हिमंता बोले-1 महीने में बांग्लादेश से कोई हिंदू नहीं आया: वे वहीं हैं और लड़ रहे हैं; 35 मुस्लिम घुसपैठिए आए, जिन्हें गिरफ्तार किया

सिलचर22 मिनट पहले

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सिलचर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। (फाइल) - Dainik Bhaskar

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सिलचर में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। (फाइल)

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सर्मा ने कहा है कि 1 महीने में बाग्लादेश में से कोई भी हिंदू असम या भारत में नहीं आया है। वहां की हिंदू कम्युनिटी वहीं पर लड़ रही है। बाग्लादेश से 35 मुस्लिम लोग जरूर आए हैं। उनके पास पास्पोर्ट नहीं थी। सभी 35 घुसपैठियों को गिरफ्तार किया गया है।

इसे लेकर ही शनिवार को हिमंता ने कहा- वहां की हिंदू कम्युनिटी भारत आने की कोशिश नहीं कर रही है। हालांकि, मुस्लिम लोग आने की कोशिश लगातार कर रहे हैं। आज ही हमने करीमगंज में 2 लोगों को करीमगंज से वापस भेजा। वे हिंदू नहीं थे। हिंदू प्रधानमंत्री मोदी से सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग कर रहे हैं।

दरअसल, बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 को तख्तापलट हुआ था। आरक्षण खत्म करने की मांग को लेकर चल रहा प्रदर्शन हिंसक हो गया था। प्रधानमंत्री शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ दिया था। उनकी पार्टी के कई नेताओं की हत्या कर दी गई थी। इसके बाद वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जताई गई थी।

बेंगलुरु तमिलनाडु जाना चाहते थे मुस्लिम घुसपैठिए
सरमा ने बताया कि बांग्लादेश से आने वाले मुस्लिम असम के जरिए कर्नाटक के बेंगलुरु और तमिलनाडु के कोयंबटूर जाना चाहते हैं। कल पकड़ाए 2 लोग भी बेंगलुरु और कोयंबटूर की टैक्सटाइल इंडस्ट्रीज में नौकरी करना चाहते थे।

उनकी पहचान मासूम खान और सोनिया अख्तर के रूप में हुई है। मासूम बांग्लादेश के मॉडलगंज पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आने वाले इलाके का रहने वाला है। वहीं सोनिया ढाका की रहने वाली हैं। ये लोग अगरतला रूट के जरिए असम आए थे।

सरमा बोले- बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं का सम्मान करना चाहिए
असम CM ने कहा है कि अगर हिंदू आना चाहते तो वे बंटवारे के समय ही आ जाते। वे बांग्लादेश को अपनी मातृभूमि मानते हैं, इसलिए वे नहीं आए। हमें उनका सम्मान करना चाहिए। हमने प्रधानमंत्री मोदी से कहा है कि वे बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने का दबाव डालें।

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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में रह रहे गोविंदो चंद्रप्रामाणिक ने दैनिक भास्कर को बताया कि तख्तापलट के बाद हिंदुओं के घर और मंदिरों पर हमले हुए। उन्होंने कहा- 5 अगस्त की शाम हम कभी नहीं भूलेंगे।

मुझे देश के अलग-अलग हिस्सों से हिंदुओं पर हमले की खबरें मिल रही थीं। हम बस चाहते थे कि किसी भी तरह से हिंसा रुक जाए। देर शाम चट्टोग्राम में एक मंदिर पर हमले की खबर आई, ये सुनकर हम खौफजदा हो गए। पूरी खबर पढ़ें…

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बांग्लादेश के जसोर में रहने वाले देबाशीष (बदला हुआ नाम) ने दैनिक भास्कर को बताया कि हमसे पैसे और गोल्ड मांगा गया है। उन्होंने कहा- 5 अगस्त की शाम साढ़े 6 बजे का वक्त था। मेरे घर के पास तोड़फोड़ हुई।

मुझे किसी अनजान शख्स ने कॉल करके गालियां और धमकी दी। कहा- घर पर ही रहना, बाहर मत निकलना। तब मैं दुकान पर था। ये सुनकर मेरे माता-पिता ने मुझे एक रिश्तेदार के घर भेज दिया। पूरी खबर पढ़ें…

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