CEC बिल, मोदी की अध्यक्षता वाली कमेटी को पूरी पावर: जो अफसर सर्च समिति की लिस्ट में नहीं होंगे, उन्हें भी अपॉइंट किया जा सकेगा

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नई दिल्ली3 मिनट पहले

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केंद्र सरकार ने 10 अगस्त को राज्यसभा में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और अन्य चुनाव आयुक्तों (ECs) की नियुक्ति को लेकर बिल पेश किया था। इस बिल के मुताबिक, प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कमेटी (सिलेक्शन कमेटी) को नियुक्ति को लेकर पूरी पावर दी गई है। ये कमेटी उस अफसर का अपॉइंटमेंट कर सकेगी, जिसका नाम सर्च कमेटी लिस्ट में नहीं रहेगा।

सर्च कमेटी में कैबिनेट सचिव के अलावा सचिव लेवल के दो अन्य मेंबर होंगे। कैबिनेट सचिव कमेटी की अध्यक्षता करेगा। कमेटी में ऐसे लोगों को शामिल किया जाएगा, जिनके पास चुनाव कराने की प्रक्रिया की समझ और अनुभव हो। सर्च कमेटी CEC और ECs की नियुक्ति के लिए सिलेक्शन कमेटी को पांच नाम भेजेगी, जिसमें से वो CEC और ECs चुन सकेंगे।

बिल में इस बात का जिक्र भी है कि धारा 8 (2) के अनुसार, चयन कमेटी सिलेक्शन कमेटी की ओर से दिए गए लोगों के अलावा भी किसी व्यक्ति के नाम पर विचार कर सकती है।

विधेयक में धारा 7 (1) का जिक्र करते हुए कहा गया कि सिलेक्शन कमेटी की ओर से तय किए गए नाम को राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद CEC और ECs की नियुक्ति होगी।

सदन में विपक्ष ने इस बिल का जमकर विरोध किया था। विपक्षी दलों ने कहा- सरकार सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश के खिलाफ बिल लाकर उसे कमजोर कर रही है। बिल के मुताबिक आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और कैबिनेट का मंत्री शामिल होंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मार्च 2023 में एक आदेश में कहा था कि CEC की नियुक्ति प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया और विपक्ष के नेता की सलाह पर राष्ट्रपति करें।

उधर, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 10 अगस्त को सोशल मीडिया पर लिखा- इस बिल के जरिए सरकार सुप्रीम कोर्ट का एक और फैसला पलटने जा रही है। केजरीवाल ने 2 तस्वीरें शेयर की हैं। इनमें पहले में सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर है, जिसमें मार्च 2023 में दिए गए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र है। वहीं, दूसरी तस्वीर में एक दस्तावेज है, जिसमें लिखा है कि CEC की नियुक्ति के लिए प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और PM की ओर से नॉमिनेटेड केंद्रीय मंत्री राष्ट्रपति को सलाह दें, जिसके बाद राष्ट्रपति नियुक्ति का आदेश दें।

केजरीवाल बोले- मनपसंद आदमी को CEC बना सकेंगे PM
केजरीवाल ने ट्वीट में कहा- प्रधानमंत्री जी देश के सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते। उनका संदेश साफ है कि सुप्रीम कोर्ट का जो आदेश उन्हें पसंद नहीं आएगा, वो संसद में कानून लाकर उसे पलट देंगे। अगर PM खुलेआम सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते तो ये बेहद खतरनाक स्थिति है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक निष्पक्ष कमेटी बनाई थी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पलटकर मोदी जी ने ऐसी कमेटी बना दी, जो उनके कंट्रोल में होगी। वो मनपसंद व्यक्ति को चुनाव आयुक्त बना सकेंगे। इससे चुनावों की निष्पक्षता प्रभावित होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने पैनल में CJI के होने का फैसला सुनाया था, 3 अहम टिप्पणियां

  1. मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने 2 मार्च को ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया था- PM, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI का पैनल इनकी नियुक्ति करेगा। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे।
  2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगा, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए।
  3. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था- लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखी जानी चाहिए। नहीं तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे। वोट की ताकत सुप्रीम है, इससे मजबूत से मजबूत पार्टियां भी सत्ता हार सकती हैं। इलेक्शन कमीशन का स्वतंत्र होना जरूरी है। यह भी जरूरी है कि यह अपनी ड्यूटी संविधान के प्रावधानों के मुताबिक और निष्पक्ष रूप से कानून के दायरे में रहकर निभाए।

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चुनाव आयुक्तों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला फिलहाल बेअसर

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति की पूरी प्रोसेस केंद्र सरकार के हाथ में थी। यह फैसला काफी सख्त और बड़ा बदलाव लाने वाला लगता है, लेकिन जमीनी सच इससे काफी अलग है। दरअसल, चुनाव आयुक्तों पर सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला 2024 के लोकसभा चुनाव तक बेअसर रहेगा। वहीं, फैसला लागू होने के बावजूद घुमा-फिराकर केंद्र सरकार के पसंदीदा अफसर ही चुनाव आयुक्त बनेंगे। भास्कर एक्सप्लेनर में जानते हैं कैसे?

सुप्रीम कोर्ट बोला था- ये नियुक्तियां CBI डायरेक्टर की तरह हों

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यह चयन प्रक्रिया CBI डायरेक्टर की तर्ज पर होनी चाहिए। पढ़ें पूरी खबर…

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