कॉलेजों के पास 30 सेकंड में डिलीवर हो रहा गांजा: ग्राहक युवा और बेचने वाले ज्यादातर बुजुर्ग; पुलिस के सामने घूमते हैं बदमाश लेकिन कोई कार्रवाई नहीं

लखनऊ18 मिनट पहलेलेखक: अनुराग गुप्ता

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यूपी में रोजाना अलग-अलग हिस्सों से गांजा तस्करों के पकड़े जाने की खबर आती है। इसके बावजूद तस्कर आसानी से गांजा बॉर्डर पार करवा रहे हैं। अब तस्करों ने गांजा सप्लाई का नया तरीका निकाला है। गांजे को लग्जरी गाड़ियों से बॉर्डर पार कराया जा रहा है। आखिर इतना गांजा जाता कहां है?

असल में गांजा तस्करों के निशाने पर छात्र हैं। इसीलिए तस्करों का नेटवर्क कॉलेजों के पास काफी फैला हुआ है। नोएडा का नॉलेज पार्क हो या लखनऊ का तिवारीगंज इलाका। यहां पर रहने वाले छात्र गैर जिलों से आते हैं। तस्कर ऑन कॉल गांजा सप्लाई करते हैं। अधेड़ उम्र के लोगों को टूल की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं।

बॉर्डर पार कराने के बाद जिलों में थोड़ा-थोड़ा माल अच्छे मुनाफे का लालच देकर पकड़ा देते हैं। कॉलेजों के आस-पास गिरोह से जुड़ा एक व्यक्ति घूमता है, जो छात्रों को तस्करों तक पहुंचाता है।

  • कॉलेजों के पास बिकने वाले गांजे की पड़ताल करने दैनिक भास्कर BBD यूनिवर्सिटी पहुंचा। रिपोर्टर छात्र बनकर कॉलेजों के पास करीब डेढ़ घंटे घूमा। गांजा बेचने वाले को खोजा। बेचने वालों के साथ बैठकर पूरे सिस्टम को समझा। आइए सब कुछ एक तरफ से बताते हैं…
ये तिवारीगंज का वही इलाका है, जहां पर सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र रहते हैं। इसी जगह पर सबसे ज्यादा गांजा तस्कर एक्टिव हैं।

ये तिवारीगंज का वही इलाका है, जहां पर सबसे ज्यादा कॉलेज के छात्र रहते हैं। इसी जगह पर सबसे ज्यादा गांजा तस्कर एक्टिव हैं।

लखनऊ की बाबू बनारसी दास यूनिवर्सिटी यानी BBD। समय : रात के 8 बजकर 45 मिनट। यूनिवर्सिटी के बाहर छात्रों की भीड़ थी। चारों तरफ दुकानों पर पढ़ने वाले छात्र-छात्राएं खा-पी रहे थे। पूरा कैंपस जगमग था। यहां से 300 से 500 मीटर के दायरे में सिटी लॉ कॉलेज और राम स्वरूप कॉलेज भी पड़ता है। BBD कॉलेज से थोड़ा आगे बढ़े, तो पान की गुमटी पर कुछ लड़के खड़े मिले। सभी सिगरेट में गांजा भरकर कस लगा रहे थे। हम उनके पास गए। पूछा- इधर गांजा कहां मिल जाएगा? एक लड़के ने जवाब दिया। इधर एक दिव्यांग व्यक्ति बेचता था। लेकिन वो अभी नहीं आ रहा है। हमने कहा- तो फिर अभी कहां मिल जाएगा?

एक लड़के ने पूछा- किस कॉलेज के हो? हमने बताया- BBD… लड़के ने कहा- एक नंबर डायल करो। हमने उससे ठिकाना जानने के लिए जगह पूछी। जवाब मिला- ऑन कॉल डिलीवरी होती है। कॉल करके बोल देना- पुड़िया चाहिए। यहीं आकर दे देगा। लड़के से पूछा- पैसा कितना लगेगा, तो जवाब मिला वो उसी से पूछ लेना।

लड़के ने जो नंबर दिया था उस पर कॉल किया। कॉल पर उसे अपना परिचय दिया। बोला- पुड़िया चाहिए… जवाब मिला- हां मिल जाएगी। जहां पर हो जगह बता दो। उससे पूछा कितने रुपए का है? बोला- 300 रुपए पुड़िया। हमने उसे BBD यूनिवर्सिटी से थोड़ा-सा आगे बुलाया।

