I.N.D.I.A एक सीट एक उम्मीदवार पर काम कर रहा: सिंघवी बोले- यही वजह है कि मोदी सरकार घबराई हुई है

नई दिल्ली3 मिनट पहलेलेखक: अभिनंदन मिश्रा

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अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं। - Dainik Bhaskar

अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य हैं।

कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा है कि I.N.D.I.A अलायंस आम चुनाव में एक सीट एक उम्मीदवार की स्ट्रैटजी पर काम कर रहा है। अगर ऐसा 450 सीटों पर भी हो सका तो बड़ी सफलता होगी। इसी कारण मोदी सरकार इस अलायंस से घबराई हुई है। सिंघवी ने देश की राजनीति, I.N.D.I.A अलायंस और कांग्रेस को लेकर बातचीत की।

बातचीत के प्रमुख अंश-

सवाल: संसद में दिल्ली सेवा विधेयक पर बहस के दौरान आपके बयान पर जवाब देते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में ही लंबित था और फिर भी दिल्ली सरकार ने आदेश पर कार्रवाई शुरू कर दी। आप इस पर क्या कहेंगे।

जवाब: मैं समझता हूं कि यह मुद्दा पूरी तरह संदर्भ से बाहर है, और इसका कोई औचित्य नहीं। जब 5 जज की खंडपीठ एक निर्णय देती है तो वो कानून तुरंत देशभर में लागू हो जाता है। वो घोषणा आर्टिकल 141, 142 के अंतर्गत पूरे देश में, हर व्यक्ति पर, संस्था पर लागू हो जाती है। अगर कोई उसका अनुपालन करता है तो उस पर आप आरोप कैसे लगा सकते हैं।

यह तो एक अजीब बात हो गई। इसके उलट सच्चाई यह है कि पांच जज का निर्णय 11 मई को आया। 17 मई को केंद्र सरकार की कैबिनेट ने अध्यादेश अप्रूव किया, फिर वो दो दिन रुके और 19 मई की शाम को घोषणा की। इसका एक ही मकसद था कि 19 मई की शाम के बाद सिर्फ वेकेशन कोर्ट ही काम करने वाली थी।

गृह मंत्री ने अपने जवाब में संसद में कहा कि जब वेकेशन कोर्ट थी तो दिल्ली सरकार वहां क्यों नहीं गई।

उनको भलीभांति मालूम है कि निर्णय 5 जज की खंडपीठ का था। वेकेशन बेंच में खंडपीठ का कोई भी जज नहीं था। इसलिए यह तो उल्टा चोर कोतवाल को डांटे से भी ज्यादा बुरी दलील हुई।

सवाल: आम आदमी पार्टी का पटना में I.N.D.I.A के बैनर तले संयुक्त बयान देने से दूर रहने का मुख्य कारण दिल्ली सेवा विधेयक पर राज्यसभा में AAP का समर्थन करने में कांग्रेस की अनिच्छा थी, जो अंततः उसने किया। आप कांग्रेस और AAP की साझेदारी को आगे बढ़ते हुए कैसे देखते हैं? अमित शाह ने कहा है कि आम आदमी पार्टी अब किसी भी समय I.N.D.I.A से दूर चली जाएगी।

जवाब: यह बिल्कुल गलत धारणा है कि कांग्रेस ने कभी भी AAP का समर्थन करने से मना किया था। कांग्रेस ने सिर्फ यह कहा था कि हम वोटिंग के हफ्ते, दो हफ्ते पहले फैसला करेंगे। औपचारिक रूप से यह घोषणा अध्यक्ष महोदय ने भी की है, और कांग्रेस पार्टी ने भी की।

केजरीवाल जी शुरुआत में एक-डेढ़ महीने पहले घोषणा की मांग कर रहे थे। उसके उत्तर में बड़ी विनम्रता से हमने कहा था कि अभी समय बाकी है और हम तभी करेंगे जब संसद सत्र शुरू होगा। जब सत्र शुरू हुआ तो उसके काफी पहले स्पष्ट रूप से यह घोषणा कर दी गई।

उसके बाद I.N.D.I.A अलायंस की दो मीटिंग भी हो गई। निश्चित रूप से इस I.N.D.I.A अलायंस से बौखलाकर सरकार और बीजेपी मिथ्या प्रचार कर रही है।

सवाल: आम चुनाव 8 महीने दूर हैं और I.N.D.I.A ने कुछ-कुछ आकार लेना शुरू कर दिया है, लेकिन हमें न्यूनतम साझा कार्यक्रम और सीटों के बंटवारे जैसे मुद्दों पर कब तक स्पष्टता देखने को मिलेगी?

