गगनयान-मिशन के लिए इसरो ने की पैराशूट की सफल टेस्टिंग: एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग के लिए क्रू मॉड्यूल की स्पीड कम करेगा, स्थिर भी रखेगा

बेंगलुरु9 घंटे पहले

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इसरो ने ड्रोग पैराशूट की टेस्टिंग का वीडियो भी जारी किया है। - Dainik Bhaskar

इसरो ने ड्रोग पैराशूट की टेस्टिंग का वीडियो भी जारी किया है।

इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गनाइजेशन (ISRO) ने गगनयान मिशन के लिए ड्रोग पैराशूट का सफल परीक्षण किया है। ये पैराशूट एस्ट्रोनॉट्स की सेफ लैंडिंग में मदद करेगा।

यह क्रू मॉड्यूल की स्पीड को कम करेगा, साथ ही उसे स्थिर भी रखेगा। शनिवार को इसरो ने एक वीडियो जारी कर इसकी जानकारी दी।

इसरो ने कहा कि विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (VSSC) ने 8 से 10 अगस्त के बीच चंडीगढ़ के टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लेबोरेटरी की रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) पर ड्रोग पैराशूट की सफल टेस्टिंग की है। यह टेस्टिंग DRDO और एरियल डिलीवरी रिसर्च और डेवलपमेंट स्टेब्लिशमेंट (ADRDE) ने मिलकर की।

ड्रोग पैराशूट
पायरो बेस्ड डिवाइस के साथ ड्रोग पैराशूट कंमांड देने पर बाहर आ जाते हैं। ये पैराशूट कोन के आकार के हैं। इनका डायमीटर 5.8 मीटर है। इनमें सिंगल स्टेज रिफिलिंग मैकेनिज्म है। इससे इनका कैनोपी एरिया कम हो जाता है। साथ ही इसके खुलने से लगने वाला झटका भी कम हो जाता है। बाद में यह बहुत धीमी गति से नीचे आते हैं।

तीन स्टेप में की गई टेस्टिंग

गगनयान के एस्ट्रोनॉट्स की लैंडिंग के दौरान मिलने वाली कंडीशन्स को टेस्टिंग के दौरान क्रिएट किया गया और इन कंडीशन्स में पैराशूट की परफॉर्मेंस को चैक किया गया। टेस्टिंग 3 स्टेप में की गई।

  1. पहले टेस्ट में पैराशूट का मैक्सिमम रीफेड लोड चैक किया गया। इसमें पैराशूट की रस्सियों को खींचकर रेफिंग लाइन को छोटा करके देखा गया। इससे लैंडिंग के दौरान क्रू-मॉड्यूल की स्पीड को बढ़ाया जाता है।
  2. दूसरे टेस्ट में पैराशूट का मैक्सिमम डिस्फ्रीड लोड चैक किया गया। इसमें पैराशूट की रस्सियों को ढीला छोड़कर रेफिंग लाइन को बड़ा करके देखा गया। इससे लैंडिग के दौरान क्रू-मॉड्यूल की स्पीड कम किया जाता है।
  3. तीसरे टेस्ट में पैराशूट को मैक्सिमम एंगल ऑफ अटैक पर खोलकर देखा गया।

क्या है गगनयान जिसके लिए ये टेस्टिंग की गई…

गगनयान मिशन के लिए आगरा में तैयार हुए पैराशूट
गगनयान मिशन में इस्तेमाल किए जाने वाले पैराशूट सिस्टम आगरा में तैयार किए गए हैं। इन्हें ADRDE वैज्ञानिकों ने डेवलप किया है। आपको गगनयान क्रू मॉड्यूल के पैराशूट सिस्टम के बारे में बताते हैं…

10 पैराशूट होंगे इस सिस्टम में
गगनयान क्रू मॉड्यूल के पैराशूट सिस्टम में 10 पैराशूट होंगे। पृथ्वी की निचली कक्षा से गगनयान एस्ट्रोनॉट्स की जमीन पर लैंडिंग के लिए पहले चरण में 2 अपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट होंगे।
ये पैराशूट क्रू मॉड्यूल पैराशूट सिस्टम में सुरक्षा कवर की तरह काम करेंगे। एपेक्स कवर क्रू-मोड्यूल में लगे विभिन्न प्रकार के पैराशूट की बाहरी वातावरण से सुरक्षा करता है।

2 ड्रोग पैराशूट करेंगे स्पीड कंट्रोल
इसके बाद पृथ्वी की निचली कक्षा से नीचे धरती की तरफ आते हुए एस्ट्रोनॉट्स की रफ्तार को कम करने और नीचे उतरने की प्रक्रिया को सुरक्षित रखने के लिए 2 ड्रोग पैराशूट भी इस्तेमाल में लाए जाएंगे।
बता दें कि खुले सिरों वाले एक फनल के आकार के डिवाइस को ड्रोग कहा जाता है। ये ड्रोग तेज रफ्तार वाली किसी भी वस्तु की स्पीड को कम करने का काम करते हैं।

फिर 3 खास पायलट शूट का होगा इस्तेमाल
ड्रोग पैराशूट छोड़ने के बाद 3 खास पैराशूट को अलग-अलग खोलने के लिए 3 पायलट शूट का इस्तेमाल किया जाएगा। ये शूट एक झुका हुआ चैनल या रास्ता है, जिसमें वस्तुओं को गुरुत्वाकर्षण के जरिए चलाया या संचालित किया जाता है।
ये लैंडिंग से पहले गगनयान क्रू मॉड्यूल की रफ्तार को एक सुरक्षित स्तर तक कम करने में मदद करेगा। धरती पर अंतरिक्ष यात्रियों की लैंडिंग लिए 3 खास या अहम पैराशूट में से 2 ही काफी होंगे और तीसरे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।

SMPS की टेस्टिंग भी सफल
इससे पहले इसरो ने 20 जुलाई को तमिलनाडु के महेंद्रगिरि में इसरो प्रोपल्शन कॉम्प्लेक्स में गगनयान सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम (SMPS) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया था। गगनयान का सर्विस मॉड्यूल एक बाई प्रोपेलेंट बेस्ड प्रोपल्शन सिस्टम है। जो अंतरिक्ष में जाने के दौरान ऑर्बिटल मॉड्यूल की जरूरतों को पूरा करता है। इसमें ऑर्बिट इंजेक्शन, सर्कुलराइजेशन, ऑन-ऑर्बिट कंट्रोल, डी-बूस्ट पैंतरेबाज़ी और एबोर्ट शामिल हैं।

इस महीने लॉन्च होगा पहला अबॉर्ट मिशन
इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ ने हाल ही में एक कार्यक्रम में जानकारी दी थी कि देश का पहला मानव अंतरिक्ष अबॉर्ट मिशन इस साल अगस्त में लॉन्च किया जाएगा। दरअसल गगनयान, इसरो का एक प्रोजेक्ट है, इसमें तीन मिशन होंगे।

इसका पहला मिशन मानव रहित होगा। दूसरे मिशन में एक रोबोट को भेजा जाएगा और आखिरी यानी तीसरे मिशन में अंतरिक्ष में तीन एस्ट्रोनॉट को भेजा जाएगा। दूसरा मिशन अगले साल यानी 2024 में लॉन्च किया जाएगा। मिशन कामयाब हुआ तो इतिहास रचेगा।

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