गुजरात CID का दावा: फ्रांस से लौटी फ्लाइट के गुजराती पैसेंजर्स US में अवैध एंट्री के लिए ₹80 लाख देने वाले थे

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गांधीनगर15 मिनट पहले

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3 दिन फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर हिरासत में रहकर मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे भारतीय कैमरे से बचते नजर आए। - Dainik Bhaskar

3 दिन फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर हिरासत में रहकर मुंबई एयरपोर्ट पहुंचे भारतीय कैमरे से बचते नजर आए।

फ्रांस से भारतीय पैसेंजर्स को लेकर लौटी डंकी फ्लाइट के 60 गुजराती पैसेंजर्स अमेरिका में गैरकानूनी रूप से दाखिल होने के लिए 60 से 80 लाख रुपए देने वाले थे। यह दावा गुजरात CID ने किया है। पैसेंजर्स ने CID को बताया है कि लैटिन अमेरिकी देश निकारागुआ पहुंचने के बाद वे यह रकम इमिग्रेशन एजेंट्स को चुकाने वाले थे, ताकि उन्हें अमेरिका में अवैध तरीके से एंट्री मिल सके।

दुबई से निकारागुआ जा रहे एयरबस A340 प्लेन को मानव तस्करी के शक में चार दिन तक फ्रांस में रोका गया था। इसमें 303 पैसेंजर्स थे, जिनमें से 260 भारतीय थे। यह फ्लाइट 26 दिसंबर की सुबह मुंबई में लैंड हुई। इसमें 66 पैसेंजर्स गुजरात के थे, जिनसे गुजरात CID ने पूछताछ शुरू की थी।

गुजरात CID सुपरिंटेंडेंट बोले- 66 पैसेंजर्स में कई नाबालिग शामिल
CID क्राइम एंड रेलवे के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस संजय खरात ने कहा कि इन 66 पैसेंजर्स में कई नाबालिग भी शामिल थे, जो मुख्य तौर पर मेहसाणा, अहमदाबाद, गांधीनगर और आणंद जिलों से थे। संजय खरात ने बताया कि हमने 55 लोगों से पूछताछ कर ली है और उनके बयान रिकॉर्ड कर लिए हैं।

CID की तरफ से मंगलवार को जारी किए गए बयान में कहा गया है कि, इन पैसेंजर्स में से अधिकतर ने 8वीं से 12वीं क्लास तक पढ़ाई की है। इन सभी ने कबूल किया है कि वे निकारागुआ पहुंचने के बाद लोकल इमिग्रेशन एजेंट्स को 60 लाख से 80 लाख रुपए तक चुकाने वाले थे।

CID क्राइम एंड रेलवे के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस संजय खरात ने बताया कि इन सभी 55 पैसेंजर्स ने कबूल किया है कि वे एजेंट्स को 80 लाख रुपए तक देने वाले थे।

CID क्राइम एंड रेलवे के सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस संजय खरात ने बताया कि इन सभी 55 पैसेंजर्स ने कबूल किया है कि वे एजेंट्स को 80 लाख रुपए तक देने वाले थे।

CID को मिले 15 एजेंट्स के नाम-नंबर
CID ने अब तक 15 ऐसे एजेंट्स का नाम और कॉन्टैक्ट हासिल कर लिया है, जिन्होंने इन 55 लोगों को US-मेक्सिको बॉर्डर के जरिए अवैध रूप से अमेरिका में दाखिल करवाने का वादा किया था। इन एजेंट्स ने इन 55 लोगों से कहा था कि वे अमेरिका पहुंचने के बाद ही यह रकम दें।

एजेंट्स ने पैसजेंर्स को बताया था कि उनके लोग उन्हें निकारागुआ के बॉर्डर तक ले जाएंगे और बॉर्डर क्रॉस करने में मदद करेंगे। पैसेंजर्स ने ये भी बताया कि एजेंट्स ने इन पैसेंजर्स के लिए एयर टिकट बुक कराए थे और हर पैसेंजर को 1000 से लेकर 3000 अमेरिकी डॉलर भी दिए थे, ताकि इमरजेंसी में काम आ सकें।

एजेंट्स के प्लान के मुताबिक, इन अहमदाबाद, मुंबई और दिल्ली से इन 66 पैसेंजर्स को 10 दिसंबर से 20 दिसंबर के बीच दुबई पहुंचना था। इसके बाद वे एजेंट्स के निर्देश के मुताबिक, इन पैसेंजर्स को 21 दिसंबर को फुजैराह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर निकारागुआ जाने वाले प्राइवेट एयरलाइन के एयरक्राफ्ट में बैठना था।

एजेंट्स के निर्देश के मुताबिक, इन पैसेंजर्स को 21 दिसंबर को दुबई के फुजैराह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर निकारागुआ जाने वाले प्राइवेट एयरलाइन के एयरक्राफ्ट में बैठना था।

एजेंट्स के निर्देश के मुताबिक, इन पैसेंजर्स को 21 दिसंबर को दुबई के फुजैराह इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर निकारागुआ जाने वाले प्राइवेट एयरलाइन के एयरक्राफ्ट में बैठना था।