जवाब: अभी तो ट्रेलर शुरू हुआ है, खत्म भी नहीं हुआ और आप पूरी पिक्चर देखना चाहते हैं। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण, सामूहिक रूप से सहमति बनाने की प्रक्रिया है। यह निश्चित रूप से वर्क इन प्रोग्रेस है। सबका मिलना, एक नाम तय करना और मूल सिद्धांत तय करना कोई कम छोटी चीज नहीं है। इसका अगला स्टेज निकट भविष्य में आएगा।

मैं समझता हूं कि भविष्य में सबसे महत्वपूर्ण कदम इस विषय में होगा- एक छोटी समिति बनाना। जिसके मेंबर्स का सिर्फ एक ही उद्देश्य होगा- पूरी तरह से सिर्फ एक्सपर्ट्स की राय और मदद लेकर पूरे देश में 545 सीटों पर एक व्यक्ति एक कॉन्स्टिटुएंसी के लिए कोशिश की जाए।

अगर ये कोशिश सिर्फ 500 सीटों के लिए भी सफल रही, या 450 के लिए भी सफल रही तब भी मैं उसको एक अहम सफलता मानूंगा। यही एक कारण है जिसके कारण मोदी सरकार घबराई भी है और बौखलाई भी है। और यही एक तरीका है जिससे वोट बंटवारे से बच कर I.N.D.I.A एक जबरदस्त फाइट NDA को दे सकता है ।

सवाल: क्या कांग्रेस उन इलाकों में सीटें छोड़ने को तैयार है जहां वह मजबूत है?

जवाब: गठबंधन, अलायंस का दूसरा नाम ही होता है कॉम्प्रोमाइज करना। एक आदर्श दुनिया में किसी को किसी के साथ गठबंधन करने की जरूरत ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि हर व्यक्ति आदर्श दुनिया में अकेला ही इतना सशक्त होता है। गठबंधन तो कहीं भी किसी के साथ भी किया जाता है क्योंकि समझौता करना जरूरी होता है।

इसके उलट जो सिद्धांत होना चाहिए वो यह होना चाहिए कि जहां आप सबसे ज्यादा मजबूत हैं, वहां आपकी चलनी चाहिए और सब लोगों को आपके साथ आपको ध्रुव मानकर अपने आप को एडजस्ट करना चाहिए। एडजस्टमेंट एक्सपर्ट की राय पर होना चाहिए कि कौन व्यक्ति किस कॉन्स्टिटुएंसी के लिए सबसे उपयुक्त है।

उसी प्रकार से किसी और प्रदेश में अगर मैं सबसे ज्यादा मजबूत हूं तो आप का उत्तरदायित्व बनता है कि आप मुझे ध्रुव मानकर मेरे चारों तरफ अपने आप को एडजस्ट करें, और जो समझौता हो सकता है उसके अनुरूप हमारे साथ लड़ें। इसलिए सिद्धांत यह नहीं है कि जहां मैं सबसे ज्यादा मजबूत हूं वहां मैं सीट अपनी काटूं।

सिद्धांत उल्टा है कि जहां मैं सबसे ज्यादा मजबूत हूं वहां आप अपनी सीट कटवाकर मुझे दें। मुझे इस सिद्धांत का पालन होने को लेकर कोई संदेह नहीं है। और एक्सपर्ट्स इसमें मदद करेंगे, स्टैटिस्टिक्स के आधार पर, आंकड़ों के आधार पर, पिछले 5 चुनावों के आधार पर, उस कॉन्स्टिटुएंसी के परिणाम के आधार पर।

सवाल: कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) की घोषणा में देरी की क्या वजह है? और क्या आपको नहीं लगता कि इसका असर 2024 की तैयारियों पर पड़ेगा?

