UNLF के 34 विद्रोहियों ने भारत-म्यांमार बॉर्डर पर सरेंडर किया: असम राइफल्स के सामने हथियार डाले, मणिपुर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे थे

इंफाल43 मिनट पहलेलेखक: एम मुबासिर राजी

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असम राइफल्स ने शुक्रवार रात करीब 9 बजे सभी विद्रोहियों को टेंग्नौपाल पुलिस को सौंप दिया। - Dainik Bhaskar

असम राइफल्स ने शुक्रवार रात करीब 9 बजे सभी विद्रोहियों को टेंग्नौपाल पुलिस को सौंप दिया।

नॉर्थ ईस्ट के सबसे पुराने विद्रोही दलों में से एक यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट पाम्बेई (UNLF-P) के 34 कैडरों ने असम राइफल्स के सामने शुक्रवार (17 मई) को सरेंडर कर दिया।

अधिकारियों के मुताबिक, ये सभी 34 विद्रोही म्यांमार से मणिपुर में घुसने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान असम राइफल्स ने इन्हें रोका। जवानों पर हमला करने की जगह इन्होंने हथियार डाल दिए।

ऑटोमैटिक हथियारों से लैस इन विद्रोहियों की इनके म्यांमार के प्रतिद्वंद्वियों से गोलीबारी चल रही थी। इसी गोलीबारी से बचने के लिए विद्रोहियों ने मणिपुर में घुसने की कोशिश की थी।

सरेंडर के बाद असम राइफल्स ने शुक्रवार रात करीब 9 बजे सभी विद्रोहियों को टेंग्नौपाल पुलिस को सौंप दिया। इसके बाद इन्हें इंफाल भेज दिया गया है। फिलहाल विद्रोहियों को इंफाल में कहा रखा गया है, इसकी जानकारी नहीं दी गई है।

सरेंडर के बाद असम राइफल्स ने इन विद्रोहियों को टेंग्नौपाल पुलिस को सौंपा।

सरेंडर के बाद असम राइफल्स ने इन विद्रोहियों को टेंग्नौपाल पुलिस को सौंपा।

म्यांमार में होती है विद्रोहियों की ट्रेनिंग
UNLF-P ने 29 नवंबर 2023 को केंद्र और मणिपुर सरकार के साथ युद्धविराम समझौता किया था। UNLF सहित नॉर्थ ईस्ट के अधिकांश विद्रोही समूहों ने म्यांमार में अपना ठिकाना बना रखा है। वे भारत से कैडरों की भर्ती करते हैं और म्यांमार कैंप लगाकर उन्हें ट्रेनिंग देते हैं। इन विद्रोही समूहों के मास्टरमाइंड भी अक्सर म्यांमार में रहकर ही ऑपरेट करते हैं।

पिछले कुछ दिनों से ये विद्रोही विद्रोही भारत की ओर भागने के लिए मजबूर हो गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसकी वजह म्यांमार में सेना का शासन है। चुनी हुई सरकार को बर्खास्त करने के बाद ये विद्रोही मणिपुर में घुसपैठ की कोशिश कर रहे हैं।

विद्रोही भारतीय बॉर्डर कैसे आसानी से पार कर लेते हैं?
यंग मिजो एसोसिएशन के सचिव लालनुन्तलुआंगा कहते हैं कि भारत और म्यांमार की सीमा से इधर-उधर जाना आसान है। बॉर्डर के दोनों तरफ 25 किलोमीटर तक जाने की छूट है। ऐसे में म्यांमार से लोग आसानी से भारत पहुंच जाते हैं।

म्यांमार में तख्तापलट के बाद सेना ने इमरजेंसी की घोषणा की थी
फरवरी 2021 में म्यांमार में सेना ने लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर सस्ता पर कब्जा कर लिया। वहां की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की और राष्ट्रपति विन मिंट समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया था।

इसके बाद मिलिट्री लीडर जनरल मिन आंग हलिंग ने खुद को देश का प्रधानमंत्री घोषित कर दिया था। सेना ने देश में 2 साल के आपातकाल की घोषणा की थी। इसके बाद से म्यांमार में गृह युद्ध चल रहा है, जिसके कारण बड़ी संख्या में लोग विस्थापित हुए हैं। मिजोरम पुलिस के मुताबिक, बीते कुछ महीनों से भारत-म्यांमार सीमा के आसपास गतिविधियां बढ़ी हैं। हजारों की संख्या में म्यांमारी लोग भारतीय सीमा में प्रवेश कर रहे हैं।

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