Rajkharsawan : ऑन ड्यूटी लोको पायलट एवं सहायक पायलट की मौत, पीड़ादायक… हृदय विदारक घटना… ! – Rail Hunt

INDIAN RAILWAY :  कभी-कभी अपने काम के प्रति अत्यधिक समर्पण, अति दक्षता प्रदर्शन और जल्दीबाजी के चक्कर में गंभीर मुसिबत को न्योता दे बैठते हैं. अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा की अनदेखी हो जाती है. फलत: अनायास ही बहुत बड़ी विपत्ति का सामना हो जाता है और जानलेवा दुर्घटना घटित हो जाती है.

दिनांक 18 व 19 नवम्बर 2022 की मध्यरात्रि 12.15 बजे दक्षिण – पूर्व रेलवे (South Eastern Railway) के चक्रधरपुर मंडल (Chakradharpur Division) अंतर्गत राजखरस्वां स्टेशन में जो कुछ हुआ वह दिल को झकझोर देने वाला था. कहने को तो यह दुर्घटना थी लेकिन इसने रेलवे की कार्यप्रणाली पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिये है. लोको बदली करने के उपरांत लोको सह गाड़ी की ज़रूरी परीक्षण व निरीक्षण करने के दौरान अप और डाउन मेन लाइनों के मध्य यह घटना हुई. अपने काम में मग्न लोको पायलट (Loco Pilot) को अप मेन लाइन से 125 कि.मी.प्रति घंटा की तीव्र गति से आती हावड़ा – मुम्बई मेल (12810) की भनक नहीं लगी थी. अनहोनी को सम्मुख देख सहायक लोको पायलट (Assistant Loco Pilot) उन्हें बचाने के लिए लपके थे. मगर अफसोस की बात है कि पलक झपकते ही दोनों इसकी चपेट में आ गए. जिससे तत्क्षण ही दोनों की मौत हो गई. हालांकि सुपरफास्ट एक्सप्रेस के चालक ने उन्हें देखते ही इमरजेंसी ब्रेक लगा कर अपनी गाड़ी को रोकने का भरसक प्रयास किया. रात के समय मानव दृश्यता सीमा के अंदर इतनी रफ्तार की गाड़ी को रोकना कदाचित संभव नहीं है. दोनों को ठोकर मारने के बाद आगे कुछ दूरी पर जाकर गाड़ी रुकी. इस प्रकार इस हृदय विदारक घटना को चाहकर भी टालना संभव नहीं हुआ.

दिवंगत लोको पायलट डी.के.सहाना (53)और दिवंगत सहायक लोको पायलट मो.अफसार आलम (36) दोनों चक्रधरपुर क्रू लॉबी के कर्मचारी थे और वहीं से मालगाड़ी चलाकर रात्रि के 10 बजे राजखरसवां स्टेशन पहुंचे थे. यहां उनकी गाड़ी को डाउन मेन लाइन में ली गयी थी तथा उन्हें अन्य अप मालगाड़ी के इंजन के साथ अदला-बदली करने का आदेश मिला था.उसी क्रम में यह हादसा हुआ.

रनिंग स्टाफ को विभाग की ओर से अक्सर सुरक्षा को ध्यान में रखने और कड़ाई से पालन करने के लिए दिशा-निर्देश दिए जाते हैं. समय -समय पर सेफ्टी सेमिनार भी आयोजित किए जाते हैं. लेकिन मेरे विचार से रेलगाड़ी परिचालन से सीधा संबंध रखने वालों जैसे सेक्सन कंट्रोलर,स्टेशन मास्टर, यार्ड मास्टर,शंटिंग स्टाफ आदि को रनिंग स्टाफ से कहीं अधिक सुरक्षा सतर्कता की जानकारी जरूरी है. ये जितने अधिक सेफ्टी के प्रति जागरूक रहेंगे,उतने अधिक रनिंग स्टाफ खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे. जिससे अनहोनी की सम्भावना घटेगी. क्योंकि रनिंग स्टाफ ऑपरेटिंग स्टाफ के इशारे से चलने वाले खिलौने मात्र हैं. रिमोट कंट्रोल उनके हाथ में रहता है.

