 अगस्त को यह शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर लैंड हुआ। - Dainik Bhaskar

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को 3 बजकर 35 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया गया था। 41 दिन बाद 23 अगस्त को यह शाम 6:04 बजे चंद्रमा पर लैंड हुआ।

चंद्रयान-3 को लॉन्च करने वाले LVM3 M4 लॉन्च व्हीकल का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर होकर पृथ्वी के वातावरण में दोबारा एंटर हो गया है। इसकी जानकारी इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (ISRO) ने बुधवार को दी।

अनियंत्रित होने वाला हिस्सा लॉन्च व्हीकल की क्रायोजेनिक अपर स्टेज थी, जिसने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को निर्धारित कक्षा में स्थापित किया था। इसरो ने बताया कि ये हिस्सा बुधवार दोपहर 2:42 बजे पृथ्वी के वातावरण में घुसा।

इसरो के मुताबिक, ये हिस्सा किस वजह से अनियंत्रित हुआ, इसकी अभी जानकारी सामने नहीं आई है। संभावना है कि ये हिस्सा नॉर्थ पैसिफिक ओशन में गिरेगा। इसका फाइनल ग्राउंड ट्रैक भारत के ऊपर से होकर नहीं गुजरा।

चंद्रयान-3 के LVM3 M4 लॉन्च व्हीकल की क्रायोजेनिक अपर स्टेज, जो अनियंत्रित होकर पृथ्वी के वातावरण में दोबारा दाखिल हुई।

चंद्रयान-3 के LVM3 M4 लॉन्च व्हीकल की क्रायोजेनिक अपर स्टेज, जो अनियंत्रित होकर पृथ्वी के वातावरण में दोबारा दाखिल हुई।

LVM3 M4 रॉकेट बॉडी का फाइनल ग्राउंड ट्रेस। इसका इम्पैक्ट लोकेशन नॉर्थ पैसिफिक ओशन के ऊपर रहा।

LVM3 M4 रॉकेट बॉडी का फाइनल ग्राउंड ट्रेस। इसका इम्पैक्ट लोकेशन नॉर्थ पैसिफिक ओशन के ऊपर रहा।

पैसिवेशन की प्रक्रिया से गुजरी थी अनियंत्रित हुई रॉकेट बॉडी
इसरो के बयान के मुताबिक, चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के 124 दिन बाद NORAD id 57321 नाम की यह रॉकेट बॉडी पृथ्वी में रि-एंटर हुई। चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद अपर स्टेज को पैसिवेशन नाम की एक प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ा।

इस प्रक्रिया में रॉकेट में मौजूद प्रोपेलैंट और एनर्जी सोर्स को हटाया गया, ताकि अंतरिक्ष में विस्फोट के खतरे को कम किया जा सके। ये प्रक्रिया भी इंटर-एजेंसी स्पेस डिब्रिस को-ऑर्डिनेशन एजेंसी (IADC) और यूनाइटिड नेशंस की गाइडलाइंस के तहत आती है।

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