Jharkhand: निलंबित भाजपा नेता सीमा चाहती थी घरेलू सहायिका को वाराणसी के आश्रम में छोड़ना, ऐसे हुआ खुलासा

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित नेता सीमा पात्रा अपनी आदिवासी घरेलू सहायिका सुनीता खाखा को वाराणसी के एक आश्रम में छोड़कर आने की योजना बना रही थी। पात्रा पर खाखा को कई वर्षों तक कथित तौर पर बंधक बनाकर रखने और प्रताड़ित करने आरोप है। झारखंड पुलिस में दर्ज कराई गई मूल शिकायत के अनुसार सुनीता खाखा के ‘‘चलने फिरने या खुद चलकर शौचालय जाने में समक्ष नहीं’’ होने के बावजूद पात्रा उसे वाराणसी के एक आश्रम में ले जाकर वहां छोड़ने की योजना बना रही थी।

पात्रा के बेटे आयुष्मान के दोस्त और एक सरकारी अधिकारी विवेक आनंद बास्के ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर 29 वर्षीय आदिवासी युवती को पुलिस ने बचाया था। बास्के ने पीटीआई से कहा कि ‘‘आयुष्मान ने मुझे बताया था कि सुनीता को वाराणसी के एक आश्रम में छोड़ने या कंबल में लपेटकर एक सुनसान जगह पर फेंकने की योजना थी।’’ बास्के ने यह भी दावा किया कि सीमा पात्रा ने अपने बेटे आयुष्मान को मानसिक अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की थी।

प्राथमिकी के अनुसार, प्रताड़ित घरेलू सहायिका के उत्पीड़न की भयानक तस्वीरें आयुष्मान पात्रा द्वारा भेजे जाने के तुरंत बाद, सीमा पात्रा अपने बेटे (आयुष्मान) को मानसिक रूप से विक्षिप्त बताकर स्थानीय पुलिसकर्मियों की मदद से उसके हाथों में हथकड़ी डलवाकर बलपूर्वक केंद्रीय मनोरोग संस्थान (सीआईपी) में ले गई थी।

इस घटनाक्रम की सूचना मिलने पर जब बास्के अस्पताल पहुंचे, तो आयुष्मान ने पात्रा पर सुनीता को अपना पेशाब पीने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया, और उनसे घरेलू सहायिका को बचाने का अनुरोध किया। पात्रा परिवार के चालक रंजीत कुमार सिंह ने बाद में बास्के से कहा कि ‘‘आयुष्मान भैया ने जो कुछ भी बताया वह सच है।’’

बास्के ने बताया कि सीआईपी के चिकित्सकों ने कहा कि आयुष्मान को तत्काल उपचार की आवश्यकता नहीं है, उन्होंने उसे अगले सप्ताह अस्पताल लाने को कहा। हालांकि उनकी मां उसे किसी अन्य मनोरोग संस्थान ले गई और वहां भर्ती करा दिया। इसके बाद, बास्के ने फैसला किया कि अब पुलिस के पास जाकर घरेलू सहायिका को बचाने के साथ-साथ अपने दोस्त आयुष्मान को भी छुड़ाने का समय है क्योंकि उन्हें लगा कि उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरह से ठीक है।

बास्के ने बताया कि सुनीता को बचाने के पहले प्रयास में जब चालक ने सुनीता को एक रिश्तेदार से संपर्क करने के लिए अपना फोन दिया था तो उसे कॉल बीच में ही काटना पड़ा क्योंकि सीमा पात्रा को इसके बारे में पता चल गया था और वह गुस्से में आ गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आयुष्मान और उनके पिता महेश्वर पात्रा दोनों के लिए चिंतित था क्योंकि चालक रंजीत की सूचना के अनुसार उन्हें बालकनी में भी नहीं जाने दिया जाता था। मैंने एक अर्जी में मामले के जांच अधिकारी से सीमा पात्रा की बेटी को सह-आरोपी बनाने का अनुरोध किया है, क्योंकि वह सुनीता को दिल्ली ले गई थी, वहां भी उसे अमानवीय यातना दी गई थी।’’

पुलिस द्वारा 22 अगस्त की रात सुनीता को छुड़ाए जाने के बाद से अमानवीय यातना की यह कहानी सामने आई है। अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि पुलिस ने सीमा पात्रा के आवास पर छापेमारी के बाद सुनीता को दयनीय स्थिति में पाया था।

कुमार ने बताया कि ‘‘महिला अधिकारी ने पाया कि उसके पूरे शरीर पर गंभीर घाव और जलने के निशान थे। वह कुपोषित लग रही थी। वह सदमे की स्थिति में है। सुनीता ने दावा किया कि उसे अपना पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया था… उसके कई दांत तोड़ दिए गए हैं। उसे लोहे की रॉड से कथित तौर पर मारा गया था।’’

