हिमाचल ने कहा- हमारे पास दिल्ली के लिए पानी नहीं: कल पानी छोड़ने की बात कही थी; सुप्रीम कोर्ट बोला- यमुना जल बंटवारे का मुद्दा जटिल

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नई दिल्ली6 मिनट पहले

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दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को एक महीने तक एक्स्ट्रा पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की है। - Dainik Bhaskar

दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को एक महीने तक एक्स्ट्रा पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की है।

दिल्ली में जल संकट को लेकर गुरुवार (13 जून) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। हिमाचल प्रदेश ने कोर्ट से कहा कि उसके पास दिल्ली को देने के लिए 136 क्यूसेक पानी नहीं है। एक दिन पहले राज्य ने कहा था कि उसकी तरफ से पानी छोड़ दिया गया है। हरियाणा की तरफ से पानी सप्लाई किया जाना बाकी है।

जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस प्रसन्ना बी वराले की बेंच ने कहा कि राज्यों के बीच यमुना के पानी का बंटवारा एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा है। हमारे पास दिल्ली, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के बीच जल-बंटवारे के फॉर्मूले पर फैसला लेने की टेक्निकल एक्सपर्टीज नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली को पानी देने का फैसला अपर रिवर यमुना बोर्ड पर छोड़ दिया। कोर्ट ने कहा कि यमुना रिवर बोर्ड ने पहले ही दिल्ली को मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति के लिए आवेदन जमा करने का निर्देश दिया है। अगर दिल्ली सरकार ने एप्लिकेशन नहीं दिया है तो आज शाम 5 बजे तक दे दे।

कोर्ट ने यमुना रिवर बोर्ड को शुक्रवार (14 जून) को एक बैठक बुलाकर दिल्ली सरकार के एप्लिकेशन पर जल्द से जल्द फैसला लेने का आदेश दिया है। साथ ही कहा कि अगर जरूरत हो तो रोज बैठक कीजिए।

दिल्ली के कई इलाकों में गर्मी के सीजन में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

दिल्ली के कई इलाकों में गर्मी के सीजन में लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं।

दिल्ली सरकार ने 3 राज्यों से एक्स्ट्रा पानी देने की मांग की थी
दरअसल, दिल्ली की AAP सरकार ने जल सकंट को लेकर 31 मई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इसमें हरियाणा, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश को दिल्ली को एक महीने तक एक्स्ट्रा पानी छोड़ने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

हिमाचल प्रदेश एक्स्ट्रा पानी देने के लिए तैयार था। कोर्ट ने हिमाचल को 137 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश 6 जून को दिया था। हालांकि, दिल्ली सरकार ने कहा कि यह पानी दिल्ली तक अभी नहीं पहुंचा है।

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (12 जून) को पानी की बर्बादी और टैंकर माफिया पर रोक न लगा पाने को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि जल संकट गहराते जा रहा है। आपने अब तक टैंकर माफिया को लेकर क्या एक्शन लिया है। अगर आप एक्शन नहीं ले सकते तो हम दिल्ली पुलिस से कहेंगे कि वो कार्रवाई करे।

कोर्ट ने दिल्ली सरकार से 13 जून तक इस संबंध में जवाब मांगा था। दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व करते हुए वकील एएम सिंघवी ने आज अदालत को आश्वासन दिया कि टैंकर माफिया से निपटने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।

दिल्ली में जल संकट क्यों हुआ
दिल्ली में जल संकट के दो कारण हैं- गर्मी और पड़ोसी राज्यों पर निर्भरता। दिल्ली के पास अपना कोई जल स्रोत नहीं है। पानी के लिए यह पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक इस साल दिल्ली जरूरत हर दिन 32.1 करोड़ गैलन प्रति दिन पानी की कमी से जूझ रहा है।

दिल्ली जल बोर्ड के मुताबिक राज्य को रोजाना 129 करोड़ गैलन पानी की जरूरत है। लेकिन गर्मियों में केवल 96.9 करोड़ गैलन प्रति दिन ही मांग पूरी हो पा रही है। यानी दिल्ली की 2.30 करोड़ आबादी को हर दिन 129 करोड़ गैलन पानी चाहिए, लेकिन उसे सिर्फ 96.9 करोड़ गैलन पानी ही मिल रहा है।

दिल्ली को पानी इन राज्यों से मिलता है
दिल्ली में पानी की जरूरत हरियाणा सरकार यमुना नदी से, उत्तर प्रदेश सरकार गंगा नदी से और पंजाब सरकार भाखरा नांगल से मिले पानी से पूरी करती है। 2023 की एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली को हर दिन यमुना से 38.9 करोड़ गैलन, गंगा नदी से 25.3 करोड़ गैलन और भाखरा-नांगल से रावी-व्यास नदी से 22.1 करोड़ गैलन पानी मिलता था।

इसके अलावा कुंए, ट्यूबवेल और ग्राउंड वाटर से 9 करोड़ गैलन पानी आता था। यानी दिल्ली को हर दिन 95.3 करोड़ गैलन पानी मिलता था। 2024 के लिए यह आंकड़ा बढ़कर 96.9 करोड़ गैलन हो गया है।

जेल जाने से पहले केजरीवाल ने भी अपील की थी
दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने सरेंडर करने से पहले पानी की कमी से जूझ रही दिल्ली की जनता के लिए भारतीय जनता पार्टी से अपील की थी। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि BJP हरियाणा और उत्तर प्रदेश में अपनी सरकारों से दिल्ली को एक महीने के लिए पानी देने के लिए कहे।

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