कसाब को जेल में कभी बिरयानी नहीं परोसी: IPS मीरां बोरवणकर ने बुक में लिखा- जब भी बात की तो चुप रहा या मुस्कुराया

एक घंटा पहले

  • कॉपी लिंक
मीरा बोरवणकर 1981 बैच की आईपीएस अधिकारी (रिटायर्ड) हैं। मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरा की देख-रेख में फांसी दी गई थी। - Dainik Bhaskar

मीरा बोरवणकर 1981 बैच की आईपीएस अधिकारी (रिटायर्ड) हैं। मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरा की देख-रेख में फांसी दी गई थी।

पूर्व IPS अधिकारी मीरां बोरवणकर की किताब ‘मैडम कमिश्नर’ हाल ही में रिलीज हुई है। इस किताब से उन्होंने 26/11 मुंबई हमले के दोषी मोहम्मद अजमल कसाब के बारे में कई बातें बताई हैं। मीरां ने लिखा है कि कसाब को जेल में कभी भी बिरयानी नहीं दी गई। जब भी मैंने उससे बात की तो वह चुप रहा या फिर बस मुस्कुराया।

मुंबई हमला 26 नवंबर 2008 को हुआ था। इसमें मोहम्मद अजमल कसाब जिंदा पकड़ाया था। 21 नवंबर 2012 को उसे फांसी हो गई थी।

जेल में हाई सिक्योरिटी रहती थी
किताब में लिखा है- पुलिस वैरिफिकेशन पूरा होने के बाद कसाब को आर्थर रोड जेल में रखा गया। कुछ दिन बाद उसका ट्रायल शुरू हो गया। जब मैं उससे मिलने जेल जाती थी तो उसकी हाई सिक्योरिटी वाली बैरक में जाना होता था। उसकी सुरक्षा के लिए इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (ITBP) की तैनाती की गई थी।

सिक्योरिटी के लिहाज से यह मुंबई की पुलिस से कहीं ज्यादा प्रोफेशनल है। बैरक के बाहरी हिस्से की सुरक्षा में ITBP तो अंदरूनी हिस्से में जेल के सबसे काबिल अफसर तैनात थे। मैंने हमेशा उन्हें मुस्तैद देखा।

डाइट-हेल्थ को लेकर डॉक्टर सतर्क रहते थे
बोरवणकर के मुताबिक, कसाब के लिए तैनात डॉक्टर उसकी हेल्थ और डाइट को लेकर खासे सतर्क रहते थे। कसाब को कभी भी स्पेशल डिश नहीं परोसी गई। वह खुद को एक्सरसाइज में बिजी रखता था। मैंने शुरुआत में उससे बात करने की, कुछ सवाल पूछने की कोशिश की तो वह या तो खामोश रहा या मुस्कुरा दिया। हालांकि, जेल के अफसरों ने बताया था कि जब उसे पहली बार लाया गया था तो वह काफी गुस्सैल था।

कसाब, पाकिस्तान के फरीदकोट के ओकारा का रहने वाला था। वह पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा था। उसे पाक के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकी हमले की ट्रेनिंग दी गई थी।

पूर्व IPS अधिकारी मीरां बोरवणकर ने अपनी किताब 'मैडम कमिश्नर' के पेज नंबर 233 पर जिक्र किया है कि कसाब को जेल में कभी भी बिरयानी नहीं दी गई।

पूर्व IPS अधिकारी मीरां बोरवणकर ने अपनी किताब ‘मैडम कमिश्नर’ के पेज नंबर 233 पर जिक्र किया है कि कसाब को जेल में कभी भी बिरयानी नहीं दी गई।

फांसी के लिए हर चीज पर ध्यान दिया
मीरां लिखती हैं- एक बार तत्कालीन गृह मंत्री आरआर पाटिल ने मुझे पुणे के सर्किट हाउस में बुलाया और फांसी की पूरी प्रक्रिया के बारे में जाना। इस दौरान पाटिल ने बताया कि कसाब की फांसी में दुनिया के कुछ देश दखलंदाजी कर सकते हैं। इसके बाद मैंने दो अधिकारियों के नेतृत्व में एक टीम बनाई और पूरी योजना तैयार की, जिसमें योगेश देसाई और सुनील धमाल अधिकारी थे। इससे पहले राज्य में तीस साल पहले फांसी दी गई थी। कई जेलों में धूल भरी हुई थी, इसलिए कसाब की फांसी पर बारीकी से ध्यान दिया गया।

फांसी की जानकारी महाराष्ट्र के गृह मंत्री को दी थी
IPS मीरां बोरवणकर के मुताबिक, कसाब को मुंबई से पुणे लाते समय कई अधिकारियों के मोबाइल फोन जब्त कर लिए गए थे। उस वक्त कुछ अधिकारी मुझसे नाराज थे, लेकिन सिर्फ दस लोगों को ही पता था कि कसाब को पुणे लाया जा रहा है और इसकी भनक मुंबई के एक रिपोर्टर को भी लग गई थी। उन्होंने आर्थर रोड प्रशासन और आरआर पाटिल से इस बारे में सीधे सवाल किया था। उनके मना करने के बाद उस रिपोर्टर ने मुझे फोन किया, मैंने भी मना कर दिया। हालांकि इस जानकारी के लीक होने से मेरा आत्मविश्वास कुछ हद तक कम हो गया।

20 तारीख को यानी कसाब की फांसी से एक दिन पहले भी मैं येरवदा जेल गई। मैंने ब्लेजर पहना था। फांसी के दिन अजमल कसाब बिल्कुल बच्चे जैसा लग रहा था। इतना बड़ा आतंकी उस समय छोटा सा लग रहा था। उसने एक्सरसाइज करके अपना वजन कम किया था। जब कसाब को फांसी दी गई तो मैंने इसकी जानकारी मोबाइल फोन से तत्कालीन गृह मंत्री आरआर पाटिल को दी।

किताब में अजित पवार पर आरोप
मीरां ने अपनी किताब में महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार पर भी आरोप लगाए हैं। उन्होंने लिखा कि पवार ने उन पर तीन एकड़ जमीन बिल्डर को देने के लिए दबाव डाला था। यह मामला 2010 का है।

मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां बोरवणकर की देख-रेख में ही फांसी दी गई थी।

मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां बोरवणकर की देख-रेख में ही फांसी दी गई थी।

रानी मुखर्जी की फिल्म मर्दानी मीरां के जीवन से प्रेरित
मीरां बोरवणकर 1981 बैच की आईपीएस अधिकारी (रिटायर्ड) हैं। IPS का पद संभालने के बाद मीरां को महाराष्ट्र कैडर में पोस्टिंग मिली थी। उन्होंने मुंबई में माफिया राज को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई। दाऊद इब्राहिम कासकर और छोटा राजन गैंग के कई सदस्यों को सलाखों के पीछे पहुंचाने में उनका काफी योगदान रहा।

मुंबई धमाकों के दोषी अजमल कसाब और साल 1993 मुंबई धमाकों के दोषी याकूब मेमन को मीरां की देख-रेख में फांसी दी गई थी। इसके अलावा रानी मुखर्जी की फिल्म मर्दानी IPS मीरां बोरवणकर की लाइफ के बेस्ट केस पर आधारित है।

खबरें और भी हैं…