SC ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की फाइल तलब की: कहा- हम देखना चाहते हैं कि अपॉइंटमेंट में क्या प्रक्रिया अपनाई गई

  • Hindi News
  • National
  • Supreme Court On Chief Election Commissioner (CEC) Tenure; Who Is TN Seshan | Delhi News

नई दिल्ली3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार को आदेश दिया कि वह 19 नवंबर को नियुक्त किए गए चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल पेश करे। इसके लिए 24 नवंबर तक का समय दिया गया है। कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल (AG) वेंकटरमणी से कहा कि हम यह जानना चाहते हैं कि उनकी अपॉइंटमेंट में क्या प्रक्रिया अपनाई गई। कहीं कोई हंकी पैंकी (हेरफेर) तो नहीं की गई। अगर नियुक्ति नियमानुसार हुई है तो इसमें परेशान होने वाली कोई बात नहीं है।

दरअसल, IAS अरुण गोयल ने हाल ही में VRS लिया है। इसे लेकर सीनियर एडवोकेट प्रशांत भूषण ने एक याचिका दायर की थी।

अटार्नी जनरल ने जताई आपत्ति
गोयल की नियुक्ति से संबंधित फाइल को देखने की कोर्ट की इच्छा पर अटार्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने आपत्ति जताई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आपत्ति खारिज कर दी। वेंकटरमणि ने कहा कि कोर्ट चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) की नियुक्ति के बड़े मुद्दे को सुन रहा है। ऐसे में वह प्रशांत भूषण द्वारा उठाए गए एक व्यक्तिगत मामले को नहीं देख सकता है।

मंगलवार को CEC की नियुक्ति पर सरकार को फटकार लगाई थी
इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त, यानी CEC की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि 1990 से 1996 के बीच CEC रहे टीएन शेषन के बाद किसी भी मुख्य चुनाव आयुक्त को अपने पूरे कार्यकाल का मौका नहीं मिला। क्या ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि सरकार को CEC बनाए जाने वाले व्यक्ति के जन्म की तारीख पता होती है? वर्तमान सरकार के समय ही नहीं, UPA की सरकार के समय भी होता आया है।

भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।

भारतीय चुनाव आयोग की स्थापना 25 जनवरी 1950 को की गयी थी।

चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएम जोसेफ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह बात कही। कोर्ट ने कहा कि इस बारे में संवैधानिक चुप्पी का फायदा उठाया जा रहा है, जो सही नहीं है।

बेस्ट अधिकारी के सिलेक्शन और नियुक्ति की प्रक्रिया तय हो
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि संविधान में चीफ इलेक्शन कमिश्नर (CEC) और दो इलेक्शन कमिश्नरों (ECs) के कंधों पर महत्वपूर्ण शक्तियों का भार है। इन जिम्मेदार पदों पर नियुक्ति के समय चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाना चाहिए, ताकि बेस्ट पर्सन ही इस पद पर पहुंचे। यह बहुत अहम हो जाता है कि आखिर बेस्ट अधिकारी का सिलेक्शन और उसकी नियुक्ति कैसे की जाती है।

इस पर AG ने कोर्ट से कहा कि इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं हो सकती। केंद्र सरकार भी बेस्ट पर्सन की नियुक्ति का विरोध नहीं करती, लेकिन सवाल यह है कि ऐसा कैसे होगा?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि टीएन शेषन के बाद किसी भी CEC को अपना पूरे कार्यकाल का मौका नहीं मिला।

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि टीएन शेषन के बाद किसी भी CEC को अपना पूरे कार्यकाल का मौका नहीं मिला।

पिछले 70 साल से CEC की नियुक्ति का कानून नहीं
बेंच ने कहा कि संविधान में बताई प्रक्रिया के तहत इलेक्शन कमिश्नर की नियुक्ति नहीं होने का परिणाम अच्छा नहीं होता। संविधान के अनुच्छेद 324 (2) में CEC और ECs की नियुक्ति के लिए कानून बनाने की बात कही गई है। पिछले सात दशकों में नियमों के तहत नियुक्ति नहीं हुई हैं।

कॉलेजियम सिस्टम से CEC की नियुक्ति पर सुनवाई कर रहा कोर्ट
कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के तहत CEC और EC की नियुक्ति की प्रक्रिया पर 23 अक्टूबर 2018 को दायर की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए ये महत्वपूर्ण टिप्पणियां कीं। याचिका में कहा गया था कि CBI डायरेक्टर या लोकपाल की तरह ही केंद्र एकतरफा चुनाव आयोग के सदस्यों की नियुक्ति करता है। मंगलवार को जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषीकेश रॉय और सीटी रविकुमार की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी।

खबरें और भी हैं…