आज भारत बंद, SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर का विरोध: दलित और आदिवासी संगठन प्रदर्शन करेंगे; कांग्रेस-JMM का बंद को समर्थन

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नई दिल्ली11 मिनट पहले

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सुप्रीम कोर्ट के SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के खिलाफ बुधवार (21 अगस्त) को 14 घंटे का भारत बंद बुलाया गया है। इस विरोध प्रदर्शन का ऐलान दलित और आदिवासी संगठनों के राष्ट्रीय परिसंघ (NACDAOR) ने किया है।

नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशन (NACDAOR) ने कोर्ट के सुझाव को दलित और आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताया है। साथ ही केंद्र सरकार से इसे रद्द करने की मांग की है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कांग्रेस और वाम दलों ने इस राष्ट्रव्यापी हड़ताल को समर्थन दिया है। JMM ने अपने सभी नेताओं, जिला अध्यक्षों, सचिवों और जिला समन्वयकों से इस हड़ताल में भाग लेने को कहा है।

भारत बंद पर पार्टियों ने क्या कहा?

  • JMM महासचिव विनोद कुमार पांडे ने कहा है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का हालिया फैसला SC-ST वर्गों के उत्थान और मजबूती के मार्ग में बाधा साबित होगा।
  • RJD के प्रदेश महासचिव कैलाश यादव ने कहा कि पार्टी ने अपना समर्थन देने और एक दिवसीय हड़ताल में भाग लेने का फैसला किया है।
  • कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा ने कहा कि पार्टी ने भी बंद के आह्वान को समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि दलित और आदिवासी संगठनों ने हाशिए पर पड़े समुदायों के लिए मजबूत प्रतिनिधित्व और सुरक्षा की मांग की है।

कोर्ट के फैसले से SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा: संगठन
NACDAOR सुप्रीम कोर्ट के 7 न्यायाधीशों की पीठ के दिए गए SC-ST आरक्षण में क्रीमीलेयर लागू करने के फैसले के विरोध में है। संगठन का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट हालिया फैसला ऐतिहासिक इंदिरा साहनी मामले में 9 न्यायाधीशों की पीठ के पहले के फैसले को कमजोर करता है, जिसने भारत में आरक्षण के लिए रूपरेखा स्थापित की थी। वर्तमान फैसला SC-ST के संवैधानिक अधिकारों को खतरा पहुंचाता है।

सुप्रीम कोर्ट ने SC रिजर्वेशन में कोटे में कोटा को दी थी मंजूरी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (1 अगस्त) को इस बारे में बड़ा फैसला सुनाया था। राज्य सरकारें अब अनुसूचित जाति, यानी SC के रिजर्वेशन में कोटे में कोटा दे सकेंगी। अदालत ने 20 साल पुराना अपना ही फैसला पलटा था। तब कोर्ट ने कहा था कि अनुसूचित जातियां खुद में एक समूह हैं, इसमें शामिल जातियों के आधार पर और बंटवारा नहीं किया जा सकता।

कोर्ट ने अपने नए फैसले में राज्यों के लिए जरूरी हिदायत भी दी थी। कहा था कि राज्य सरकारें मनमर्जी से फैसला नहीं कर सकतीं। फैसला सुप्रीम कोर्ट की 7 जजों की संविधान पीठ का था। इसमें कहा गया कि अनुसूचित जाति को उसमें शामिल जातियों के आधार पर बांटना संविधान के अनुच्छेद-341 के खिलाफ नहीं है।

राज्यों में बंद का हाल

राजस्थान: जयपुर समेत 16 जिलों के स्कूलों में छुट्‌टी, परीक्षाएं स्थगित; भरतपुर में नेटबंदी
अनुसूचित जाति-जनजाति (SC-ST) के आरक्षण में क्रीमीलेयर पर सुप्रीम कार्ट के फैसले के विरोध में आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। राजस्थान में बंद को कांग्रेस ने भी समर्थन दिया है। प्रदेश के 16 जिलों में जिला कलेक्टरों ने स्कूलों में छुट्टी घोषित की है। पूरी खबर पढ़ें…

बिहार: भारत बंद के बीच बिहार में आज सिपाही भर्ती परीक्षा, RJD ने दलित संगठनों को दिया समर्थन
आरक्षण को लेकर दलित संगठनों की ओर से आज भारत बंद का आह्वान किया गया है। बिहार में RJD ने बंद का समर्थन किया है। इस दौरान उग्र प्रदर्शन की संभावना है। वहीं, बंद के बीच आज सिपाही भर्ती के चौथे चरण की परीक्षा भी है। इस स्थिति में सिपाही भर्ती के 3 लाख अभ्यर्थियों के साथ आम लोगों को भी परेशानी हो सकती हैं। पूरी खबर पढ़ें…