जवाब: मुझे यह प्रश्न थोड़ा विचित्र लगता है। कांग्रेस एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने संगठन के पूरे चुनाव पारदर्शी रूप से किए हैं। अब उसके बाद हम इतने बड़े अलायंस की तरफ बढ़ रहे हैं। इसके बीच में भारत जोड़ो यात्रा हुई। क्या इतना भी समय नहीं लगेगा CWC को पुनः गठित करने के लिए?

दूसरा, माननीय अध्यक्ष जी ने कई बार कहा है कि निकट भविष्य में CWC का पुनर्गठन हो जाएगा। तो जब इतना हो गया है तो क्यूं संदेह होता है कि CWC का पुनर्गठन नहीं होगा? मैं समझता हूं कांग्रेस का संविधान, जो संशोधित भी हुआ है, उसके आधार पर भी बहुत काम हो रहा है।

इसलिए इसकी निंदा सही नहीं होगी कि इस पर काम धीरे चल रहा है। इसकी गति भी सही है, दिशा भी सही है।

सवाल: हर कोई जानना चाहता है कि पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए I.N.D.I.A की ओर से PM चेहरा कौन होगा? क्या यह पूछना उचित है या आप मानते हैं कि यह कुछ ऐसा है जिसका निर्णय चुनाव परिणाम आने के बाद किया जाएगा।

जवाब: यह जानबूझकर बीजेपी, एनडीए द्वारा फैलाया हुआ एक शगूफा है। मेरा शुरुआत से मानना था और अब I.N.D.I.A अलायंस ने घोषित भी कर दिया है कि आज जो सबसे अहम मुद्दे हैं वो दो हैं – I.N.D.I.A अलायंस, जो बन चुका है और दूसरा एक्सपर्ट्स की छोटी समिति बनाकर एक व्यक्ति एक कॉन्स्टिटुएंसी पर खड़ा करने की कोशिश हो। इन दोनों के अलावा किसी और प्रश्न की अहमियत नहीं है, महत्व नहीं है।

निश्चित रूप से चुनाव के बाद जो नंबर आएंगे, इंडिया के एक अलग-अलग हिस्सों और वर्गों से उसके आधार पर प्रधानमंत्री का फैसला होगा। यह बात अब बड़े सार्वजनिक रूप से कांग्रेस के लीडरों ने कही है और अन्य पार्टी के लीडरों ने कही है। औपचारिक रूप से बेंगलुरु में घोषित हुई है।

लेकिन यह एजेंडा बीजेपी को सूट करता है, बरगलाने का, बहकाने का और दुष्प्रचार करने का।

बीजेपी में सामूहिक निर्णय की प्रक्रिया विलुप्त है। बीजेपी ‘I, ME, MYSELF’ पर एक सिंगल व्यक्ति के ऊपर चलने वाली पार्टी है, एक सिंगल व्यक्ति के लिए है। इसके विपरीत सामूहिक रूप से, सहमति के साथ, सबको साथ लेकर चलने की प्रक्रिया सिर्फ I.N.D.I.A में है।

सवाल: मतलब आपको यह नहीं लगता कि I.N.D.I.A को प्रधानमंत्री मोदी, जो बीजेपी के सबसे बड़े चेहरे हैं, के खिलाफ एक चेहरा चाहिए?

जवाब:निश्चित रूप से बीजेपी के लिए मोदी जी उनका सबसे बड़ा चेहरा हैं। हमारा मानना है कि चुनाव जीतने के लिए आपको लोकसभा चुनाव को अलग-अलग प्रादेशिक चुनाव का एक ऐग्रगेशन मानना चाहिए। उसको यह मानना चाहिए कि 20-25-30-40 प्रादेशिक चुनाव एक के साथ एक जुड़कर, एक कड़ी बनाकर राष्ट्रीय चुनाव है।

उसके लिए जो आंकड़े एक प्रदेश में आते है, दूसरे आंकड़े दूसरे प्रदेश में आते हैं, यह सब आंकड़े सामूहिक रूप से 272 के जादुई आंकड़े के आगे निकल जाएंगे तो सरकार अपने आप बनेगी। और यही बात है जो बीजेपी और मोदी सरकार भूल रही है।

उन्होंने अपनी पार्टी के अंदर अलग-अलग स्तर पर लीडरशिप खत्म कर दी है। एक व्यक्ति की डिक्टेटरशिप के आधार पर यह पार्टी अलग-अलग प्रदेशों में खत्म हो गई। बीजेपी में किसी और नेता का चेहरा ऊपर आने नहीं दिया जाता है क्योंकि उससे धूमिल हो जाएगा माननीय प्रधानमंत्री का चेहरा।

