- Hindi News
- National
- Karnataka Hijab Controversy; Advocate Devadatt Kamat On Kendriya Vidyalaya
नई दिल्ली7 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
कर्नाटक हिजाब विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच में 2 घंटे से ज्यादा देर तक सुनवाई चली। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील देवदत्त कामत ने पक्ष रखते हुए हिजाब बैन के खिलाफ जोरदार दलीलें दी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक कामत ने कहा कि केंद्र की ओर से संचलित केंद्रीय विद्यालय में हिजाब बैन नहीं है, जबकि कर्नाटक सरकार ने एक धर्म को टारगेट करने के लिए हिजाब पर बैन लगाया।
कामत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को यह देखना होगा कि क्या स्कूल के भीतर अनुच्छेद 19 (व्यक्तिगत स्वतंत्रता) या 25 (धर्म के पालन का अधिकार) लागू नहीं होता? हम चाहेंगे कि इस मसले को संवैधानिक बेंच में भेजा जाए। मामले की अगली सुनवाई कल यानी गुरुवार को होगी।
सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा…
जस्टिस गुप्ता- हम एक कंजर्वेटिव सोसाइटी हैं, आप अमेरिका और कनाडा के फैसलों के बारे में न बताएं।
एडवोकेट कामत- हम एक सेक्युलर देश है। यहां रूद्राक्ष और क्रॉस दोनों पहनने की इजाजत है।
जस्टिस गुप्ता- क्या संविंधान के मूल में सेक्युलर शब्द है? 1976 में इसे जोड़ा गया है।
एडवोक कामत- मैं शब्द पर नहीं जा रहा हूं। राज्य सरकार के दबाव की वजह से स्कूलों में हिजाब बैन किया गया।
जस्टिस गुप्ता- आपको स्कूलों में हिजाब पहनने से रोका गया है, ना कि बाहर।
एडवोक कामत- व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर रोक तब लगती है जब वह कानून-व्यवस्था या नैतिकता के विरुद्ध हो। लड़कियों का हिजाब पहनना न कानून-व्यवस्था के खिलाफ है, न नैतिकता के।
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को दी गई है चुनौती
सुप्रीम कोर्ट में हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएं दाखिल हैं। इन याचिकाओं को मार्च में दाखिल किया गया था। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 14 मार्च को हिजाब विवाद पर फैसला सुनाया था, जिसमें कहा था कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। हाईकोर्ट ने आगे कहा था कि स्टूडेंट्स स्कूल या कॉलेज की तयशुदा यूनिफॉर्म पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
उडुपी से शुरू हुआ विवाद पूरे कर्नाटक में फैल गया
कर्नाटक में हिजाब विवाद जनवरी के शुरुआत में उडुपी के ही एक सरकारी कॉलेज से शुरू हुआ था, जहां मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर आने से रोका गया था। स्कूल मैनेजमेंट ने इसे यूनिफॉर्म कोड के खिलाफ बताया था। इसके बाद अन्य शहरों में भी यह विवाद फैल गया।
मुस्लिम लड़कियां इसका विरोध कर रही हैं, जिसके खिलाफ हिंदू संगठनों से जुड़े युवकों ने भी भगवा शॉल पहनकर जवाबी विरोध शुरू कर दिया था। एक कॉलेज में यह विरोध हिंसक झड़प में बदल गया था, जहां पुलिस को सिचुएशन कंट्रोल करने के लिए टियर गैस छोड़नी पड़ी थी।