GONDA RAIL ACCIDENT : संयुक्त जांच में पटरी को ठीक से नहीं कसे जाने को जिम्मेदार ठहराया गया

  •  लोको पायलट ने तेज आवाज के बाद लगायी थी इमरजेंसी ब्रेक, क्या यह बना दुर्घटना की वजह 

NEW DELHI. चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस के पटरी से उतर जाने की घटना की जांच कर रही रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की पांच सदस्यीय टीम ने हादसे के लिए रेल पटरी को ठीक से कसे या बांधे नहीं जाने को जिम्मेदार ठहराया है. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की समिति के एक सदस्य ने बाकी सदस्यों की इस बात से असहमति जताई है.

रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘रेल पटरी को ठीक से नहीं कसा गया था.” बहरहाल, पूर्वोत्तर रेलवे जोन (जिसके अंतर्गत दुर्घटना स्थल आता है) के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी (सीपीआरओ) ने को बताया कि संयुक्त जांच रिपोर्ट के आधार पर किसी निष्कर्ष पर पहुंचना गलत है.
सीपीआरओ ने कहा, ‘‘रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) द्वारा जांच पहले ही शुरू हो चुकी है और शुक्रवार को पहली सुनवाई हुई. इसमें तकनीकी विवरण और छोटी-छोटी जानकारियों के साथ हादसे के हर पहलू की विस्तृत जांच की जाएगी. संयुक्त जांच में कई महत्वपूर्ण बातें सामने नहीं आती हैं, इसलिए किसी निष्कर्ष पर पहुंचना बहुत जल्दबाजी होगी.”

उत्तर प्रदेश में गोंडा के पास मोतीगंज और झिलाही रेलवे स्टेशन के बीच बृहस्पतिवार को चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 15904) के पटरी से उतर जाने से चार लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए. जांच दल की रिपोर्ट में कहा गया है कि लखनऊ डिवीजन के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता ने दोपहर डेढ़ बजे ‘आईएमआर डिफेक्ट (इमीडिएट रिमूवल डिफे क्ट)’ का पता लगाया और चंडीगढ़-डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस ने दोपहर दो बजकर 28 मिनट पर मोतीगंज स्टेशन पार किया. रिपोर्ट में कहा गया कि अपराह्न ढाई बजे मोतीगंज के स्टेशन मास्टर को एक ज्ञापन दिया गया जिसमें दोषपूर्ण स्थान से ट्रेनों के गुजरने की गति 30 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित करने का अनुरोध किया गया.

रिपोर्ट के अनुसार यह हादसा दोपहर दो बजकर 31 मिनट पर हुआ. संयुक्त जांच में कहा गया है, ‘‘जब आईएमआर का पता चला (दोपहर 1.30 बजे), तो सावधानी बरतने का आदेश मिलने तक साइट को संरक्षित किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया, जिसके कारण ट्रेन पटरी से उतर गई. इसके लिए इंजीनियरिंग विभाग जिम्मेदार है.’’ इंजीनियरिंग विभाग का प्रतिनिधित्व करने वाले एक वरिष्ठ रेलवे अधिकारी ने लिखा, ‘‘मैं संयुक्त रिपोर्ट से पूरी तरह असहमत हूं और इसके लिए उन्होंने कई कारण गिनाए, जिनमें से एक कारण ट्रैक की माप भी थी, क्योंकि उनका आरोप था कि उनकी अनुपस्थिति में ट्रैक को गलत तरीके से कसा गया था.’’

अधिकारी ने कहा कि यह निष्कर्ष निकालना गलत है कि वह स्थल संरक्षित नहीं था, क्योंकि आईएमआर स्थल पूरी तरह से सुरक्षित था और यह रेल के पटरी से उतरने का कारण नहीं था. अधिकारी ने निष्कर्ष निकाला कि ‘लोको पायलट’ द्वारा गलत ब्रेक लगाने के कारण ट्रेन पटरी से उतरी. संयुक्त जांच दल ने ट्रेन चालक दल के बयान में दर्ज दुर्घटना का विवरण उपलब्ध कराया.

बयान में कहा गया है कि लोको पायलट ने मोतीगंज स्टेशन से अपराह्न 2.28 बजे 25 किमी प्रति घंटे की गति से रेलगाड़ी को चलाना शुरू किया और जब वह 80 किमी प्रति घंटे की गति से किलोमीटर संख्या 638/12 (खराब स्थान) को पार कर रहा था, तो उसे जोरदार झटका महसूस हुआ, जिसके बाद खड़खड़ाहट की आवाज आई, जिसके चलते उसने आपातकालीन ब्रेक लगा दिया. लोको पायलट ने जांच टीम को बताया कि जब इंजन बंद हुआ और उसने पीछे देखा तो धूल के ढेर के बीच डिब्बे पटरी से उतरे हुए थे. जांच दल ने बताया कि 19 डिब्बे पटरी से उतरे थे.

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