CJI बोले- स्वतंत्रता कितनी कीमती है, बांग्लादेश को देख लें: आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता; ये कितनी जरूरी, इतिहास से समझें

नई दिल्ली8 घंटे पहले

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CJI ने कहा- आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला। उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी। सभी जानते हैं। - Dainik Bhaskar

CJI ने कहा- आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला। उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी। सभी जानते हैं।

दिल्ली में स्वतंत्रता दिवस के एक कार्यक्रम में चीफ जस्टिस (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि बांग्लादेश में जो हो रहा है, वह इस बात की याद दिलाता है कि स्वतंत्रता हमारे लिए कितनी कीमती है।

CJI ने कहा- हमने 1950 में संविधान अपनाया और इसका अनुसरण किया। यही वजह है कि स्वतंत्रता में किसी प्रकार का दखल नहीं है। स्वतंत्रता या आजादी को हल्के में नहीं लिया जा सकता। ये कितनी महत्वूपर्ण है, अतीत की कहानियों से समझा जा सकता है।

चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने ये भी कहा कि आज का दिन हमें संविधान के सभी मूल्यों को साकार करने और राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की याद दिलाता है।

CJI बोले- आजादी की लड़ाई में वकालत छोड़ने वालों को सलाम
CJI चंद्रचूड़ ने कहा- आजादी की लड़ाई में देश ने क्या झेला, उस वक्त संविधान और कानून की क्या स्थिति थी, ये सभी जानते हैं। हमें उन स्वतंत्रता सेनानियों को सलाम करना चाहिए, जिन्होंने आजादी के संघर्ष में शामिल होने के लिए वकालत तक छोड़ दी।

बाबा साहेब अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, अल्लादी कृष्णस्वामी अय्यर, गोविंद वल्लभ पंत, देवी प्रसाद खेतान, सर सैयद मोहम्मद सादुल्लाह जैसे कई महापुरुषों ने खुद को राष्ट्र के लिए समर्पित कर दिया था। ये सभी भारत की आजादी के नायक थे। इन्होंने एक स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना में भी योगदान दिया।

चंद्रचूड़ बोले- कोर्ट का काम आम आदमी के संघर्ष जैसा
चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने कोर्ट की मौजूदा प्रोसेस पर भी बात की। सीजेआई ने कहा- पिछले 24 सालों में एक जस्टिस के रूप में मैं अपने दिल पर हाथ रखकर कह सकता हूं कि कोर्ट का काम उतना ही संघर्ष भरा है जितनी एक आम आदमी की जिंदगी।

कोर्ट में सभी धर्म, जाति, लिंग, गांव और शहरों के लोग आते हैं। इन सभी को चुनिंदा संसाधनों में और दायरे में रहकर न्याय दिलाना होता है। यह उतना आसान काम नहीं है।

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चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने जजों की छुट्टी और पेंडिंग केस की गति को लेकर कहा- सुप्रीम कोर्ट के जज सातों दिन काम करते हैं। सोमवार से शुक्रवार तक 40-50 मामले निपटाते हैं, शनिवार को छोटे केसेस पर सुनवाई होती है। इसी दिन सुरक्षित रखे गए फैसलों को लिखवाया जाता है। रविवार को सोमवार के केस पढ़े जाते हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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