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पुरी (ओडिशा)2 दिन पहलेलेखक: प्रतिभा सिंह
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![ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आज (17 जनवरी) मंदिर के गजपति दिव्यसिंह देव के साथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया। - Dainik Bhaskar](https://images.bhaskarassets.com/web2images/521/2024/01/17/13-3_1705479216.gif)
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आज (17 जनवरी) मंदिर के गजपति दिव्यसिंह देव के साथ कॉरिडोर का उद्घाटन किया।
देश के चार धामों में से एक 12वीं सदी में बने ओडिशा के पुरी जगन्नाथ मंदिर हेरिटेज कॉरिडोर (श्रीमंदिर परियोजना) का काम पूरा हो चुका है। ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने आज (17 जनवरी) मंदिर के गजपति दिव्यसिंह देव के साथ इस कॉरिडोर का उद्घाटन किया।
ओडिशा सरकार ने उद्घाटन कार्यक्रम में भारत और नेपाल के एक हजार मंदिरों को न्योता भेजा था। साथ ही देश के चारों शंकराचार्यों, चारों पवित्र धाम और चार अन्य छोटे धामों को भी आमंत्रित किया गया। मंदिर प्रशासन ने नेपाल के राजा को भी निमंत्रण भेजा था।
प्रोजेक्ट के तहत मंदिर से लगे बाहरी दीवार (मेघनाद पचेरी) के चारों तरफ 75 मीटर चौड़ा गलियारा बनाया गया है। मंदिर के चारों ओर 2 किलोमीटर में श्रीमंदिर परिक्रमा पथ का निर्माण किया गया है। यहां से श्रद्धालु मंदिर का सीधे दर्शन कर सकेंगे।
दिसंबर 2019 में शुरू हुए प्रोजेक्ट के तहत बने रिसेप्शन सेंटर में 6 हजार भक्त एक साथ खड़े हो सकेंगे। यहां 4 हजार परिवारों के लिए सामान रखने के लिए लॉकर रूम, शेल्टर पवेलियन, मल्टीलेवल कार पार्किंग, पुलिस और फायर ब्रिगेड और इमरजेंसी के लिए शटल बस की सुविधा दी गई है।
उद्घाटन के लिए दो दिन पहले यहां महायज्ञ शुरू हुआ। आज पूर्णाहूति के साथ इसे विधिवत रूप से श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया गया है। 800 करोड़ रुपए में बनाए गए इस प्रोजेक्ट का मकसद 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर को वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल करना है।
देखें कार्यक्रम और हेरिटेज कॉरिडोर की तस्वीरें…
जगन्नाथ मंदिर में कॉरिडोर उद्घाटन के लिए दो दिन पहले से पूजा-अर्चना की गई। बुधवार सुबह भी मंदिर में हवन किया गया और श्रद्धालुओं ने ढोल-नगाड़े बजाए।
प्रोजेक्ट के उद्घाटन से पहले धार्मिक अनुष्ठान कराते पंडित।
तीन दिन तक चले महायज्ञ को आज पूर्णाहूति दी गई।
श्रद्धालुओं ने भजन गाते हुए और नृत्य करते हुए कॉरिडोर में परिक्रमा लगाई।
प्रोजेक्ट के तहत मंदिर के भीतर और आसपास के इलाकों को रीडेवलप किया गया है।
उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए भारत और नेपाल के 1000 मंदिरों को निमंत्रण भेजा गया था।
श्रीमंदिर हेरिटेज कॉरिडोर के बारे में जानिए…
हेरिटेज कॉरिडोर के किस हिस्से में क्या होगा…
ग्रीन जोन (7 मीटर): ये जोन मंदिर की बाहरी दीवार मेघनाद पचेरी से सटा हुआ। इसमें 2 मीटर का सीमेंटेड एरिया शामिल है, जहां मेंटेनेंस के लिए स्टाफ को जाने की अनुमति होगी। बाकी 5 मीटर में एक फीट ऊंचा गार्डन एरिया होगा।
