फतेहपुर3 मिनट पहले
फतेहपुर के अब्दुल जमील ने गुरुवार को हनुमान मंदिर में जनेऊ धारण कर वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ हिंदू धर्म अपना लिया। अब वे श्रवण कुमार के नाम से जाने जाएंगे। उन्होंने कहा, “मुस्लिम धर्म में बहुत भेदभाव है। यहां भाई, भाई का नहीं है।”
अब्दुल जमील रेलवे के रिटायर्ड कर्मी हैं। उनके परिवार में पत्नी, तीन बेटी और एक बेटा है। इनमें से किसी ने भी इस्लाम नहीं छोड़ा है। सभी लखनऊ में रहते हैं। बड़ी बेटी की शादी हो चुकी है।
श्रवण उर्फ अब्दुल के इस फैसले से उनके पूरे परिवार पर सामाजिक दबाव है। ऐसे में श्रवण उर्फ अब्दुल अब लखनऊ छोड़कर फतेहपुर में रह रहे हैं। उन्हें सनातन धर्म में शामिल कराने का कार्यक्रम अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश महामंत्री मनोज त्रिवेदी की देख रेख में हुआ।
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अब्दुल जमील के श्रवण कुमार बनने की कहानी
अब्दुल जमील ने कहा, ‘मुस्लिम धर्म में लोग लालची हैं, संपत्ति के लालच में खून तक कर देते हैं। इन सभी बातों से मैं परेशान रहता था। फिर मैंने निश्चय किया कि मैं हिंदू धर्म अपनाऊंगा। मैं भगवान राम की पूजा करता हूं। वे मेरे आराध्य हैं। मुझे बहुत अच्छा लगा जब पहली बार विष्णु-विष्णु बोलकर हवन पूजन कर रहा था।’
हिंदू धर्म अपनाने के बाद फतेहपुर के हनुमान मंदिर में पूजा-पाठ करते श्रवण कुमार।
हिंदू धर्म में जाने की बात पर साले ने बंधक बनाकर पीटा
वह कहते हैं, ‘हिंदू धर्म में जाने की बात सुनकर उनके साले बाबर उर्फ मुस्तकीम ने घर पर बंधक बनाकर बहुत मारा था। मुझे अपने आराध्य भगवान राम पर विश्वास था। जिनकी पूजा तीन महीने से घर पर कर रहा हूं। अब डर नहीं लगता। किसी ने अब डराया-धमकाया तो पुलिस में शिकायत दर्ज कराऊंगा। जिलाधिकारी से मिलकर सुरक्षा मांगूगा।’
फतेहपुर में अब्दुल जमील ने स्वीकार किया हिंदू धर्म।
1978 में मिली थी रेलवे में नौकरी
श्रवण कुमार ने बताया कि उनका मूल निवास मथुरा जिले का सादाबाद था। जोकि अब हाथरस में है। 30 अक्टूबर 1978 को वह रेलवे की नौकरी में आए थे। पहली पोस्टिंग फतेहपुर जिले में आरक्षण पर्यवेक्षक के पद पर हुई और वह 20 साल तक फतेहपुर में रहे। इसके बाद उनका तबादला शिकोहाबाद हुआ। वहां 18 साल तक नौकरी की और वहीं से 2014 में रिटायर हो गए।
हिंदू धर्म अपनाने के बाद हवन करते श्रवण कुमार।
फतेहपुर में हिंदू धर्म अपनाने के बाद श्रवण कुमार का स्वागत करते लोग।