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नई दिल्ली5 मिनट पहले
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सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड में अफसर प्रियंका त्यागी की याचिका पर सुनवाई की, जिन्होंने महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड (ICG) में महिलाओं को परमानेंट कमीशन न देने के खिलाफ याचिका पर केंद्र को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कहा- आप नारी शक्ति की बात करते हैं, तो इसे यहां दिखाएं। आप इतने पितृसत्तात्मक क्यों हैं कि कोस्ट गार्ड में महिलाओं को नहीं देखना चाहते?
कोर्ट ने कहा- कोस्ट गार्ड के प्रति सरकार का उदासीन रवैया क्यों है? जब आर्मी और नेवी महिला अधिकारियों के लिए परमानेंट कमीशन पॉलिसी लागू कर चुकी है तो कोस्ट गार्ड इससे अलग क्यों? केंद्र सरकार आर्मी और नेवी की तरह कोस्ट गार्ड की महिलाओं को पुरुषों के बराबर क्यों नहीं मान सकती।
दरअसल, इंडियन कोस्ट गार्ड में अफसर प्रियंका त्यागी ने कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने इस पर सुनवाई की।
प्रियंका त्यागी ने की परमानेंट कमीशन की मांग
प्रियंका त्यागी असिस्टेंट कमांडेंट के रैंक पर शॉर्ट सर्विस अपॉइंटमेंट ऑफिसर के रूप में 14 साल पायलट रही हैं। इस दौरान त्यागी ने समुद्र में 300 से अधिक लोगों की जान बचाई। 4 हजार 500 घंटे उड़ान भरी – जो सशस्त्र बलों में पुरुषों और महिलाओं के बीच सबसे अधिक समय है।
त्यागी 2016 में पूर्वी क्षेत्र में समुद्री गश्त करने के लिए डोर्नियर विमान पर पहली बार ऑल महिला क्रू का हिस्सा भी रहीं। उनकी उपलब्धियों के बावजूद उन्हें परमानेंट कमीशन से वंचित कर दिया गया।
उन्होंने सशस्त्र बलों के तीनों अंगों- आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने का हवाला देते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने न्यायिक फैसला आने तक इंडियन कोस्ट गार्ड को अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए त्यागी की सेवा जारी रखने का निर्देश दिया था कर दिया। प्रियंका त्यागी इसके बाद SC पहुंची।
केंद्र ने कोस्ट गार्ड के अलग डोमेन में काम करने का हवाला दिया
सुप्रीम कोर्ट में एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (ASG) विक्रमजीत बनर्जी ने सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने महिलाओं को परमानेंट कमीशन न देने पर कहा कि आर्मी और नेवी की तुलना में कोस्ट गार्ड एक अलग डोमेन में काम करता है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक बबीता पुनिया फैसला पढ़ा नहीं गया है। 17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2020 में आर्मी में महिला अफसरों को परमानेंट कमीशन देने का निर्देश दिया था।
इससे पहले तक आर्मी में महिलाओं का प्रवेश शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) के माध्यम से होता था। वे अधिकतम 14 साल ही सेवा दे पाती थीं। हालांकि कुछ महिला अधिकारियों को सेवा विस्तार मिला, लेकिन उन्हें भी स्थायी कमीशन नहीं दिया गया था।
केंद्र ने कहा था- महिलाओं की शारीरिक क्षमता कम
इस केस में केंद्र सरकार ने दलील दी थी कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की शारीरिक क्षमता कम होती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को लिंग भेद और निराशाजनक बताया था। कोर्ट ने कहा था कि महिलाओं और पुरुषों को बराबरी का अवसर मिलना चाहिए। सरकार का तर्क समानता की अवधारणा के खिलाफ है और इसमें लैंगिक पूर्वाग्रह की बू आती है।