सवाल: UPA II को भ्रष्टाचार के बहुत सारे दागों का सामना करना पड़ा, जिसका उपयोग विपक्ष द्वारा अभी भी मतदाताओं को यह याद दिलाने के लिए किया जाता है कि उसे फिर से मोदी सरकार को क्यों चुनना चाहिए। क्या कांग्रेस इस धारणा से वाकिफ है और यदि हां तो पार्टी इससे निपटने के लिए क्या कर रही है?

जवाब:यह बात सही है कि जहां तक एक पर्सेप्शन का सवाल है, में दोहरा रहा हूं पर्सेप्शन, सच्चाई नहीं, तो यह एक बरगलाने और भटकाने की प्रक्रिया सफल रही थी 2014 में। लेकिन लोग अब तंग आ गए हैं इस मोदी सरकार की बार-बार दुहाई देने से कि जो भी इस देश की कमियां हैं, जो भी इस देश की मांग है, जो भी इस देश की उपलब्धियां कम रही हैं, वो सब 2014 के पूर्व नेहरू जी के समय से शुरू होती हैं।

इस बात को सुन-सुनकर जनता जनार्दन के कान पक गए हैं।

वो अब यह जानना चाहती है कि आपने क्या सुधार किया, आप क्यों दुहाई देते हैं, रोते हैं 2014 के पहले के विषय पर। जब पूछा जाता है कि आपने सुधार क्यों नहीं किया तो बीजेपी जवाब में एक विरासत को लेकर बहाना बनाती है, तब लोग हंसते हैं।

मैं समझता हूं अब मोदी सरकार और बीजेपी शासित प्रदेशों में हमने भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े उदाहरण देखे हैं। कर्नाटक से लेकर महाराष्ट्र, गुजरात तक। हम उसकी बात सुनते हैं उत्तर प्रदेश में भी, मध्य प्रदेश में भी। तो मैं समझता हूं उसके बाद UPA II वाली दलील एक प्रकार से विलुप्त हो गई है।

सवाल: क्या कांग्रेस ने अपनी अत्यधिक अल्पसंख्यक समर्थक पार्टी होने की छवि को त्याग दिया है? कई लोग कहते हैं कि एके एंटनी समिति की रिपोर्ट ने भी 2014 की हार के प्राथमिक कारणों में इस छवि को भी एक महत्वपूर्ण कारण माना था।

जवाब: देखिए हम यह भूल जाते हैं कि करीब 50 साल से ज्यादा जब कांग्रेस ने शासन किया सिर्फ केंद्र में ही नहीं प्रदेशों में भी तब भी पार्टी वही थी, अल्पसंख्यक उसके साथ जाते थे। तुष्टिकरण का आरोप सिर्फ आरोप है। हुआ यह है कि तुष्टिकरण को छोड़ कर बीजेपी ने विभाजन किया है पूरे देश का, उसकी मानसिकता का, उसकी सोच का। समुदाय से समुदाय को लड़वाया है। इसलिए उनको सूट करता है ऐसा नैरेटिव फैलाना कि तुष्टिकरण हो रहा है।

वास्तव में जिस चीज को सौहार्द्र कहते हैं, जिसको हमारे संविधान में फ्रटर्निटी कहते हैं, जिसको हम लोग धर्मनिरपेक्षता या सेकुलरिज्म कहते है जिसको बीजेपी ने अपमानित किया है, खराब किया है। इन सब चीजों को बीजेपी ने उल्टा अपने सिर पर खड़ा कर दिया है।

आज जिस प्रकार के आपसी झगड़ों को आप देख रहे हैं, मणिपुर से लेकर हरियाणा तक, और जिस प्रकार के वक्तव्य आ रहे हैं बीजेपी के बड़े नेताओं द्वारा, तो मैं समझता हूं कि लोग कहते हैं कि जो कांग्रेस की सबको साथ लेकर चलने की प्रक्रिया रही है, जिसको बीजेपी ने बदनाम करने के लिए तुष्टिकरण का नाम दिया है, वो आज के बंटवारे, विभाजन और आपसी नफरत से कहीं बेहतर है।