कर्नल की 12 सिख लाइट इन्फेंट्री जॉइन करने की कहानी: इसी में पिता तैनात थे, इसलिए मनप्रीत ने भी इसे चुना; अनंतनाग में हुए शहीद

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चंडीगढ़2 घंटे पहले

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शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह। - Dainik Bhaskar

शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह।

न्यू चंडीगढ़ के शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह का 12 सिख लाइट इन्फेंट्री बटालियन से अटूट प्यार था। क्योंकि उनके पिता इसी बटालियन से रिटायर हुए थे। उन्होंने लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर 2003 में इसी बटालियन में अपनी जॉइनिंग की थी। लेकिन जब वह कर्नल बने तो उन्हें 19 राष्ट्रीय राइफल बटालियन को कमांड करने के लिए भेज दिया था।

वह अब 19 राष्ट्रीय राइफल बटालियन से ही शहीद होकर पंचतत्व में विलीन हुए हैं।

आतंकियों के दुश्मन थे मनप्रीत सिंह
कर्नल मनप्रीत सिंह की अंतिम यात्रा में शामिल होने के लिए राष्ट्रीय राइफल 19 बटालियन और सिख लाइट इन्फेंट्री से काफी सैनिक आए थे। उन्होंने बताया कि शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह आतंकियों के दुश्मन थे। उन्हें जब भी आतंकियों के बारे में सूचना मिलती थी, वह खुद ही उनका सामना करने के लिए निकल पड़ते थे।

उन्होंने 2021 में ऐसे ही एक ऑपरेशन में दो आतंकवादियों को मार गिराया था। इसके लिए उन्हें सेना मेडल से सम्मानित किया गया था। इस कारण वह आतंकियों के निशाने पर थे। अब मौका मिलते ही आतंकवादियों ने उन्हें निशाना बना लिया।

बेटे ने सेना की वर्दी पहन दिए संकेत
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह के परिवार का भारतीय सेना से पुराना नाता रहा है। उनके दादा अंग्रेजों के जमाने में सेना में भर्ती हुए थे। बाद में भारत के आजाद होने पर भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दी थी। उसके बाद मनप्रीत सिंह के पिता लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फेंट्री में भर्ती हुए थे। वह उन सदस्यों में माने जाते हैं, जिन्होंने इस इन्फेंट्री को मजबूत बनाया।

इसके बाद मनप्रीत सिंह ने भी इसी इन्फेंट्री का रास्ता चुना। उनकी शहादत के दौरान उनके बेटे के शरीर पर फौज की वर्दी यही संकेत देती है कि वह भी बड़े होकर फौज में भर्ती होकर देश की सेवा करेंगे।

देश की सेवा के लिए मशहूर है गांव
शहीद कर्नल मनप्रीत सिंह भड़ौदियां गांव के हैं। यह गांव देश की सेवा के लिए बड़ा ही मशहूर है। इस गांव के लगभग हर घर से कोई न कोई भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहा है। अब तक इस गांव को देश दुनिया में नहीं जाना जाता था, लेकिन मनप्रीत सिंह की शहादत के बाद, यह गांव सुर्खियों में है।

मैं एक देश रक्षक की शिक्षक हूं
मनप्रीत सिंह की शहादत के बाद उनकी अंतिम यात्रा में शामिल होने आई शिक्षक आशा चड्ढा ने कहा कि मैंने मनप्रीत सिंह को बचपन से पढ़ाया है। वह असाधारण विद्यार्थी थे। केंद्रीय विद्यालय में वह हर काम में अव्वल रहते थे। छोटे से गांव से उठकर आर्मी में कर्नल रैंक तक पहुंचना यह बड़ी बात थी। हर साल स्कूल में उनकी फोटो दिखाकर बच्चों को देशभक्ति के बारे में प्रेरित करते थे। अब उनकी शहादत के बाद बच्चों को उनके जीवन के बारे में बताया जाएगा।

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अनंतनाग में बुधवार 13 सितंबर को आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हुए न्यू चंडीगढ़ के कर्नल मनप्रीत सिंह का अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव भड़ौजियां में हुआ। यहां पूरे सैन्य सम्मान के साथ उन्हें विदाई दी गई। 7 साल के बेटे कबीर ने शहीद पिता को मुखाग्नि दी। वह सैनिक की वर्दी पहने था। आखिरी बार अपने पिता से उसने बस इतना ही कहा- पापा जय हिंद (पढ़ें पूरी खबर)

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