IMA का सर्वे- 35% डॉक्टर नाइट शिफ्ट करने से डरतीं: एक डॉक्टर ने बताया- बैग में चाकू रखती; कुछ डॉक्टर्स के साथ इमरजेंसी रूम में बैड टच

8 मिनट पहले

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सर्वे में करीब 22 राज्यों के डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। ऑनलाइन सर्वे पूरे भारत में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के डॉक्टरों को गूगल फॉर्म के जरिए भेजा गया था। - Dainik Bhaskar

सर्वे में करीब 22 राज्यों के डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। ऑनलाइन सर्वे पूरे भारत में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के डॉक्टरों को गूगल फॉर्म के जरिए भेजा गया था।

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के बाद इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने एक ऑनलाइन सर्वे करवाया। सर्वे में हिस्सा लेने वाली करीब 35% महिला डॉक्टर्स ने माना कि नाइट शिफ्ट में उन्हें सेफ फील नहीं होता है।

एक डॉक्टर ने यह भी बताया कि वह हमेशा अपने हैंडबैग में एक फोल्डेबल चाकू और काली मिर्च स्प्रे रखती थी क्योंकि ड्यूटी रूम एक अंधेरे और सुनसान गलियारे पर था।

वहीं कुछ डॉक्टर्स ने इमरजेंसी रूम में गलत व्यवहार की शिकायत की। एक डॉक्टर ने बताया कि, उसे कई बार भीड़ वाले इमरजेंसी रूम में बैड टच का सामना करना पड़ा।

ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के खिलाफ 10 अगस्त से बंगाल समेत पूरे देश के डॉक्टर्स ने हड़ताल शुरू कर दी थी।

ट्रेनी डॉक्टर के रेप-मर्डर के खिलाफ 10 अगस्त से बंगाल समेत पूरे देश के डॉक्टर्स ने हड़ताल शुरू कर दी थी।

सर्वे में 22 राज्यों के डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया
यह सर्वे केरल स्टेट यूनिट की रिसर्च सेल ने ऑर्गेनाइज करवाया। इसके चेयरमैन डॉ राजीव जयदेवन ने कहा, सर्वे में करीब 22 राज्यों के डॉक्टर्स ने हिस्सा लिया। ऑनलाइन सर्वे पूरे भारत में सरकारी और प्राइवेट दोनों तरह के डॉक्टरों को गूगल फॉर्म के जरिए भेजा गया था। 24 घंटे के भीतर 3,885 रिएक्शन मिले।

सर्वे से पता चला कि 45 प्रतिशत डॉक्टर्स को नाइट शिफ्ट के दौरान ड्यूटी रूम नहीं मिला। कुछ ड्यूटी रूम ऐसे थे जहां अक्सर भीड़ रहती थी। वहां प्राइवेसी की कोई जगह नहीं थी। दरवाजों पर ताला भी नहीं होता था। जिससे डॉक्टर्स को रात में आराम करने के लिए कोई दूसरा रूम खोजना पड़ता था। कुछ ड्यूटी रूम में अटैच बाथरूम तक नहीं था।

सर्वे में क्या-क्या सामने आया
डॉ जयदेवन ने कहा, सर्वे से अभी तक जो बात निकलकर आई है, उसमें सुरक्षा बढ़ाने के लिए सुरक्षा कर्मियों की संख्या बढ़ाना, सीसीटीवी कैमरे लगाना, केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (सीपीए) को लागू करना, विजिटर्स की संख्या को सीमित करना, अलार्म सिस्टम लगाना और ताले वाले सुरक्षित ड्यूटी रूम जैसी बुनियादी सुविधाएं शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने 20 अगस्त को बनाई थी नेशनल टॉस्क फोर्स
सुप्रीम कोर्ट में कोलकाता रेप-मर्डर केस की सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- व्यवस्था में सुधार के लिए हम और एक रेप का इंतजार नहीं कर सकते। अदालत ने मेडिकल प्रोफेशनल्स की सेफ्टी के लिए 14 मेंबर्स की नेशनल टास्क फोर्स बनाई है, इसमें 9 डॉक्टर्स और केंद्र सरकार के 5 अधिकारी शामिल हैं। टास्क फोर्स मेडिकल प्रोफेशनल्स की सुरक्षा, वर्किंग कंडीशन और उनकी बेहतरी के उपायों की सिफारिश करेगी।

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