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नई दिल्ली8 मिनट पहलेलेखक: अनिरुद्ध शर्मा
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आईटीआई, ग्रेजुएशन, इंजीनियरिंग के लिए 150 घंटे की पढ़ाई करनी होगी।
देश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को स्किल डेवलपमेंट से जोड़ने के लिए स्किलिंग फ्रेमवर्क तैयार हो गया है। इसके तहत आईटीआई, पॉलिटेक्निक और इंजीनियरिंग कॉलेजों तक हर लेवल पर बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ाया जाएगा।
यह फ्रेमवर्क नेशनल काउंसिल फॉर वोकेशनल एजुकेशन एंड ट्रेनिंग और ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन ने बनाया है।
बेसिक से मास्टरी तक 10% समय एआई के सिद्धांतों के लिए
कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फ्रेमवर्क में एआई के मॉड्यूल में स्पीच रिकॉग्निशन और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, वर्चुअल रियलिटी (वीआर), ऑग्युमेंटेड रियलिटी (एवी), आर्टिफिशिल इंटरनेट ऑफ थिंग्स, जेनरेटिव एआई, चैटबोट, एआई एनालिटिक्स, ड्रोन, फ्रॉड डिटेक्शन व साइबर सिक्योरिटी, क्लाउड कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग को भी कोर्स का हिस्सा बनाया गया है।
सबसे खास बात यह है कि बेसिक से मास्टरी लेवल तक हर स्तर पर एआई ट्रेनिंग में इथिक्स इन एआई (सिद्धांत) को जोड़ा गया है और कोर्स अवधि का 10% समय इसके लिए तय किया गया है।
देश में अगले साल तक चाहिए 10 लाख एआई एक्सपर्ट
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की फ्यूचर ऑफ जॉब्स के मुताबिक, अगले पांच साल में दुनियाभर में 8.3 करोड़ नौकरियां खत्म होंगी, जबकि 6.9 करोड़ नई नौकरियां जनरेट होंगी। नासकॉम की एक रिपोर्ट कहती है कि एआई जॉब के लिए पेशेवरों की मांग व उपलब्धता के बीच 51% का गैप है। 2024 तक देश में 10 लाख एआई पेशेवरों की जरूरत होगी।
एआई पेशेवरों की मांग ज्यादा, लेकिन सप्लाई अभी कम है
बीते कुछ सालों के दौरान एक ओर जहां हर क्षेत्र में एआई का इस्तेमाल बढ़ने लगा, वहीं देश में स्कूल से लेकर आईटीआई, पॉलिटेक्निक, यूनिवर्सिटी व इंजीनियरिंग कॉलेज तक एआई को विभिन्न कोर्स में शामिल कर ट्रेनिंग दी जाने लगी, लेकिन इसके बावजूद एआई पेशेवरों की मांग व संख्या के बीच बड़ा गैप हो गया है। इसलिए उसका मानकीकरण किया गया है।