पिछली सुनवाइयों में क्या-क्या हुआ…

8 फरवरी 2024: कोर्ट ने कहा- सबसे पिछड़ों को फायदा पहुंचाने के लिए दूसरों को बाहर नहीं किया जा सकता
सुनवाई के तीसरे दिन था। बेंच ने कहा कि मान लीजिए बहुत सारे पिछड़े वर्ग हैं और राज्य केवल दो को ही चुनता है। ऐसे में जिन्हें बाहर रखा गया है वे इसे चुनौती दे सकते हैं। सबसे पिछड़ों को लाभ देते समय राज्य सरकारें दूसरों को बाहर नहीं कर सकतीं। वरना यह तुष्टिकरण की एक खतरनाक प्रवृत्ति बन जाएगी। कुछ राज्य सरकारें कुछ जातियों को चुनेंगी, कुछ अन्य जातियों को चुनेंगी। हमें इसका पैमाना बनाना होगा।
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7 फरवरी 2024: SC-ST आर्थिक, शैक्षिक, सामाजिक स्थिति में एक समान नहीं हो सकते
सुनवाई के दूसरे दिन कोर्ट ने कहा कि SC और ST अपनी आर्थिक, शैक्षिक और सामाजिक स्थिति के मामले में एक समान नहीं हो सकते हैं। ये एक निश्चित उद्देश्य के लिए एक वर्ग हो सकते हैं, लेकिन वे सभी उद्देश्यों के लिए एक कैटेगरी नहीं बन सकते।
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6 फरवरी 2024: कोर्ट ने पूछा- क्या IAS-IPS अफसरों के बच्चों को कोटा मिलना चाहिए
सुनवाई के पहले दिन पंजाब सरकार ने दलील दी कि पिछड़े वर्गों में सबसे पिछड़े समुदायों की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें रोजगार के अवसरों का लाभ उठाने के लिए साधन उपलब्ध कराए जाने चाहिए। इस पर बेंच ने सवाल किया कि पिछड़ी जातियों में मौजूद संपन्न उपजातियों को आरक्षण की सूची से क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए।

बेंच ने यह भी पूछा कि क्या IAS-IPS अफसरों के बच्चों को कोटा मिलना चाहिए? जस्टिस विक्रम नाथ ने कहा कि इन्हें आरक्षण सूची से क्यों नहीं निकाला जाना चाहिए? कुछ उपजातियां संपन्न हुई हैं। उन्हें आरक्षण से बाहर आना चाहिए। ये बाहर आकर बेहद पिछड़े और हाशिए पर चल रहे वर्ग के लिए जगह बना सकते हैं।

रिव्यू की जरूरत क्यों पड़ी
2006 में पंजाब सरकार कानून लेकर आई, जिसमें शेड्यूल कास्ट कोटा में वाल्मीकि और मजहबी सिखों को नौकरी में 50% रिजर्वेशन और प्राथमिकता दी गई। 2010 में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया और कानून खत्म कर दिया। सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ पंजाब सरकार समेत 23 याचिकाएं दायर की गईं। सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर 6 फरवरी 2024 को सुनवाई शुरू की।

पंजाब के एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने सुनवाई के दौरान कहा कि भर्ती परीक्षा में 56% अंक हासिल करने वाले पिछड़े वर्ग के सदस्य को 99% हासिल करने वाले उच्च वर्ग के व्यक्ति की तुलना में प्राथमिकता दी जाए। क्योंकि उच्च वर्ग के पास हाईक्लास सुविधाएं हैं, जबकि पिछड़ा वर्ग इन सुविधाओं के बिना ही संघर्ष करता है।

SC/ST रिजर्वेशन में क्रीमी लेयर लागू नहीं होगा, केंद्र सरकार का फैसला
अनुसूचित जाति और जनजातियों (SC/ST) के आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू नहीं किया जाएगा। पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार (9 अगस्त) को संसद भवन में उनसे मिलने आए 100 दलित सांसदों को यह आश्वासन दिया। देर शाम केंद्र ने इसकी घोषणा भी कर दी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई ने 1 अगस्त को यह टिप्पणी की थी कि SC-ST में भी क्रीमी लेयर लागू करने पर विचार करना चाहिए। इसे लेकर दलित सांसदों ने PM से मिलकर अपनी चिंता जताई थी।

9 अगस्त की शाम को कैबिनेट मीटिंग हुई। इसके बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि NDA सरकार बीआर अंबेडकर के बनाए गए संविधान से बंधी है। इस संविधान में एससी/एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर का कोई प्रावधान नहीं है। पूरी खबर पढ़ें…

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