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हरिद्वार14 मिनट पहले
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हरिद्वार के संत समाज ने गुरुवार (5 सितंबर) को हिंदू धार्मिक संदर्भों से उर्दू शब्दों को हिंदी और संस्कृत के शब्दों से बदलने की मांग रखी। संतों ने कहा- शाही और पेश्वाई जैसे उर्दू शब्द मुगल सल्तनत की याद दिलाते हैं।
कुंभ में होने वाले स्नान को भी शाही स्नान कहा जाता है। यह शब्द भारतीय संस्कृति की परंपरा में नहीं है। जल्द ही अलग-अलग अखाड़ों से मीटिंग की जाएगी, जिसमें इन शब्दों को हटाने के प्रस्ताव पर जोर दिया जाएगा।
दरअसल, MP के CM मोहन यादव ने 2 सितंबर ही में उज्जैन में भगवान महाकाल की सवारी का जिक्र करते हुए ‘शाही सवारी’ की जगह ‘राजसी सवारी’ शब्द का इस्तेमाल किया था। इसी के बाद संतों ने यह मांग उठाई है।
अखाड़ा परिषद बोला- शाही शब्द गुलामी का प्रतीक
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी (निरंजनी) ने कहा- शाही और पेशवाई जैसे शब्द गुलामी के प्रतीक हैं। मुगल शासक इन शब्दों को अपना गौरव दिखाने के लिए इस्तेमाल करते थे। हमारी हिंदी भाषा की उत्पत्ति प्राचीन भारतीय सनातन संस्कृति की भाषा संस्कृत से हुई है। संस्कृत में शाही जैसा कोई शब्द नहीं है।