कोलकाता में 31 दिसंबर से चलेगी अंडरवाटर मेट्रो: नदी के तल से भी 13 मी. नीचे है टनल, रोज 10 लाख लोग गुजरेंगे

24 मिनट पहलेलेखक: बबीता माली

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मेट्रो रेल के GM पी उदय कुमार रेड्डी ने अप्रैल 2023 में इस ट्रेन में महाकरन से हावड़ा मैदान के बीच सफर किया था। - Dainik Bhaskar

मेट्रो रेल के GM पी उदय कुमार रेड्डी ने अप्रैल 2023 में इस ट्रेन में महाकरन से हावड़ा मैदान के बीच सफर किया था।

साल 1984, जब देश की पहली मेट्रो ट्रेन कोलकाता में दौड़ी थी। रूट था उत्तर-दक्षिण कॉरिडोर (ब्लू लाइन)। 39 साल बाद एक बार फिर कोलकाता का नाम पब्लिक ट्रांसपोर्टेशन के इतिहास में दर्ज होने जा रहा है। 31 दिसंबर 2023 को यहां देश की पहली अंडरवॉटर मेट्रो रेल चलेगी। यहां जमीन से 33 मीटर और हुगली नदी की सतह से 13 मीटर नीचे 520 मीटर लंबी टनल में दो ट्रैक बिछाए हैं।

हावड़ा स्टेशन से महाकरण स्टेशन के लिए मेट्रो 520 मी. लंबा सफर टनल से पूरा करेगी। ट्रेन टनल को 80 किमी/घंटे की रफ्तार से सिर्फ 45 सेकंड में पार कर लेगी। इस टनल से हावड़ा सीधे कोलकाता से जुड़ जाएगा और रोज 7 से 10 लाख लोगों का सफर आसान होगा। इसका ट्रायल 21 अप्रैल को हो चुका है।

जमीन से 33 मीटर और हुगली नदी की सतह से 13 मीटर नीचे 520 मीटर लंबी टनल में दो ट्रैक बिछाए गए हैं।

जमीन से 33 मीटर और हुगली नदी की सतह से 13 मीटर नीचे 520 मीटर लंबी टनल में दो ट्रैक बिछाए गए हैं।

दुनिया में सबसे गहराई में मेट्रो, इसमें 4 अंडरग्राउंड स्टेशन हैं
कोलकाता मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन के डायरेक्टर (प्रोजेक्ट एंड प्लानिंग) सैयद मो. जमील हसन बताते हैं कि 2010 में टनल बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एफकॉन्स कंपनी को दिया। एफकॉन्स ने जर्मन कंपनीहेरेनकनेक्ट सेल बोरिंग मशीन (टीबीएम) मंगाईं। इन मशीनों के नाम प्रेरणा और रचना हैं, जो एफकॉन्स के एक कर्मचारी की बेटियों के नाम पर हैं।

इस प्रोजेक्ट की दो सबसे बड़ी चुनौतियां थीं। पहली खुदाई के लिए सही मिट्टी का चुनाव और दूसरी टीबीएम की सेफ्टी कोलकाता में हर 50 मी. दूरी पर अलग-अलग तरह की मिट्टी मिलती है। टनल के लिए सही जगह पहचानने के लिए मिट्टी के सर्वे में ही 5-6 महीने गुजर गए 3 से 4 बार सर्वे के बाद तय हुआ कि हावड़ा ब्रिज से हुगली नदी के तल से 13 मी. नीचे की मिट्टी में टनल बन सकती है।

हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की जुड़वां सुरंग में ट्रैक बनाया गया है।

हुगली नदी के नीचे 520 मीटर की जुड़वां सुरंग में ट्रैक बनाया गया है।

कुछ अंडरवॉटर मेट्रो रूट ईस्ट-वेस्ट कोरिडोर (ग्रीन लाइन) का हिस्सा है, जिसमें हावड़ा मैदान से एस्प्लनेड तक 4.8 किमी रूट बनकर तैयार है। इसमें 4 अंडरग्राउंड स्टेशन हैं- हावड़ा मैदान, हावड़ा स्टेशन, महाकरण और एस्प्लनेड हावड़ा स्टेशन जमीन से 30 मी. नीचे बना है। ये दुनिया में सबसे गहराई में बना मेट्रो स्टेशन हैं। अभी पानी के नीचे मेट्रो रूट लंदन और पेरिस में ही बना है।

ये तस्वीर पानी के अंदर सुरंग बनाने के दौरान की है।

ये तस्वीर पानी के अंदर सुरंग बनाने के दौरान की है।

2017 में पानी में सुरंग बनाने का काम शुरू किया गया था
रिअलाइनमेंट के बाद 2017 में टीबीएम ने पानी में सुरंग बनाना शुरू किया। हुगली के नीचे टनल की खुदाई का काम 125 दिन में पूरा होना था, लेकिन उसे 67 दिन में पूरा कर लिया गया। 1 सितंबर, 2019 को टीबीएम चंडी सियादाह से करीब आधा किमी दूर थी, तभी एक बड़े पत्थर से टकरा गई। इससे बड़े पैमाने पर मिट्टी भर गई और बहू बाजार की कई इमारतें क्षतिगस्त हो गईं। इस घटना ने सभी को हिलाकर रखा दिया था। सैकड़ों परिवारों को होटलों में शिफ्ट करना पड़ा। हाईकोर्ट ने काम रोक दिया। जब कुछ महीने कोई धंसाव नहीं हुआ तो फरवरी 2020 में फिर काम शुरू हुआ।

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