28 हफ्ते की प्रेग्नेंट रेप विक्टिम अबॉर्शन केस, SC सख्त: गुजरात हाईकोर्ट को फटकार- जब हर दिन अहम तो 12 दिन बाद तारीख क्यों दी

नई दिल्लीएक घंटा पहले

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सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित का फिर से मेडिकल कराने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी।  - Dainik Bhaskar

सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ित का फिर से मेडिकल कराने का आदेश दिया है। मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी। 

गुजरात में 25 साल की रेप विक्टिम की 28 हफ्ते की प्रेग्नेंसी के अबॉर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में आज यानी 19 अगस्त को सुनवाई हुई। शनिवार की छुट्टी के बावजूद जस्टिस बी.वी. नागरत्ना और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की स्पेशल बेंच ने इस मामले पर अर्जेंट सुनवाई की।

दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट ने पीड़ित महिला की अबॉर्शन वाली याचिका 17 अगस्त को खारिज कर दी थी। हालांकि, ऑर्डर की कॉपी जारी नहीं की। इसके बाद याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट पहुंची। 19 अगस्त को सुनवाई करते हुए जस्टिस नागरत्ना ने गुजरात हाईकोर्ट को फटकार लगाई। कहा कि ऐसे मामलों में जब एक-एक दिन अहम होता है तो सुनवाई की तारीख क्यों टाली गई? दरअसल, हाईकोर्ट ने 11 अगस्त को इस केस की तत्काल सुनवाई ना करते हुए अगली तारीख 12 दिन बाद दी थी। सुप्रीम कोर्ट में अब मामले की अगली सुनवाई सोमवार (21 अगस्त) को होगी।

कोर्ट रूम LIVE
सुप्रीम कोर्ट में शनिवार को पीड़ित महिला की तरफ से वकील शशांक सिंह वहीं दूसरे पक्ष की वकील स्वाति घिल्डियाल कोर्ट रूम में मौजूद रहीं। अब पढ़िए कोर्ट में किस वकील ने क्या दलील दी….

याचिकाकर्ता के वकील – पीड़ित इस वक्त 28 हफ्ते की प्रेग्नेंट है। हाईकोर्ट में केस दायर करते समय वह 26 हफ्ते की प्रेग्नेंट थी। कोर्ट ने 11 अगस्त को हमारी याचिका मंजूर की। फिर 17 अगस्त को बिना कारण बताए केस स्टेटस रिजेक्ट दिखाया गया। तब तक एक हफ्ता और बीत गया।

जस्टिस नागरत्ना: कोई भी अदालत ऐसा कैसे कर सकती है। सुनवाई की तारीख 12 दिन बाद रखने में कितना कीमती समय बर्बाद हुआ और अभी तक 17 अगस्त को जारी ऑर्डर की कॉपी अपलोड नहीं की गई। हम सुप्रीम कोर्ट के सेक्रेटरी को गुजरात हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से पूछताछ करने का निर्देश देते हैं।

जस्टिस नागरत्ना: ऑर्डर की कॉपी सामने होना बहुत जरूरी है। बिना उसे देखे कैसे फैसला लिया जा सकता है। 12 कीमती दिन पहले ही बर्बाद हो चुके हैं।

दूसरे पक्ष की वकील स्वाति घिल्डियाल: यस माई लॉर्ड, कृपया रिपोर्ट देखें, इसमें कहा गया है कि मेडिकली कोई नुकसान नहीं होगा।

जस्टिस नागरत्ना: ऐसे मामलों में तुरंत सुनवाई होनी चाहिए। ऐसा उदासीन रवैया नहीं हो सकता। हमें ये कमेंट करते हुए खेद है। अब हम इसे सोमवार को सुनेंगे।

याचिकाकर्ता के वकील – कृपया नई रिपोर्ट मांगें।

जस्टिस नागरत्ना: याचिकाकर्ता का कहना है कि पीड़ित 27 सप्ताह और 2 दिन की गर्भवती है और जल्द ही 28 हफ्ते के करीब पहुंच जाएगी।

जस्टिस नागरत्ना: चूंकि बहुमूल्य समय नष्ट हो गया है, इसलिए मेडिकल बोर्ड से नई रिपोर्ट मांगी जा रही है। हम याचिकाकर्ता को एक बार फिर से एग्जामिन करने का निर्देश देते हैं। नई स्टेटस रिपोर्ट कल शाम (20 अगस्त) तक इस अदालत को सौंपी जाए। इसे सोमवार (21 अगस्त) को कोर्ट के सामने रखा जाएगा।

जानिए क्या है मामला और हाईकोर्ट में क्या हुआ
याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 7 अगस्त को हाईकोर्ट में अबॉर्शन को लेकर एक याचिका दायर की गई थी। अदालत ने 8 अगस्त को मामले की सुनवाई की। उसी तारीख को गर्भावस्था की स्थिति का पता लगाने के लिए एक मेडिकल बोर्ड गठित करने का निर्देश पारित किया गया था। 10 अगस्त को बोर्ड की रिपोर्ट सौंपी गई। 11 अगस्त को कोर्ट ने रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लिया और मामले को 23 अगस्त के लिए पोस्ट कर दिया।

प्रेग्नेंसी अबॉर्शन का नियम क्या कहता है
मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) एक्ट के तहत, किसी भी शादीशुदा महिला, रेप विक्टिम, दिव्यांग महिला और नाबालिग लड़की को 24 हफ्ते तक की प्रेग्नेंसी अबॉर्ट करने की इजाजत दी जाती है। एमटीपी एक्ट में बदलाव साल 2020 में किया गया था। उससे पहले 1971 में बना कानून लागू होता था।

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अबॉर्शन को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने एक अन्य मामले में भी ऐसा ही कुछ फैसला सुनाया था। जब कोर्ट ने नाबालिग रेप विक्टिम को अबॉर्शन देने से मना कर दिया था। कोर्ट ने कहा था, लड़कियों के लिए कम उम्र में शादी करना और 17 साल की उम्र से पहले बच्चे को जन्म देना सामान्य बात थी। इसका जिक्र मनुस्मृति में भी है। जस्टिस समीर दवे ने सुनवाई के दौरान कहा कि यदि लड़की और भ्रूण दोनों स्वस्थ हैं तो वह एबॉर्शन कराने वाली याचिका की अनुमति नहीं दे सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर…

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