नई दिल्ली1 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
ISRO ने 17 अगस्त 2023 को दोपहर 1:15 बजे चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल को लैंडर और रोवर से अलग किया था।
भारत 2027 में चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग करेगा। ISRO चीफ डॉ. एस. सोमनाथ ने नेशनल स्पेस डे (23 अगस्त) के मौके पर कहा कि चंद्रयान 4 का डिजाइन फाइनल हो चुका है। मिशन को सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार है।
चंद्रयान 4 मिशन के तहत चांद की सतह से 3-5 किलो मिट्टी और चट्टान के नमूनों को पृथ्वी पर लाया जाएगा। चंद्रयान 4 स्पेसक्राफ्ट में पांच अलग-अलग मॉड्यूल होंगे। चंद्रयान 3 में प्रोपल्शन मॉड्यूल (इंजन), लैंडर और रोवर तीन मॉड्यूल थे।
ISRO चीफ ने बताया कि इंडियन स्पेस स्टेशन का पहला मॉड्यूल 2028 में लाॅन्च किया जाएगा। पहले मॉड्यूल में इंसान के रहने की क्षमता नहीं होगी, इसमें जो भी एक्टिविटी होंगी वे रोबोटिक होंगी। इस स्टेशन में कुल पांच मॉड्यूल होंगे जो बारी-बारी से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे।
चंद्रयान-4 स्पेसक्राफ्ट के 2 मॉड्यूल चांद की सतह पर जाएंगे
चंद्रयान-4 मिशन कई स्टेज में पूरा होगा। चांद की कक्षा में पहुंचने के बाद मुख्य स्पेसक्राफ्ट से 2 मॉड्यूल अलग होंगे और चांद की सतह पर लैंड करेंगे। दोनों ही मॉड्यूल चांद की सतह से नमूने इकट्ठा करेंगे। फिर एक मॉड्यूल चांद की सतह से लॉन्च होगा और चांद की कक्षा में मुख्य स्पेसक्राफ्ट से जुड़ जाएगा। नमूनों का ट्रांसफर होगा और धरती पर वापस आने वाले स्पेसक्राफ्ट में भेजा जाएगा।
चंद्रयान-4 के लिए चांद की सतह से नमूने उठाने वाला रोबोट तैयार किया जा रहा है। गहराई तक ड्रिल करने तकनीक पर काम हो रहा है। चांद से नमूने इकट्ठा करने के लिए कंटेनर और डॉकिंग मैकेनिज्म की तकनीक विकसित की जा रही है।
भारत आने वाले विदेशी वैज्ञानिकों को ISRO विक्रम लैंडर गिफ्ट दे रहा
ISRO ने विक्रम लैंडर के 1200 मिनिएचर मॉडल तैयार करवाए हैं। भारत आने वाले वैज्ञानिक और स्पेशल गेस्ट को ये मॉडल गिफ्ट में दिया जा रहा है। गुजरात के वडोदरा के इंटरप्रेन्योर धवल और आदित्य डामर ने MDF वुडन से यह मॉडल तैयार किया है। इसमें 140 स्पेयर पार्ट्स हैं, जिन्हें एसेंबल करने में 2.30 घंटे का वक्त लगता है। आदित्य डामर ने बताया कि विक्रम लैंडर के साथ प्रज्ञान रोवर भी तैयार किया है।
गगनयान मिशन: भारत स्पेस में इंसान भेजने वाला चौथा देश बनेगा
गगनयान भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन है जिसके तहत चार एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाएंगे। मिशन 2024 के आखिर या 2025 तक लॉन्च हो सकता है। गगनयान में 3 दिनों का मिशन होगा, जिसके तहत एस्ट्रोनॉट्स के दल को 400 KM ऊपर पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल को सुरक्षित रूप से समुद्र में लैंड कराया जाएगा। अगर भारत अपने मिशन में कामयाब रहा तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाएगा। इससे पहले अमेरिका, चीन और रूस ऐसा कर चुके हैं।
यह खबर भी पढ़ें…
गगनयान एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग, ISRO ने वीडियो शेयर किया, जीरो ग्रेविटी में योग करते दिखे
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर ISRO ने गगनयान मिशन के एस्ट्रोनॉट्स की ट्रेनिंग का एक वीडियो जारी किया है। वीडियो में दिख रहा है कि एस्ट्रोनॉट्स को स्पेस जैसी एक सिमुलेटेड कंडीशन में ट्रेनिंग दी जा रही है। पूरी खबर पढ़ें…