अंतर प्रदक्षिणा/भीतरी परिक्रमा पथ (10 मीटर): इस हिस्से में भगवान जगन्नाथ की झांकियां निकाली जाएंगी और श्रद्धालु श्री मंदिर कॉम्प्लेक्स की परिक्रमा कर सकेंगे।
लैंडस्केप जोन (14 मीटर): इसमें गार्डन होंगे, जिन्हें लोकल गार्डनिंग प्रैक्टिस के आधार पर डिजाइन किया गया है। जगन्नाथ संस्कृति में इस्तेमाल होने वाले पेड़ों और झाड़ियों की लोकल वैराइटी लगाई गई है।
बाह्य प्रदक्षिणा/बाहरी परिक्रमा पथ (8 मीटर): ये दोनों तरफ से पेड़ों से घिरा प्रदक्षिणा पथ है। इस पर श्रद्धालु वृक्षों की छांव में प्रदक्षिणा कर सकेंगे।
पब्लिक कन्वीनियंस जोन (10 मीटर): पेड़-पौधों के अलावा, इस जोन में रेस्टरूम, पीने का पानी, जानकारी व डोनेशन के कियॉस्क और आराम करने के लिए शेल्टर पवेलियन रहेंगे।
सर्विस लेन (4.5 मीटर): ये लेन मंदिर के सर्विस व्हीकल के लिए बनाई गई है। यहीं से कॉरिडोर का मेंटेनेंस होगा।
इमरजेंसी लेन (4.5 मीटर): किसी तरह की इमरजेंसी या आपदा के मैनेजमेंट के लिए शटल बस और इमरजेंसी व्हीकल के लिए ये सड़क बनाई गई है।
मिक्स्ड ट्रैफिक लेन (7.5 मीटर): हेरिटेज कॉरिडोर के चारों तरफ गाड़ियों के मूवमेंट में मदद करने के लिए ये लेन बनाई गई है।
फुटपाथ (7 मीटर): यहां पैदल चलने वाले श्रद्धालुओं के लिए रोड होगी। इसमें सेवकों और मंदिर प्राधिकरण के अधिकारियों के लिए पार्किंग की जगह भी रहेगी।
आज से 861 साल पहले हुआ था जगन्नाथ मंदिर का निर्माण
1150 ईस्वी में ओडिशा के आसपास के इलाके में गंग राजवंश का शासन हुआ करता था। राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव यहां के राजा हुआ करते थे। पुरी जिले की वेबसाइट पर बताया गया है कि अनंतवर्मन ने ही इस मंदिर का 1161 ईस्वी में का निर्माण करवाया था।
ओडिशा के राजाओं ने मंदिर को कई लाख तोला सोना दान दिया था
1238 तक ओडिशा क्षेत्र के राजा रहे अनंगभिमा देव ने इस मंदिर को सवा लाख तोला से ज्यादा सोना दान में दिया था। इसके अलावा 1465 ईस्वी में राजा कपिलेंद्र देव ने भी इस मंदिर को काफी सोना दान में दिया था।
1952 में एक कानून बना जिसके तहत मंदिर की सारी संपत्ति की एक लिस्ट तैयार की गई। इस लिस्ट को पुरी कलेक्टर के ट्रेजरी रूम में रखा गया। इस समय सोना-चांदी से बने कुल 837 आइटम मंदिर के खजाने में रखे गए थे। इनमें से 150 तरह की ज्वेलरी रत्न भंडार के बाहरी कक्ष में रखी हुई है।
ग्राफिक्स डिजाइनर : विपुल शर्मा
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जगन्नाथ मंदिर में 1 जनवरी से ड्रेस कोड लागू: शॉर्ट्स, फटी जींस और स्लीवलेस पहनने वालों को नहीं मिलेगी एंट्री; पान-गुटखा बैन
ओडिशा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए नए साल से ड्रेस कोड अनिवार्य कर दिया गया है। मंदिर प्रशासन के मुताबिक, नए साल 2024 के पहले दिन से मंदिर परिसर में पान-गुटखा खाने और प्लास्टिक प्रोडक्ट्स यूज करने पर बैन लगा दिया गया है।
श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (SJTA) के अधिकारी ने कहा हाफ पैंट, शॉर्ट्स, फटी जींस, स्कर्ट और स्लीवलेस ड्रेस पहनने वाले भक्तों को मंदिर में एंट्री नहीं दी जाएगी। मंदिर प्रशासन ने 9 अक्टूबर को ही ड्रेस कोड संबंधी आदेश जारी कर दिया था जिसमें इसे लागू करने की तारीख 1 जनवरी बताई गई थी। पूरी खबर यहां पढ़ें…