पुणे पोर्श केस, नाबालिग के पेरेंट्स को जमानत नहीं: कोर्ट बोला- सड़क पर इंजीनियर्स के खून सूखने से पहले इन्होंने सबूतों से छेड़छाड़ शुरू की

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पुणे3 मिनट पहले

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पुणे में 18-19 मई की रात नाबालिग लड़के ने बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर मौत हो गई। घटना के समय आरोपी 200 KM की स्पीड से कार चला रहा था। - Dainik Bhaskar

पुणे में 18-19 मई की रात नाबालिग लड़के ने बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर मौत हो गई। घटना के समय आरोपी 200 KM की स्पीड से कार चला रहा था।

पुणे की एक कोर्ट ने पोर्श केस मामले में नाबालिग लड़के के पेरेंट्स सहित 6 लोगों की जमानत याचिका गुरुवार (22 अगस्त) को रद्द कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरोपियों ने एक्सीडेंट के बाद सड़क पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर युवक-युवती का खून सूखने से पहले सबूतों से छेड़छाड़ शुरू कर दी थी।

पुणे के कल्याणी नगर इलाके में 18-19 मई की रात 17 साल 8 महीने के एक लड़के ने IT सेक्टर में काम करने वाले बाइक सवार युवक-युवती को टक्कर मारी थी। दोनों की मौके पर मौत हो गई। घटना के समय आरोपी नशे में था। वह 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से कार चला रहा था।

नाबालिग के माता-पिता विशाल और शिवानी अग्रवाल पर अस्पताल में अपने बेटे का ब्लड सैंपल बदलवाने का आरोप है, जिससे यह साबित हो सके कि हादसे के समय वह नशे में नहीं था। इस मामले में ससून अस्पताल के डॉ. अजय तवारे, डॉ. श्रीहरि हलनोर, बिचौलिये अशपाक मकंदर और अमर गायकवाड़ भी आरोपी हैं।

ये तस्वीर एक पब के CCTV फुटेज की है। हादसे से पहले नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ शराब पी और कार लेकर निकल गया।

ये तस्वीर एक पब के CCTV फुटेज की है। हादसे से पहले नाबालिग ने अपने दोस्तों के साथ शराब पी और कार लेकर निकल गया।

जज बोले- जमानत देने से गलत मैसेज जाएगा
डिस्ट्रिक्ट जज और एडिशनल सेशन जज यू एम मुधोलकर ने अपने ऑर्डर में कहा कि आरोपियों को जमानत देने से निश्चित रूप से गवाहों और सबूतों से छेड़छाड़ होगी। कोर्ट ने कहा कि इससे गलत मैसेज जाएगा। मृतकों के परिवार के साथ-साथ समाज को न्याय नहीं मिल सकेगा।

बोर्ड ने आरोपी को निबंध लिखने की शर्त पर जमानत दी थी

पोर्श एक्सीडेंट के बाद पुणे पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार किया था। उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया था। बोर्ड ने आरोपी को 7 मामूली शर्तों पर जमानत दे दी थी। बोर्ड ने उसे सड़क दुर्घटनाओं पर 300 शब्दों का निबंध लिखने और शराब छोड़ने के लिए काउंसिलिंग लेने को कहा था।

बोर्ड के फैसले के खिलाफ पुणे पुलिस सेशन कोर्ट पहुंची। पुलिस ने कहा कि नाबालिग आरोपी पर बालिग की तरह कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि उसका अपराध गंभीर है। सेशन कोर्ट ने पुलिस को बोर्ड में रिव्यू पिटिशन देने को कहा।

22 मई को जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को फिर से तलब किया और उसे 5 जून तक के लिए बाल सुधार गृह भेज दिया। हालांकि, बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 जून को नाबालिग को जमानत दे दी थी।

तब कोर्ट ने कहा कि हमें आरोपी के साथ वैसे ही पेश आना होगा, जैसे हम कानून का उल्लंघन करने वाले किसी और बच्चे के साथ पेश आते। फिर चाहे अपराध कितना भी गंभीर क्यों न हो। हाईकोर्ट के आदेश के बाद किशोर को सुधार गृह से रिहा कर दिया गया और उसकी हिरासत उसकी मौसी को सौंप दी गई थी।

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