होली से झुलसाएगी लू, दक्षिण भारत में तापमान 4°-6° ज्यादा: तपिश का दौर लंबा चलेगा; 2 साल से जारी प्री-मानसून में ज्यादा टेम्प्रेचर का ट्रेंड

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नई दिल्ली29 मिनट पहलेलेखक: ​​​​​​​​​​​​​​अनिरुद्ध शर्मा

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होली मार्च के आखिरी हफ्ते में यानी 25 मार्च को है। - Dainik Bhaskar

होली मार्च के आखिरी हफ्ते में यानी 25 मार्च को है।

2024 में होली के आसपास उत्तर और मध्य भारत के सभी राज्यों में हीटवेव (लू) चल सकती है। इसकी दो वजहें हैं- होली इस बार मार्च के आखिरी हफ्ते (25 मार्च) में है और दक्षिण भारत में तापमान की बढ़ोतरी दो हफ्ते पहले फरवरी की शुरुआत से ही हो गई।

हालात ये हैं कि दक्षिण भारत के सभी राज्यों से महाराष्ट्र और ओडिशा तक दिन का तापमान 4-6 डिग्री तक ज्यादा यानी 33 डिग्री से ऊपर दर्ज हो रहा है। यह ट्रेंड इस बार फरवरी में पहले हफ्ते से ही दर्ज होने लगा, जो बीते दो साल में तीसरे हफ्ते में शुरू हुआ था।

मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि बीते दो वर्षों से उत्तर और मध्य भारत के राज्यों में प्री-मानसून सीजन में तापमान बढ़ने का जो ट्रेंड दिखा है, वही इस बार जारी रहेगा।

आईएमडी के पूर्व महानिदेशक केजे रमेश कहते हैं कि हम मौसमी चक्र के ऐसे दौर से गुजर रहे हैं, जब सर्दी खत्म होते ही बिना वसंत (न सर्दी, न गर्मी) आए सीधे गर्मी आ रही है।

2023 में बदलते मौसम के चलते हुआ नुकसान।

2023 में बदलते मौसम के चलते हुआ नुकसान।

45 साल में एक भी महीना सामान्य मौसम नहीं रहा
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के अध्ययन में पाया गया है कि देश में बीते 45 साल में लगातार 540 महीनों में एक भी महीना ऐसा नहीं गुजरा, जब मौसम की कोई चरम घटना न हुई हो। 2023 के दौरान ही 365 दिनों में से 318 दिन देश मौसम की चरम घटनाओं से गुजरा और कोई भी राज्य अछूता नहीं रहा।

2023 में 365 में से 318 दिन रही मौसमी उठापटक
देश के आठ राज्यों में एक्सट्रीम वेदर की 100 से ज्यादा घटनाएं हुईं। हिमाचल में सबसे ज्यादा 149 दिन ऐसी घटनाएं हुईं। मध्य प्रदेश में 141 दिन और केरल व यूपी में 119-119 दिन मौसमी घटनाओं ने परेशान किया। सबसे ज्यादा 208 दिन देश के विभिन्न राज्यों में भारी बारिश, बाढ़ का सामना करना पड़ा।

49 दिन हीटवेव (लू) चली। 29 दिन शीत लहर में बीते। 9 दिन बादल फटे और दो दिन साइक्लोन भी आया। जून से सितंबर तक लगातार 122 दिन ऐसे रहे, जब हर दिन मौसमी तांडव रहा। बीते वर्ष हुई चरम मौसमी घटनाओं में 3,287 लोगों की मौत हुई।

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