अमेरिका के प्रीडेटर ड्रोन की डील आखिरी दौर में: MQ-9B से भारत की ताकत बढ़ेगी; यह ड्रोन 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम

4 मिनट पहले

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भारतीय सेना के बेड़े में जल्द MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन शामिल होने वाला है। तीन अरब डॉलर यानी 22,000 करोड़ रुपए से अधिक की लागत वाले 30 प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन को खरीदने के लिए भारत और अमेरिका के बीच की बातचीत आखिरी दौर में हैं। हालांकि, अभी कुछ मुद्दों को सुलझाया जा रहा है। लंबे समय तक हवा में रहने वाले इस ड्रोन से सुरक्षाबलों की ताकत बढ़ेगी।

जनरल एटॉमिक्स ग्लोबल कॉरपोरेशन के चीफ एग्जीक्यूटिव डॉ. विवेक लाल ने बताया कि दोनों सरकारों के बीच खरीदारी पर बातचीत लास्ट फेज में है। अमेरिकी कंपनी ‘जनरल एटॉमिक्स’ ने यह ड्रोन बनाए हैं। इन 30 ड्रोन को चीन के साथ लगती लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) और इंडियन ओशन के पास सतर्कता बढ़ाने के लिए यूज किया जाएगा।

इसी ड्रोन से किया गया था अल-जवाहिरी का खात्मा
इन सभी ड्रोन को तीनों सेनाओं के लिए खरीदा जा रहा है। MQ-9B ड्रोन MQ-9 ‘रीपर’ का दूसरा वर्जन है। पिछले महीने इसका इस्तेमाल काबुल में कथित तौर पर हेलफायर मिसाइल के एक मोडिफाइड वर्जन को आग लगाने के लिए किया गया था। इसमें अल-कायदा नेता अयमान अल-जवाहिरी की मौत हो गई थी। माना जाता है कि अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को खोजने से लिए भी इसका इस्तेमाल किया था।

यह ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम
यह ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम हैं। इस ड्रोन को रिमोट की मदद से उड़ाया और ऑपरेट किया जाता है। इसके लिए दो लोगों की जरूरत पड़ती है। यह एक बार उड़ान भरने के बाद 1900 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी कर सकता है। सूत्रों के अनुसार, यह एक घंटे में 482 किलोमीटर की रफ्तार से उड़ सकता है। इसके पंखों की लंबाई 65 फीट 7 इंच और इसकी ऊंचाई 12 फीट 6 इंच होती है।

2020 में इंडियन नेवी ने निगरानी के लिए MQ-9B को लीज पर लिया
2020 में इंडियन नेवी को इंडियन ओशन में निगरानी के लिए अमेरिका से दो ‘MQ-9B’ सी गार्जियन ड्रोन एक साल के लिए लीज पर मिले थे। बाद में लीज अवधि बढ़ा दी गई है। दरअसल, भारतीय नौसेना इंडियन ओशन में PLA युद्धपोतों की ओर से लगातार हमले सहित बढ़ती चीनी गतिविधियों की निगरानी के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत कर रही है।

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