CBI केस में केजरीवाल की जमानत याचिका पर आज सुनवाई: हाईकोर्ट में गिरफ्तारी-रिमांड को भी चुनौती; दिल्ली CM को ED मामले में बेल मिल चुकी

दिल्ली18 मिनट पहले

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ED ने शराब नीति केस में 21 मार्च को और CBI ने 26 जून को अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया था। - Dainik Bhaskar

ED ने शराब नीति केस में 21 मार्च को और CBI ने 26 जून को अरविंद केजरीवाल को अरेस्ट किया था।

दिल्ली शराब नीति में भ्रष्टाचार से जुड़े CBI केस में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट में आज सुनवाई होगी। इस मामले में 2 जुलाई पिछली सुनवाई हुई थी। तब जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने CBI को नोटिस जारी कर 7 दिन में जवाब मांगा था।

केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट में 1 जुलाई को याचिका दाखिल की गई थी। उन्होंने CBI की गिरफ्तारी और राउज एवेन्यू कोर्ट के 26 जून के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसके तहत उनको 3 दिन के लिए CBI की रिमांड पर भेजा गया था। फिलहाल, इस मामले में केजरीवाल 25 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में हैं।

CBI केजरीवाल के खिलाफ शराब नीति केस में भ्रष्टाचार से जुड़े मामले की जांच कर रही है। जांच एजेंसी ने उन्हें 26 जून को तिहाड़ जेल से गिरफ्तार किया था। दिल्ली CM शराब नीति से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पहले से ही तिहाड़ में बंद थे। केजरीवाल को ED ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। उसके बाद राऊज एवेन्यू कोर्ट ने उन्हें कस्टडी में भेज दिया था।

ED केस में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत

केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े ED केस में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत देते हुए कहा- केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।

जस्टिस खन्ना ने कहा- हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है। ED केस में केजरीवाल को मिली जमानत की खबर पढ़ें…

केजरीवाल के खिलाफ ED-CBI के अलग-अलग मामले
केजरीवाल पर दो मामले दर्ज हैं। पहला ED का, जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। दूसरा CBI का, जिसे शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज किया गया।

इस केस में 26 जून को केजरीवाल को दोबारा गिरफ्तार किया गया। यह केस दिल्ली LG वीके सक्सेना की शिकायत पर दर्ज हुआ था। दोनों मामले अलग-अलग दर्ज किए गए हैं, इसलिए इनमें गिरफ्तारी भी अलग-अलग हुई है।

AAP ने कहा – कोर्ट ने भाजपा सरकार को सबक सिखाया
केजरीवाल को जमानत मिलने के फैसले के आते ही आम आदमी पार्टी ने कहा- उम्मीद है जल्द ही केजरीवाल को CBI मामले में भी जमानत मिल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट से केजरीवाल को मिली अंतरिम जमानत से यह साबित होता है कि आबकारी नीति केस उनके खिलाफ भाजपा की साजिश है। हर अदालत ने केजरीवाल के खिलाफ भाजपा की साजिश को उजागर किया है।

हाईकोर्ट ने गिरफ्तारी को सही ठहराया था
केजरीवाल ने अपनी गिरफ्तारी और उसके बाद जांच एजेंसी की हिरासत में भेजे जाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। 9 अप्रैल को दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही करार दिया था। इस फैसले के खिलाफ केजरीवाल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 15 अप्रैल को केजरीवाल की याचिका पर ED से जवाब मांगा था।

हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को सही बताते हुए कहा था कि इसमें कुछ भी अवैध नहीं था, क्योंकि केजरीवाल कई समन भेजे जाने के बाद भी पूछताछ के लिए ED ऑफिस नहीं आए। इसके बाद ED के पास उन्हें गिरफ्तार करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा।

ED ने शराब नीति केस में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल की
इधर, शराब नीति केस में ED ने मंगलवार (9 जुलाई) को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट पेश की। 208 पेज की इस चार्जशीट में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को केस का सरगना और साजिशकर्ता बताया गया है। चार्जशीट में कहा गया कि स्कैम से मिला पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च हुआ है।

ED ने चार्जशीट में कहा कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में AAP के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया। दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बेचने के कॉन्ट्रेक्ट के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपए गोवा चुनाव पर खर्च किए गए थे।

ED ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के पूर्व मीडिया प्रभारी और इस केस के सह-आरोपी विजय नायर ने उनके नहीं, बल्कि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम किया था। इसमें यह भी दावा किया गया है कि CM ने कहा कि दुर्गेश पाठक गोवा के राज्य प्रभारी थे और फंड का प्रबंधन करते थे और फंड से संबंधित निर्णयों में उनकी खुद कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता से रिश्वत नहीं मिली थी।

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