पीड़िता का बयान पहले मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था। सुनीता द्वारा अपनी आपबीती सुनाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद पात्रा की गिरफ्तारी के लिए पूरे राज्य और अन्य जगहों पर जोर-शोर से आवाज उठाई गई थी। बाद में पात्रा को भाजपा ने निलंबित कर दिया था। अपनी गिरफ्तारी के बाद पात्रा ने दावा किया था कि वह निर्दोष है और उसे मामले में फंसाया जा रहा है। पात्रा को बुधवार (31 अगस्त) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की निलंबित नेता सीमा पात्रा अपनी आदिवासी घरेलू सहायिका सुनीता खाखा को वाराणसी के एक आश्रम में छोड़कर आने की योजना बना रही थी। पात्रा पर खाखा को कई वर्षों तक कथित तौर पर बंधक बनाकर रखने और प्रताड़ित करने आरोप है। झारखंड पुलिस में दर्ज कराई गई मूल शिकायत के अनुसार सुनीता खाखा के ‘‘चलने फिरने या खुद चलकर शौचालय जाने में समक्ष नहीं’’ होने के बावजूद पात्रा उसे वाराणसी के एक आश्रम में ले जाकर वहां छोड़ने की योजना बना रही थी।

पात्रा के बेटे आयुष्मान के दोस्त और एक सरकारी अधिकारी विवेक आनंद बास्के ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर 29 वर्षीय आदिवासी युवती को पुलिस ने बचाया था। बास्के ने पीटीआई से कहा कि ‘‘आयुष्मान ने मुझे बताया था कि सुनीता को वाराणसी के एक आश्रम में छोड़ने या कंबल में लपेटकर एक सुनसान जगह पर फेंकने की योजना थी।’’ बास्के ने यह भी दावा किया कि सीमा पात्रा ने अपने बेटे आयुष्मान को मानसिक अस्पताल में भर्ती कराने की कोशिश की थी।

प्राथमिकी के अनुसार, प्रताड़ित घरेलू सहायिका के उत्पीड़न की भयानक तस्वीरें आयुष्मान पात्रा द्वारा भेजे जाने के तुरंत बाद, सीमा पात्रा अपने बेटे (आयुष्मान) को मानसिक रूप से विक्षिप्त बताकर स्थानीय पुलिसकर्मियों की मदद से उसके हाथों में हथकड़ी डलवाकर बलपूर्वक केंद्रीय मनोरोग संस्थान (सीआईपी) में ले गई थी।

इस घटनाक्रम की सूचना मिलने पर जब बास्के अस्पताल पहुंचे, तो आयुष्मान ने पात्रा पर सुनीता को अपना पेशाब पीने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाया, और उनसे घरेलू सहायिका को बचाने का अनुरोध किया। पात्रा परिवार के चालक रंजीत कुमार सिंह ने बाद में बास्के से कहा कि ‘‘आयुष्मान भैया ने जो कुछ भी बताया वह सच है।’’

बास्के ने बताया कि सीआईपी के चिकित्सकों ने कहा कि आयुष्मान को तत्काल उपचार की आवश्यकता नहीं है, उन्होंने उसे अगले सप्ताह अस्पताल लाने को कहा। हालांकि उनकी मां उसे किसी अन्य मनोरोग संस्थान ले गई और वहां भर्ती करा दिया। इसके बाद, बास्के ने फैसला किया कि अब पुलिस के पास जाकर घरेलू सहायिका को बचाने के साथ-साथ अपने दोस्त आयुष्मान को भी छुड़ाने का समय है क्योंकि उन्हें लगा कि उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरह से ठीक है।

बास्के ने बताया कि सुनीता को बचाने के पहले प्रयास में जब चालक ने सुनीता को एक रिश्तेदार से संपर्क करने के लिए अपना फोन दिया था तो उसे कॉल बीच में ही काटना पड़ा क्योंकि सीमा पात्रा को इसके बारे में पता चल गया था और वह गुस्से में आ गई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आयुष्मान और उनके पिता महेश्वर पात्रा दोनों के लिए चिंतित था क्योंकि चालक रंजीत की सूचना के अनुसार उन्हें बालकनी में भी नहीं जाने दिया जाता था। मैंने एक अर्जी में मामले के जांच अधिकारी से सीमा पात्रा की बेटी को सह-आरोपी बनाने का अनुरोध किया है, क्योंकि वह सुनीता को दिल्ली ले गई थी, वहां भी उसे अमानवीय यातना दी गई थी।’’

पुलिस द्वारा 22 अगस्त की रात सुनीता को छुड़ाए जाने के बाद से अमानवीय यातना की यह कहानी सामने आई है। अरगोड़ा थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि पुलिस ने सीमा पात्रा के आवास पर छापेमारी के बाद सुनीता को दयनीय स्थिति में पाया था।

कुमार ने बताया कि ‘‘महिला अधिकारी ने पाया कि उसके पूरे शरीर पर गंभीर घाव और जलने के निशान थे। वह कुपोषित लग रही थी। वह सदमे की स्थिति में है। सुनीता ने दावा किया कि उसे अपना पेशाब पीने के लिए मजबूर किया गया था… उसके कई दांत तोड़ दिए गए हैं। उसे लोहे की रॉड से कथित तौर पर मारा गया था।’’

पीड़िता का बयान पहले मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज किया गया था। सुनीता द्वारा अपनी आपबीती सुनाने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसके बाद पात्रा की गिरफ्तारी के लिए पूरे राज्य और अन्य जगहों पर जोर-शोर से आवाज उठाई गई थी। बाद में पात्रा को भाजपा ने निलंबित कर दिया था। अपनी गिरफ्तारी के बाद पात्रा ने दावा किया था कि वह निर्दोष है और उसे मामले में फंसाया जा रहा है। पात्रा को बुधवार (31 अगस्त) को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।