अतः रनिंग स्टाफ के साथ -साथ उपरोक्त ऑपरेटिंग स्टाफ के लिए भी ऐसे सेमिनार की बहुत आवश्यकता है. इसके अलावे रनिंग स्टाफ के कार्यक्षेत्र में होने वाली समस्याओं को जानने, परखने और समाधान करने के लिए विशेष सेमिनार किया जाना चाहिए. समस्या समाधान शिविर का आयोजन एक कारगर कदम साबित हो सकता है. उदाहरण स्वरूप कभी -कभी मालगाड़ियों को स्टेशनों के बाहर घंटों खड़ी करके रखी जाती है. शरारती तत्वों या अपराधी प्रवृत्ति के लोगों का शिकार होने या गाड़ी में छेड़छाड़ होने का डर रहता है.

दूसरा उदाहरण है – असुरक्षित व अनुचित लाइनों में एवं विषम परिस्थिति में पूरी गाड़ी का निरीक्षण काम (GDR) करना काफी खतरनाक है. गम्हारिया स्टेशन की लाइन संख्या 8 की उत्तरी ओर गाड़ी की जांच करना मुश्किल काम है. साथ ही गम्हारिया के यू एम एल एस(UMLS) में अक्सर गाड़ी के दोनों तरफ से माल हटाए बिना ही गाड़ी निरीक्षण का आदेश दिया जाता है. यह जानलेवा साबित हो सकता है. साथ ही सही ढंग से निरीक्षण संभव नहीं है. क्योंकि निजी डम्पर्स तीव्र गति से माल हटाने में व्यस्त रहते हैं. इस तरह की समस्याओं के निराकरण हेतु सेमिनार किया जाए तो रेलवे एवं रेल कर्मचारियों का हित होगा.

यूं तो रनिंग स्टाफ स्वयं की सुरक्षा के प्रति सजग और सचेत रहते हैं. लेकिन विभाग द्वारा तय किए गए न्यूनतम समयावधि में अपने कार्य को पूर्ण करने का दबाव रहता है. साथ ही इनके कार्य की प्रकृति के आधार पर ये अन्य कई विभागों से संबद्ध रहते हैं. इसलिए इनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही ज्यादा रहती है. जिससे इनका ध्यान अपने कार्य पर केंद्रित हो जाता है. साथ ही यह काम अगर खतरनाक जगहों में करना पड़े, जैसे मेन लाइन में या घास-फूस व झाड़ी युक्त जगहों में या ऊबड़ -खाबड़ जगहों में ,तो यह काम बेहद जोखिम भरा हो जाता है.

हालांकि लोको पायलट व सहायक लोको पायलट की ड्यूटी सीमा पर तैनात सुरक्षा बलों से कम नहीं है.सतर्क रहने के बावजूद भी कब क्या अनहोनी हो जाएगी कहना कठिन है.पल भर में मौत दस्तक दे जाती है. सैनिकों की तरह ही इनकी ड्यूटी का कोई समय निर्धारित नहीं रहता है. विभाग की आवश्यकता के अनुसार ड्यूटी हेतु आदेश प्रेषित किया जाता है. कब काम पर जाना है और कब मुख्यालय लौट आना है,यह तय नहीं रहता है. दिन हो या रात, सर्दी- गर्मी – बारिश हो या फिर पर्व -त्योहार हो,ये हमेशा ड्यूटी के लिए तैयार रहते हैं. अतः मैं इन्हें देश के सैनिक से कम नहीं मानता हूं. फलस्वरूप इनकी मौत साधारण मौत नहीं है. बल्कि ड्यूटी के वक्त इन दोनों की हुई मृत्यु को शहीद की संज्ञा देता हूं. खासकर सहायक लोको पायलट ने अपने सहकर्मी लोको पायलट की जान को बचाने के लिए जांबाज सैनिक की भांति प्राणाहुति दे डाली. नि:संदह यह काम एक मरणोपरांत शौर्य चक्र के हकदार जैसा काम है. अतः ये वीर गति प्राप्त करके अमर हो गए.

इन दोनों की इस तरह से हुई दर्दनाक मौत से पूरा रनिंग परिवार बेहद मर्माहत और क्षोभ में हैं. चक्रधरपुर रेल मंडल कर्मियों व परिवारों के अलावे चारों ओर शोक की लहर दौड़ गई है. आइए,उन दोनों की दिवंगत आत्माओं की चिर शांति हेतु तथा शोक संतप्त परिवारों को इस दुःख की घड़ी में संबल प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं.

विनम्र श्रद्धांजलि!🙏🏽💐💐💐

कार्यक्षेत्र में सजग रहें, सचेत रहें एवं सावधान रहें!

( लेखक चक्रधरपुर रेलमंडल के लोको पायलट है, यह उनके निजी विचार है. उनके अनुरोध पर नाम व पहचान नहीं दी जा रही है. )

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