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नई दिल्लीएक घंटा पहले
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भारत रत्न और पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम बेशक हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनकी हर बात हमारे लिए प्रेरणा है। तंगी में अपना बचपन गुजारा कर सफलता के शिखर तक पहुंचने वाले कलाम आज भी दिलों में जिंदा हैं। उनकी पुण्यतिथि पर लोग उन्हें दिल से याद कर रहे हैं।
एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर आईएएस अधिकारी ने ट्विटर पर उनका एक वीडियो शेयर किया है।
मां मुस्कुराती है तो, परिवार मुस्कुराता है
एपीजे अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि पर आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने ट्विटर पर उनका एक वीडियो शेयर किया। जिसमें कलाम मां को हमेशा खुश रखने के टिप्स देते हुए नजर आ रहे हैं कि कैसे हमेशा मां को खुशी देने और हंसाने की कोशिश करनी चाहिए। स्पीच में कलाम लोगों से अपील कर रहे हैं कि मां के चेहरे पर रोज़ मुस्कान लाएं। उन्होंने यह बातें 20 साल से कम उम्र के युवाओं के लिए कही थीं। लेकिन बड़ों को भी इसपर अमल करने की सलाह दी। कलाम ने लोगों से शपथ दोहराने के लिए कहा- ‘आज से मैं अपनी मां के चेहरे पर हर रोज़ मुस्कान लाऊंगा जैसे मां मुस्कुराती है, वैसे ही परिवार भी मुस्कुराता है।’ अधिकारी ने पोस्ट के साथ कैप्शन में लिखा है, ‘हर रोज अपनी मां के चेहरे पर लाएं मुस्कान।’
एक यूजर ने लिखा, ‘जनता के राष्ट्रपति कलाम सर हम आपको प्यार करते हैं।
यूजर ने पोस्ट पर लुटाया प्यार
वीडियो वायरल होते ही 47 हजार बार देखा जा चुका है। इसे देखकर लोग बहुत खुश हुए और कमेंट सेक्शन में अपने प्यार की बौछार की। एक यूजर ने लिखा, ‘जनता के राष्ट्रपति कलाम सर हम आपको प्यार करते हैं। दूसरे ने कमेंट किया, ‘जिस जोश के साथ वह जो कुछ भी कहना चाहते हैं, वह सबसे प्रेरणादायक है। आज भी अब्दुल कलाम दिलों में जिंदा हैं।
‘अदम्य साहस’ में मां के प्यार का जिक्र
कलाम अपनी मां को ही अपना आइडियल मानते थे। मां के लिए उनके प्यार का उनकी किताब ‘अदम्य साहस’ में भी दिखता है। इस किताब में उन्होंने अपने बचपन और मां के रिश्ते से जुड़े कई किस्सों का जिक्र किया है। मां के निधन पर उन्होंने एक कविता लिखकर उनके प्रति अपनी भावनाओं का इजहार किया था।
मां सामान बहन
घर में पैसों की तंगी के कारण आगे की पढ़ाई के लिए अब्दुल कलाम की बड़ी बहन ने अपने कंगन गिरवी रखकर 1950 में भाई का एडमिशन सेंट जोसफ कॉलेज में कराया था। वो इंजिनियर बनना चाहते थे। उस वक्त एयरोनॉटिक्स इंजीनियरिंग की फीस सिर्फ एक हजार रुपए थी।
अखबार बेचकर जुटाया पैसा
कलाम के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी, इसलिए वह रोज सुबह उठकर अखबार बेचा करते थे। उन्हें अखबार बेचकर जो भी पैसे मिलते थे, उसे वह अपनी पढ़ाई और किताबों को खरीदने में लगाते थे।
एपीजे अब्दुल कलाम ने 1974 में पहले परमाणु परीक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
परमाणु परीक्षण
एपीजे अब्दुल कलाम ने 1974 में भारत द्वारा पहले परमाणु परीक्षण के बाद से दूसरी बार 1998 में भारत के पोखरान-द्वितीय परमाणु परीक्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने विज्ञान के क्षेत्र में भारत के लिए अतुलनीय काम किया। वह भारत को महाशक्ति बनाना चाह रहे थे। इसलिए उन्होंने साल 2020 तक भारत के लिए 20-20 का लक्ष्य रखा था।
आखिरी वक्त तक पढ़ाया
डॉक्टर कलाम को कई पुरस्कारों से नवाजा गया था। वह 2002 से 2007 तक भारत के 11वें राष्ट्रपति थे। उन्हें 1997 में भारत सरकार ने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया था। उन्हें 1981 में पद्म भूषण और 1990 में पद्म विभूषण दिया गया था। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने 27 जुलाई 2015 को शिलांग के आईआईएम में बच्चों को पढ़ाते हुए आखिरी सासें लीं।