30 सेकेंड डिलीवरी करके निकल गया…
हम अपनी गाड़ी में बैठकर इंतजार कर रहे थे। पीछे से एक व्यक्ति आया। शीशे के पास खड़ा हो गया। हमने शीशा डाउन किया, तो उसने एक पैकेट पुड़िया दरवाजे से सटाकर अंदर डाल दी।

बोला- जल्दी पैसा लाओ और निकलो यहां से। हम रेट तय करने के बहाने बातचीत करने लगे। उसको बोला- कुछ कम कर लो, रोज लेना है। जवाब मिला- माल एक नंबर है। रेट फिक्स है। आज ले जा रहे हो। अब हमेशा मेरे पास ही आओगे। पैसा लेकर तुरंत वहां से निकल गया। ये डिलीवरी 30 सेकेंड में हो गई।

हमारी फोन पर बात हुई। 30 सेकेंड के अंदर एक आदमी आया। शीशा डाउन होते ही पुड़िया गाड़ी में डाल दी।

हमारी फोन पर बात हुई। 30 सेकेंड के अंदर एक आदमी आया। शीशा डाउन होते ही पुड़िया गाड़ी में डाल दी।

ऑटो वाला पहुंचाता है कॉलेजों के छात्रों को गांजा
इस पूरे नेक्सेस को समझने के लिए BBD यूनिवर्सिटी से राम स्वरूप कॉलेज की तरफ बढ़े। दोनों के बीच में तिवारीगंज चौराहा पड़ता है। चौराहे पर किनारे की तरफ शराब का ठेका है। जहां शाम होते ही शराबियों की महफिल सज जाती है। जिसमें 50% कॉलेज के छात्र होते हैं। ये सब पुलिस की मौजूदगी में होता है।

तिवारीगंज चौराहे से 50 मीटर दूर एक लड़का खड़ा था। उससे पूछा- यहां कहीं गांजा मिल जाएगा? उसने पहले तो जवाब नहीं दिया, फिर ऊपर से नीचे देखने लगा। बोला- क्या करते हो? उसे बताया कि दो साल पहले BBD में पढ़ते थे। अभी नौकरी करने लगे। पहले यहां एक दिव्यांग व्यक्ति हमें गांजा बेचता था। अभी वो मिल नहीं रहा है, बहुत तेज तलब लगी है। उसने कहा- BBD के सामने एक ऑटो वाला मिलेगा, उसके पास चले जाओ।

हम अपनी गाड़ी की तरफ बढ़ गए। तभी उसने फिर आवाज दी और रुकने को बोला। उसके पास गए, तो एक नंबर डायल करने को कहा। उसे मिलाया, तो स्विच ऑफ आया। फिर पूछा- किस चीज से आए हो। हमने बताया कार है। बोला मेरे पीछे-पीछे आओ। तिवारीगंज चौराहे पर शराब की दुकान के बगल से अंदर ले जाने लगा। ये वही जगह थी, जहां पर कुछ मिनट पहले ही पुलिस की पेट्रोलिंग जीप खड़ी थी और उन्हीं के सामने लोग जाम लड़ा रहे थे।

रास्ते से आने-जाने वाले पहुंचा देते हैं, दवाई वाले बाबा के पास
वह लड़का तिवारीगंज चौराहे से करीब 600 मीटर अंदर ले गया। अंदर जाकर गाड़ी एक घर में रुकवाया। वहां से एक अन्य लड़के को गाड़ी में बैठाया। फिर वहां से कुछ दूर एक गली में ले गया। जो आगे से पूरी बंद थी। गाड़ी वहीं रुकवा दी।

हमें बाहर खड़ा करके दोनों लड़के पैसा लेकर अंदर चले गए। अंदर जाने के लिए एक छोटा-सा दरवाजा था। कुछ देर में दोनों बाहर आए। शायद उनको हम पर भरोसा हो गया था। बोले अंदर चलो। हम अंदर चले गए। वहां पर एक अधेड़ व्यक्ति बैठा था। उनसे परिचय कराया और बोले चाचा माल चेक करवा दो। उन्होंने चिलम निकाला और बनाकर थमा दिया। पीना न आने की वजह से हमनें बहाना बनाकर टाल दिया। जिसने हमें वहां पहुंचाया था उसी लड़के से कहा पी लो।

