BJP-JDS नेताओं ने कर्नाटक विधानसभा में बिताई रात: MUDA घोटाले पर चर्चा को लेकर धरना दिया, कहा- शक की सुई एक परिवार की तरफ

5 मिनट पहले

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विपक्षी नेता विधानसभा भवन के फ्लोर पर सोते नजर आए। - Dainik Bhaskar

विपक्षी नेता विधानसभा भवन के फ्लोर पर सोते नजर आए।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) घोटाले में शामिल होने आरोप लग रहे हैं। इसी मुद्दे पर चर्चा की मांग करते हुए विपक्षी दल बीजेपी और JDS के नेताओं ने विधानसभा भवन में रात भर धरना दिया। बीजेपी की तरफ से जारी एक वीडियो में विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष आर अशोक समेत अन्य नेता असेंबली में सोते नजर आ रहे हैं।

विपक्ष का कहना है MUDA घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और परिवार के अन्य लोगों का नाम भी शामिल है। उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान इस पर चर्चा की मांग की थी।

अनुमति नहीं मिलने पर कांग्रेस सरकार, सीएम और विधानसभा स्पीकर यूटी खादर के खिलाफ नारेबाजी करते हुए धरने पर बैठ गए। विपक्षी दलों का कहना है कि वे गुरुवार को भी विरोध जारी रखेंगे।

विपक्षी दलों का कहना है कि MUDA घोटाले में शक की सुई राज्य के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के परिवार की तरफ इशारा कर रही है। उन्होंने मामले में जांच में गड़बड़ी के भी आरोप लगाए। साथ जांच के लिए बनी कमेटी को भी राजनीतिक लाभ से प्रेरित बताया।

इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि यह आवंटन 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान किया गया था।

इससे पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा था कि यह आवंटन 2021 में भाजपा के कार्यकाल के दौरान किया गया था।

CM समेत 9 लोगों के खिलाफ दर्ज की शिकायत दर्ज की गई थी
इससे पहले MUDA से मुआवजे के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के आरोप में कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और नौ अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी। सामाजिक कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने सिद्धारमैया, उनकी पत्नी पार्वती, साले मल्लिकार्जुन स्वामी, जमींदार देवराज और छह अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है।

शिकायत में डिप्टी कमिश्नर, तहसीलदार, डिप्टी रजिस्ट्रार और MUDA अधिकारियों के भी शामिल होने का आरोप लगाया गया था। पुलिस शिकायत के अलावा कृष्णा ने कर्नाटक के राज्यपाल, राज्य के मुख्य सचिव और राजस्व विभाग के प्रधान सचिव को भी पत्र लिखकर अनियमितताओं की जांच की मांग की थी।

आरोप है कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, उनकी पत्नी और रिश्तेदारों ने MUDA अधिकारियों के साथ मिलकर 50:50 साइट वितरण योजना के तहत महंगी साइट्स को धोखाधड़ी से हासिल करने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार किए थे।

क्या है 50:50 अनुपात भूमि आवंटन योजना
ये योजना कर्नाटक में पिछली भाजपा और वर्तमान कांग्रेस सरकार के कार्यकाल के दौरान लागू की गई थी। भूमि आवंटन में विवाद इस कारण सुर्खियों में है क्योंकि कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया की पत्नी 2021 में MUDA की इस स्कीम में एक लाभार्थी थीं।

दरअसल इस स्कीम के तहत, मैसूरु शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) किसी भूमि पर आवासीय लेआउट विकसित करने के लिए भूमि अधिग्रहण कर सकेगी। अधिग्रहण के बदले लैंड ओनर्स को 50% जमीन किसी विकसित लोकेशन पर दिया जाएगा। लेकिन इस स्कीम पर बढ़ते विवाद के चलते 2023 में शहरी विकास मंत्री बैराठी सुरेश ने वापस ले लिया था।

कब और क्या आरोप लगे?
केंद्र में भाजपा की सहयोगी जनता दल सेक्युलर के नेता और केंद्रीय मंत्री कुमारस्वामी ने दावा किया था कि मैसूर में वैकल्पिक भूमि आवंटन योजना को लेकर विवाद कांग्रेस पार्टी में सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के बीच सीएम पद के लिए खींचतान का परिणाम है।

भूमि आवंटन घोटाले का खुलासा एक RTI एक्टिविस्ट ने करते हुए कहा कि, पिछले चार वर्षों में 50:50 योजना के रूप में जानी जाने वाली योजना के तहत 6,000 से अधिक साइटें आवंटित की गई हैं।

इस योजना के तहत, जिन लैंड ओनर्स की भूमि MUDA द्वारा अधिग्रहित की गई है, उन्हें मुआवजे के रूप में अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें आवंटित की गई हैं। ऐसे आरोप हैं कि मैसूर में जिन लोगों की जमीन नहीं गई, उन्हें भी इस योजना के तहत अधिक मूल्य की वैकल्पिक साइटें दी गईं।

घोटाले की जांच की मांग की गई
5 जुलाई को एक्टिविस्ट कुरुबरा शांथकुमार ने गवर्नर को चिट्ठी लिखते हुए कहा कि- मैसूर के डिप्टी कमिश्नर ने MUDA को 8 फरवरी 2023 से 9 नवंबर 2023 के बीच 17 पत्र लिखे हैं और 27 नवंबर को शहरी विकास प्राधिकरण, कर्नाटक सरकार को 50:50 अनुपात घोटाले और MUDA कमिश्नर के खिलाफ जांच के लिए लिखा था। इसके बावजूद, MUDA के कमिश्नर ने कानून के डर के बिना हजारों साइटों को आवंटित किया।

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कर्नाटक में निजी नौकरियों में 100% आरक्षण देने पर विवाद:सरकार ने स्थानीयों को रिजर्वेशन देने का फैसला रोका

कर्नाटक सरकार ने प्राइवेट सेक्टर की C और D कैटेगरी की नौकरियों में स्थानीय लोगों को 100% आरक्षण देने के फैसले पर बुधवार,17 जुलाई की शाम को अस्थाई रोक लगा दी। मुख्यमंत्री ऑफिस के सूत्रों ने बताया कि सरकार आरक्षण की समीक्षा करेगी और उसके बाद फैसला करेगी।

इससे पहले मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने 16 जुलाई को इसकी घोषणा की थी। इस फैसले पर विवाद बढ़ा तो 24 घंटे के अंदर ही मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर 100% कोटा बिल को लेकर की गई पोस्ट हटा ली। उन्होंने 16 जुलाई को इसकी घोषणा की थी।

CM के पोस्ट डिलीट करने पर राज्य के लेबर मिनिस्टर संतोष लाड ने बुधवार दोपहर को सफाई दी, ‘कर्नाटक में प्राइवेट कंपनियों की नौकरियों में नॉन-मैनेजमेंट पोस्ट के लिए रिजर्वेशन 75% और मैनेजमेंट लेवल के स्टाफ के लिए 50% तक सीमित है।’

दरअसल, सिद्धारमैया कैबिनेट ने इसके लिए नियम तैयार कर लिए थे। कैबिनेट ने 16 जुलाई को बिल पास कर दिया। इसे 18 जुलाई को विधानसभा में पेश करने की बात कही जा रही थी। हालांकि उससे पहले ही इस पर बड़ी इंडस्ट्रीज ने विरोध जताया है। पूरी खबर पढ़ें…

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