MP में जांच के लिए CBI को लेनी होगी इजाजत: गृह विभाग ने जारी किया नोटिफिकेशन; 1 जुलाई से ही व्यवस्था लागू – Bhopal News

मध्यप्रदेश में CBI (सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन) को जांच करने से पहले राज्य सरकार की लिखित अनुमति लेनी होगी। मतलब बिना राज्य सरकार की इजाजत के CBI कोई जांच नहीं कर पाएगी। मध्यप्रदेश के गृह विभाग ने इस संबंध में अधिसूचना जारी की है। 1 जुलाई से ही

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अभी CBI को पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पंजाब में किसी केस की जांच के पहले वहां की सरकार से अनुमति लेनी होती है।

गृह विभाग के अफसरों ने बताया कि यह व्यवस्था पहले से लागू थी। चूंकि अभी भारतीय न्याय संहिता लागू हुई है। इस वजह से यह नोटिफिकेशन जारी करना जरूरी था। अन्यथा कोर्ट में विचाराधीन केस पर असर हो सकता था। इसलिए यह गजट नोटिफिकेशन कराया गया है। बता दें कि सरकार ने 16 जुलाई 2024 को नोटिफिकेशन जारी किया है।

सबसे पहले जानिए मप्र के गृह विभाग के नोटिफिकेशन में क्या
केंद्र सरकार, केन्द्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के कर्मचारियों और निजी व्यक्तियों द्वारा किए गए (चाहे वे अलग से काम कर रहे हों,या केन्द्र सरकार या फिर केन्द्र सरकार के उपक्रमों के कर्मचारियों के साथ मिलकर) समय-समय पर दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम की धारा 3 के अधीन अधिसूचित अपराधों या अपराधों की श्रेणियों की जांच के लिए संपूर्ण मप्र राज्य में दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना के सदस्यों की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र के विस्तार के लिए अपनी सहमति दी है।

मप्र शासन द्वारा नियंत्रित लोकसेवकों से संबंधित मामलों में ऐसी कोई जांच राज्य सरकार की पूर्व लिखित अनुमति के बिना नहीं की जाएगी।किन्हीं भी अपराधों के लिए पिछली सभी सामान्य सहमति और राज्य सरकार द्वारा किसी अन्य अपराध के लिए मामले -दर-मामले के आधार पर दी गई सहमति भी लागू रहेगी।

समझिए कोई केस सीबीआई को कैसे दिया जाता है

दिल्ली स्पेशल पुलिस एस्टेब्लिशमेंट एक्ट के सेक्शन 2 के तहत CBI सिर्फ केंद्र शासित प्रदेशों में सेक्शन 3 के तहत अपराधों पर खुद से जांच शुरू कर सकती है। राज्यों में जांच शुरू करने से पहले सीबीआई को सेक्शन 6 के तहत राज्य सरकार से इजाजत लेना जरूरी है।

CBI को 4 तरह से केस दिया जा सकता है

  • केंद्र सरकार खुद CBI जांच का आदेश दे।
  • हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट CBI को जांच के आदेश दे।
  • राज्य सरकार केंद्र सरकार से CBI जांच की सिफारिश करे।
  • किसी केस को लेकर पब्लिक की डिमांड हो। इस केस को भी सरकार ही तय करती है।

पश्चिम बंगाल सरकार ने लगाई थी याचिका

पश्चिम बंगाल सरकार ने 16 नवंबर, 2018 को अपने क्षेत्राधिकार के भीतर जांच के लिए दिल्ली पुलिस विशेष स्थापना (DSPE) अधिनियम की धारा 6 के तहत सीबीआई को मिली पूर्व सहमति वापस ले ली थी। पश्चिम बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके कहा था कि केंद्रीय एजेंसी से राज्य द्वारा सहमति वापस लेने के बावजूद CBI कई मामलों में जांच कर रही है, वह भी बिना हमारी मंजूरी लिए ।

बंगाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 131 का हवाला देते हुए याचिका दाखिल की थी। इसमें सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र का जिक्र है। इसके मुताबिक केंद्र और राज्यों के बीच के मामलों की सुनवाई सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में की जाती है।

SC बोला-CBI जांच के लिए राज्य सरकार की सहमति जरूरी:पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका को सही कहा, 13 अगस्त को अगली सुनवाई
पश्चिम बंगाल में CBI जांच के खिलाफ ममता सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में 1 मई को याचिका लगाई थी। कोर्ट ने 8 मई को फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 10 जुलाई को कोर्ट ने याचिका को सुनवाई योग्य माना। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने केंद्र सरकार की उस दलील को खारिज कर दिया कि, यह अर्जी सुनवाई योग्य नहीं है। यहां पढे़ पूरी खबर….