ISRO चीफ बोले- चंद्रयान 4 और 5 का डिजाइन तैयार: 5 साल में 70 सेटेलाइट लॉन्चिंग की संभावना; सरकार से मंजूरी लेने की प्रक्रिया जारी

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नई दिल्ली19 मिनट पहले

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14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को स्पेस में भेजा गया था। - Dainik Bhaskar

14 जुलाई 2023 को आंध्र प्रदेश में श्रीहरिकोटा से LVM3-M4 रॉकेट के जरिए चंद्रयान-3 को स्पेस में भेजा गया था।

चंद्रयान-3 की सफलता के बाद अब इसरो चंद्रयान 4 और 5 की तैयारी कर रहा है। इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने मंगलवार (20 अगस्त) को कहा कि अंतरिक्ष एजेंसी ने अगले चरण के मून मिशन के लिए डिजाइन तैयार कर लिया है। इसके लिए सरकार से मंजूरी लेने की प्रक्रिया चल रही है।

इसमें चंद्रयान-4 मिशन में चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रमा के पत्थरों और मिट्टी को पृथ्वी पर लाना, चंद्रमा से एक अंतरिक्ष यान को लॉन्च करना, चंद्रमा की कक्षा में अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग का प्रदर्शन करना और नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना शामिल है।

सोमनाथ ने यह भी बताया कि इसरो की आगामी 5 सालों में 70 सटेलाइट लॉन्च करने की योजना है। उन्होंने ये जानकारी अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद और भारतीय अंतरिक्ष संघ के आयोजित कार्यक्रम में दी।

सोमनाथ ने कहा है कि ISRO आने वाले 5 साल में 70 सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी में है।

सोमनाथ ने कहा है कि ISRO आने वाले 5 साल में 70 सैटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी में है।

चंद्रयान-3 का काम पूरा हो चुका है
सोमनाथ ने कहा कि हमारे पास चंद्रमा पर जाने के लिए कई मिशन हैं। चंद्रयान-3 का काम पूरा हो चुका है। अब चंद्रयान 4 और 5 का डिजाइन तैयार हो चुका है और हम सरकार से मंजूरी मांग रहे हैं।

हम अगले पांच सालों में 70 उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। इसमें सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए लो अर्थ ऑर्बिट सैटेलाइट का ग्रुप शामिल है।

इन 70 उपग्रहों में पोजिशनिंग, नेविगेशन और समय सेवा प्रदान करने के लिए नाविक क्षेत्रीय नेविगेशन सिस्टम (NAVIC) के लिए चार, इनसैट 4डी मौसम उपग्रह, सैटेलाइट की रिसोर्ससैट सीरीज, रिमोट सेंसिंग और हाई रिजॉल्यूशन इमेजिंग के लिए कार्टोसैट सैटेलाइट शामिल हैं।

यह ऐनिमेशन चंद्रयान 3 मिशन के दौरान का है।

यह ऐनिमेशन चंद्रयान 3 मिशन के दौरान का है।

इन चीजों को डेवलप कर रहा ISRO

  • सोमनाथ ने कहा कि ISRO इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम, क्वांटम की टेक्नॉलिजी डेमंस्ट्रेशन का प्रदर्शन करने के लिए ISRO ओशनसैट सीरीज और टेक्नॉलिजी डेमंस्ट्रेशन सैटेलाइट 01 और 02 डेवलप करने की भी प्लानिंग कर रहा है।
  • ISRO गगनयान मिशन के लिए डेटा रिले सैटेलाइट, इंटरनेट कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए हाई थ्रूपुट सैटेलाइट और जीसैट सैटेलाइन भी डेवलप कर रहा है, जिसे स्पेसएक्स के फाल्कन रॉकेट पर लॉन्च करने के लिए अमेरिका भेजने के लिए तैयार किया जा रहा है।
  • ISRO अगले पांच साल में अर्थ ऑब्जर्बेशन सैटेलाइट्स की पूरी सीरीज लॉन्च करने की भी योजना बना रहा है।

मिशन वीनस का री-वेल्यूवेशन कर रहा ISRO
सोमनाथ ने कहा कि ISRO ने पहले से तय मिशन वीनस (Mission Venus) फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया है। हम मिशन का री-वेल्यूवेशन कर रहे हैं। ISRO ने इससे पहले कहा था कि चंद्रयान-4 मिशन के लिए टारगेट लॉन्चिंग साल 2028 है।

गगनयान परियोजना का पहला मानव रहित मिशन इस साल दिसंबर में लॉन्च होने वाला है। रॉकेट के सभी चरण पहले ही श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र में पहुंच चुके हैं।

तिरुवनंतपुरम के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में क्रू मॉड्यूल तैयार हो रहा है और बैंगलोर के यू आर राव सैटेलाइट सेंटर में सर्विस मॉड्यूल इंटीग्रेट किया जा रहा है।

क्रू एस्केप सिस्टम पहले ही श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है। सभी सिस्टम अगले एक से डेढ़ महीने में श्रीहरिकोटा पहुंच रहे हैं, जहां अंतिम परीक्षण और इंटीग्रेशन होगा।

गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत चार एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाएंगे। मिशन 2024 के आखिर या 2025 तक लॉन्च हो सकता है। गगनयान में 3 दिनों का मिशन होगा, जिसके तहत एस्ट्रोनॉट्स के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।

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गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स स्पेस जैसी कंडीशन में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स स्पेस जैसी कंडीशन में ट्रेनिंग कर रहे हैं।

​​​​​​​स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ISRO ने गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में दिख रहा है कि एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस जैसी एक सिमुलेटेड कंडीशन में ट्रेनिंग दी जा रही है। ISRO ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर यह वीडियो शेयर किया है। वीडियो में एस्ट्रोनॉट्स स्पेस मॉड्यूल के भीतर योग कर रहे हैं। उन्हें अंतरिक्ष यान, जीरो ग्रेविटी और स्पेस में आने वाली अन्य चुनौतियों के हिसाब से ट्रेनिंग की जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…

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