Gonda Train Accident : रेलवे को ट्रैक में गड़बड़ी की थी जानकारी, फिर भी चलायी गयी ट्रेन, नहीं दिया कॉशन

  • कीमैन के वायरल ऑडियो से बढ़ेगी अधिकारियों की मुश्किलें , 21 जुलाई को सीआरएस पर्णजीव सक्सेना करेंगे विस्तृत जांच 

GONDA. चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे की व्यवस्था कई मायनों में सवालों के घेरे में आ गयी है. खासकर यह बात तब अहम हो जाती है जबकि यात्री सुरक्षा की बात हो. ऐसे में छोटी-बड़ी लापरवाही की गुंजाइश भी बड़े खतरे का कारण बन जाती है और यही गोंडा में डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस की दुर्घटना में हुआ है. एक साल में चार बड़ी दुर्घटनाओं के बाद रेलवे की संरक्षा और सुरक्षा पहले से सवालों में हैं. गोंडा घटना में नयी बात यह सामने आयी है कि रेलवे पीडब्ल्यूआई के लोगों की जानकारी में यह बात थी कि मोतीगंज-झिलाही रेलमार्ग कमजोर है.

बृहस्पतिवार को ही ट्रैक को ब्लाॅक करने का आदेश भी था लेकिन यह प्रक्रिया पूरी नहीं की गई. यही नहीं सावधानी के लिए न तो कोई कॉशन जारी किया गया न ही ट्रैक के सामने सूचक लगाये गये. बल्कि एक्सप्रेस ट्रेन को कमजोर ट्रैक पर से जाने की अनुमति दी गयी और यह गंभीर हादसे का कारण बना. सोशल मीडिया में पीडब्ल्यूआई कर्मचारियों का ट्रैक को लेकर एक आडियो क्लीप भी वायरल है जिसमें यह ट्रैक की स्थिति को लेकर चिंता जताये जाने की बात कही जा रही है.

हादसे के बाद रेलवे ट्रैक अपनी मौजूदा स्थिति से चार फीट खिसका मिला है. ट्रैक के पास पानी भी भरा था. इसकी वजह से ट्रैक को कमजोर माना जा रहा है. यही वजह है कि फॉरेंसिक टीम ने रेलवे ट्रैक, गिट्टी और मिट्टी का सैंपल लिया. रेलवे अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर रेलवे ट्रैक को परखा. विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रथम दृष्टया हादसे की वजह घटना स्थल के पास गड्ढे और पानी भरा होना है, जिससे ट्रेन के पहुंचते ही ट्रैक खिसक गया. माना जा रहा है कि ट्रैक में खामियों की वजह से ही ट्रेन डिरेल हुई.

हादसे की वजह जानने के लिए 21 जुलाई को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) पर्णजीव सक्सेना विस्तृत जांच करेंगे. वहीं, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीके सिंह ने ब्लॉक मिलने की बात से इन्कार किया है. इस बीच कीमैन के वायरल ऑडियो से स्पष्ट है कि उसने चार दिन पहले ही ट्रैक के कमजोर होने की जानकारी जिम्मेदारों को दी थी. इससे अधिकारियों की मुश्किलें बढ़नी तय है.

हादसे की हर बिंदू पर जांच करा रही रेलवे 

रेलवे सूत्रों के अनुसार मौसम बदलने से पटरी में क्रेक आता है. चटकी हुई पटरी पर तेज रफ्तार ट्रेन आने पर अक्सर पटरियां अलग हो जाती हैं और ट्रेन डिरेल हो जाती है. ऐसे में जांच टीम यह पता लगाने में जुटी है कि हादसे के वक्त डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस कितनी स्पीड से दौड़ रही थी? हादसे के बाद लोको पायलट और गांव के लोगों ने धमाके की तेज आवाज सुनी वह क्या थी? पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार ने धमाके की पुष्टि की थी. फिलहाल पुलिस ने धमाके से इन्कार किया है.

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