अब भारतीय सेनाएं वैपन सिस्टम का संयुक्त रख-रखाव करेंगी: वायुसेना से अपाचे की ऑपरेशनल ट्रेनिंग ले रही थलसेना; प्रीडेटर ड्रोन का भी जॉइंट मेन्टेंन्स होगा

नई दिल्ली15 मिनट पहले

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तीनों सेनाओं के लिए अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे जाने हैं। - Dainik Bhaskar

तीनों सेनाओं के लिए अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे जाने हैं।

सेना के मामलों को देखने वाला, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स ऐसे सिस्टम पर काम कर रहा है, जहां सेना संयुक्त रूप से कॉमन वैपन सिस्टम और प्लेटफार्मों का रख-रखाव कर सके।

इसका उद्देश्य हथियारों के रख-रखाव में होने वाले खर्च को बचाना है। इस मामले पर तीनों सेनाओं के अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच कई चर्चाएं हो चुकी हैं।

थिएटर कमांड पहले ही जॉइंट फाइटिंग फॉरर्मेशन बनाने के लिए वैपन सिस्टम की खरीद संयुक्त रूप से शुरू कर चुका है। अब वैपन प्लेटफार्मों के संयुक्त रख-रखाव पर विचार किया जा रहा है।

यह फैसला कहां काम आ सकता है…

  • रक्षा अधिकारियों के मुताबिक मौजूदा दौर में चीता और चेतक बेडे़ का इस्तेमाल तीनों सेनाएं कर रही हैं। अगर इनका रख-रखाव संयुक्त रूप से किया जाए तो काफी बचत हो सकती है।
  • डोर्नियर एयरक्राफ्ट भी भारतीय वायु सेना, नौसेना और कोस्टगार्ड के पास हैं, यदि इनका मेन्टेनेंस एक साथ किया जाए तो बचत के साथ-साथ इनकी सर्विस क्वालिटी भी सुधारी जा सकती है।
  • राफेल, जो वायु सेना के बेड़े में शामिल है, उसे नौसेना के लिए भी खरीदा जाना है। यह फैसला इसके मेन्टेनेंस, इसके स्पेयर पार्ट्स और बाकी इक्विपमेंट्स के मैनेजमेंट में हेल्प करेगा।

अपाचे के लिए अभी से तैयार हो रहे जवान, प्रीडेटर ड्रोन की खरीदी भी इसी थीम पर
डिफेंस फोर्सेस ने भी अब संयुक्त अधिग्रहण पर काम करना शुरू कर दिया है। यानी लाइट हेलिकॉप्टर, इंडियन मल्टीरोल हेलिकॉप्टर, मीडियम एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्योरेंस ड्रोन की खरीदी, सभी में कॉमन मेन्टेनेंस सुविधाएं होंगी।

भारतीय सेनाएं अब अपने सभी नए फ्लीट्स को संयुक्त रूप से तैयार करेंगी। इसी कड़ी में अमेरिका से आने वाले अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्टरों को भारतीय वायु सेना के मौजूदा बेड़े के साथ बनाए रखा जाएगा। थलसेना ने पहले ही इन हेलिकॉप्टरों की ऑपरेशनल ट्रेनिंग के लिए अपने जवानों को वायु सेना की यूनिट्स में तैनात कर दिया है।

उधर, तीनों सेनाओं के लिए अमेरिका से 31 प्रीडेटर ड्रोन खरीदे जाने हैं, इसके लिए देश में ही जॉइंट मेन्टेनेंस, रिपेयरिंग और ओवरहॉलिंग की सुविधा रखी जाएगी।

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