बातचीत होने लगी। उनसे पूछा- यहां कॉलेज के छात्र आते हैं? जवाब दिया- बहुत लड़के आते हैं। हमने कहा- माल कहां का है? आता कहां से है? बोले- माल एक नंबर है, बाकी आता कहां से ये तो जानकारी नहीं है। लेकिन यूपी से सटे अन्य राज्यों से आता है, फिर यहां छोटे-छोटे टुकड़ों में बेचा जाता है। इसके बाद हम 200 रुपए देकर पुड़िया ली और वहां से निकल लिए।

ये उस गांजे की तस्वीर है, जो रिपोर्टर को तस्करों से मिला।

ये उस गांजे की तस्वीर है, जो रिपोर्टर को तस्करों से मिला।

अपराधियों और तस्करों का अड्डा तिवारीगंज
हम वहां से लौट रहे थे। तभी तिवारीगंज पर गाड़ी रोकी। शराबियों और पुलिस के बीच की जुगलबंदी समझने के लिए वहां शराब पीने वालों से बातचीत शुरू की। वहीं पर हमारी मुलाकात एक मामले में फरार चल रहे दो अपराधियों से हुई। दोनों गली में किनारे खड़े होकर शराब पी रहे थे। हमने उनसे कहा- यहां गांजा मिल जाएगा? लड़के ने जवाब दिया- यहां का नहीं पता, लेकिन हम टेढ़ी पुलिया से लेकर आए हैं। साथ बैठकर पी लो।

हमने उससे पुलिस के खड़े होने की बात कही और साथ में पीने से मना कर दिया। वो व्यक्ति नशे में धुत था। उसने कहा- पुलिस कुछ नहीं करेगी। पुलिस आती है, खड़ी रहती है। फिर कुछ देर में चली जाती है। हम तो फरारी काट रहे हैं। तब कुछ नहीं कर रही। हमने कहा- फरारी?… किस मामले में?

फैजुल्लागंज पार्षद के कहने पर उस पर हमला किया था…। असल में युवक लखनऊ के फैजुल्लागंज वार्ड नंबर- 4 के भाजपा पार्षद रामूदास कनौजिया पर हमले की बात कर रहा था। करीब 10 दिन पहले पार्षद ने गनर पाने के लिए खुद पर हमले की साजिश रची थी। लड़के ने अपना नाम मोनू यादव बताया। लड़का पार्षद पर हुए हमले में शामिल होने का दावा कर रहा था। बोला कि अखबार में तीन दिन से हमारी खबर छप रही है। 4 लोग गिरफ्तार हैं, हम लोग फरारी काट रहे हैं। पुलिस से सेटिंग कर रहे हैं, हो जाए तो सरेंडर कर दें।

अखबार की खबर के साथ सारे वीडियो दिखाए
बातचीत के दौरान उसने अपने फोटो और वीडियो दिखाकर दावा किया कि मैं भी घटना में मौजूद था। अखबार में छपी फोटो दिखाई। जिस वीडियो की वजह से वो पकड़े गए। सब चीज दिखाई। हमने कहा- क्या पार्षद जी ने खुद पर हमला करवाया था? जवाब दिया- हम हमला क्यों करेंगे, पार्षद जी अपने खास हैं। अखबार वाले रोज छाप रहे हैं, हमला करने वालों पर कार्रवाई, लेकिन पार्षद को बचा रही पुलिस। फिर हंसते हुए बोला पुलिस पार्षद को बचा रही है, पार्षद जी हमको बचाएंगे। इस पूरी बातचीत के दौरान पुलिस वहां से तीन बार गुजरी, लेकिन किसी ने सड़क पर शराब पीने का विरोध नहीं किया।

नाम सामने आने पर कार्रवाई की जाएगी
लड़के के दावे के बारे में हमने मड़ियांव इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा से बात की। उन्होंने बताया कि इस व्यक्ति का नाम प्रकाश में नहीं आया है। इसके दावे की जांच करेंगे। अगर नाम प्रकाश में आता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।

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फेसबुक पर पूजा अग्रवाल नाम की लड़की की रिक्वेस्ट आई। मैं नहीं जानता था, लेकिन रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। कुछ देर में Hi का मैसेज आया। मैंने रिप्लाई किया। उसने नंबर मांगा। मैंने दे दिया। लड़की ने वॉट्सऐप पर वीडियो कॉल किया। मैंने रिसीव किया। सामने दिख रही लड़की न्यूड हो गई। हमने फोन काट दिया। कुछ देर बाद फिर से फोन आया। हमने दोबारा नहीं उठाया। कुछ देर बाद ही हमें एक एडिटेड वीडियो मिला और ब्लैकमेलिंग शुरू हो गई। यहां पढ़ें पूरी खबर…

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