CID ने एजेंट्स की जानकारी निकालने में CBI से मदद मांगी
CID की तरफ से जारी किए गए बयान में ये भी लिखा है कि CID ने CBI को एक चिट्‌ठी लिखकर ये जानकारी हासिल करने में मदद मांगी है कि जिन एजेंट्स ने इन 55 पैसेंजर्स के लिए दुबई का वीजा जुटाया, वे कौन थे।

CID ने ये पता करने में भी मदद मांगी है कि एजेंट्स ने कैसे दुबई में बैठकर निकारागुआ का वीजा हासिल किया, दुबई से फ्लाइट किसने बुक की और पैसेंजर्स के टिकट के लिए पैसा किसने दिया। टिकट्स का पेमेंट करने वाले एजेंट की बैंक डिटेल निकालने में भी CID ने CBI से मदद करने को कहा है।

इस तरीके से विदेश गए अन्य लोगों को तलाश रही गुजरात पुलिस
पुलिस सुपरिंटेंडेंट संजय खरात ने 29 दिसंबर को बताया था कि इस रैकेट में अलग-अलग एजेंट्स मिलजुलकर काम करते हैं। गांव या जिले में काम करने वाले एजेंट्स छोटे प्लेयर हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बैठा एक मुखिया कंट्रोल करता है।

गुजरात पुलिस इसकी जांच करेगी, तभी पता चलेगा कि ये कैसे काम करते हैं। पुलिस ने यह भी कहा कि वे पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कितने लोग इस तरीके से विदेश गए हैं और कितने लोग इस तरीके से ट्रैवल करने की योजना बना रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस से लौटने वाले ज्यादातर लोग पंजाब, गुजरात और दक्षिण भारत के हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फ्रांस से लौटने वाले ज्यादातर लोग पंजाब, गुजरात और दक्षिण भारत के हैं।

अब पूरा मामला टाइमलाइन में समझें…

  • 21 दिसंबर को रोमानिया की चार्टर कंपनी का एक प्लेन दुबई से निकारागुआ के लिए उड़ान भरता है, 23 दिसंबर को इस प्लेन का फ्रांस के वाट्री एयरपोर्ट पर फ्यूल और टेक्निकल मेंटेनेंस के लिए उतरना पहले से तय था। लैंडिंग के कुछ देर बाद ही फ्रांस पुलिस की कई गाड़ियां यहां पहुंचीं और एयरक्राफ्ट को कब्जे में ले लिया। फ्रांस को शक था कि इस प्लेन में मौजूद लोगों की तस्करी हो रही थी। फ्रांस की एंटी ऑर्गनाइज्ड क्राइम यूनिट को इस मामले की जांच सौंपी गई।
  • पुलिस के मुताबिक जिस प्लेन को वाट्री एयरपोर्ट पर रोका गया था, वह A340 एयरक्राफ्ट है। रोमानिया की लीजेंड एयरलाइंस ने इस प्लेन को कुछ लोगों के लिए बुक किया था।
300 भारतीयों वाला विमान दुबई से निकारागुआ जा रहा था।

300 भारतीयों वाला विमान दुबई से निकारागुआ जा रहा था।

  • फ्रांस ने मानव तस्करी के शक में प्लेन में मौजूद 2 लोगों को अलग से हिरासत में लिया और इनसे कड़ाई से पूछताछ की।
  • वाट्री एयरपोर्ट पर रिसेप्शन हॉल को वेटिंग एरिया में बदल दिया गया और सभी यात्रियों को वहां रखा गया। रिपोर्ट के मुताबिक प्लेन में 11 नाबालिग थे। इनके लिए एड-हॉक ट्यूटर भी रखे गए थे। पूरे इलाके को कवर कर लिया गया था। यहां रोज भारत के अधिकारी उनसे मुलाकात कर रहे थे। वहीं, फ्रांस ने फ्लाइट ऑपरेट कर रहे प्राइवेट जेट के क्रू मेंबर्स से भी पूछताछ की थी। इसके बाद उन्हें आजाद कर दिया गया था।
तस्वीर वाट्री एयरपोर्ट के उस इलाके की है, जहां भारतीयों को रखा गया था, इसे चारों तरफ से ढंक दिया गया था।

तस्वीर वाट्री एयरपोर्ट के उस इलाके की है, जहां भारतीयों को रखा गया था, इसे चारों तरफ से ढंक दिया गया था।

  • फ्रांस में विदेशी नागरिकों को 4 दिन से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकते। इसके लिए जज से परमिशन लेनी पड़ती है, जो उनकी हिरासत को 8 दिन बढ़ा सकते हैं। हालांकि गंभीर मामलों में हिरासत का वक्त 24 दिन भी किया जा सकता है।
  • 24 दिसंबर को फ्रांस की एक कोर्ट के 4 जजों ने क्रिसमस की छुट्टियों में भी काम करते हुए हिरासत में रखे गए यात्रियों से पूछताछ करने के बाद विमान के रवाना होने के आदेश दिए थे। इसके बाद 25 दिसंबर को भारतीयों के प्लेन को उड़ान भरने की इजाजत दे दी गई।
  • मामले की जांच कर रहे एक अफसर ने कहा था- हमें शक है कि इन भारतीयों को सेंट्रल अमेरिका में किसी जगह ले जाया जाना था। यह भी मुमकिन है कि इनमें से कुछ लोग कनाडा जाना चाहते हों।

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