हिमंता बोले-केवल 8 लोगों के CAA के तहत आवेदन आए: बाहर से आए लोग इसी के तहत अप्लाई करें, कई बंगाली-हिंदू फॉरेन ट्रिब्यूनल्स जा रहे

गुवाहाटी30 मिनट पहले

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असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने सोमवार (15 जुलाई) को बताया कि राज्य में केवल 8 लोगों ने ही नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के तहत आवेदन किया है। इनमें से भी केवल दो लोग ही अधिकारियों के सामने इंटरव्यू के लिए पहुंचे। CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों ने लोगों को डराने की कोशिश की।

हिमंता ने कहा कि बाहर से भारत आए लोग CAA के तहत ही अप्लाई करें। कई बंगाली-हिंदू परिवार नागरिकता के लिए फॉरेन ट्रिब्यूनल्स (FT) में जा रहे हैं।

केंद्र सरकार ने 11 मार्च को CAA-2019 को लागू किया था। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से बिना किसी दस्तावेज के भारत आए लोगों को नागरिकता मिल सकेगी।

‘CAA के तहत नहीं लेंगे नागरिकता, कोर्ट में लड़ने को तैयार’
सीएम हिमंता ने बताया कि उन्होंने कई बंगाली हिंदुओं के परिवारों से मुलाकात की। बंगाली हिंदुओं का कहना है कि वे भारतीय हैं और उनके पास भारतीय होने के दस्तावेज भी हैं। वे लोग CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन नहीं करना चाहते। जरूरत पड़ने पर इसके लिए कानूनी लड़ाई लड़ने को तैयार है। उन्होंने मुझे बताया कि वो 1971 से पहले भारत आए थे और अपनी नागरिकता को लेकर आश्वस्त हैं।

आगे सीएम हिमंता ने कहा, यह स्पष्ट हो गया है कि बंगाली हिंदू समुदाय के जो लोग राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) में शामिल नहीं हैं, वे नागरिकता के लिए CAA के तहत आवेदन नहीं करेंगे।

असम सरकार मामला वापस नहीं ले रही

सीएम ने स्पष्ट किया कि असम सरकार हिंदू बंगालियों के खिलाफ CAA के दर्ज मामलों को वापस नहीं लेगी। उन्होंने कहा, हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि पहले उन्हें पोर्टल पर आवेदन करना चाहिए। अगर आप मामला दर्ज भी हो जाता है तो कोई नतीजा नहीं निकलेगा, क्योंकि वे नागरिकता के हकदार हैं। सीएम हिमंत ने कहा, आधार कार्ड की समस्या को हल करने के लिए हम केंद्र के साथ कोऑर्डिनेट करके इसे सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।

असम में नागरिकता दशकों से सेंसिटिव मुद्दा

दरअसल, असम में नागरिकता लंबे से एक संवेदनशील (सेंसिटिव) मुद्दा बना रहा है। दशकों से राज्य में बाहरी लोगों के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे हैं। 2019 में असम में CAA के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में 5 लोगों ने जान गंवाई थी। राज्य में हिंदू बंगालियों की एक बड़ी आबादी है जो बाहर के देशों से आकार राज्य में बसे हैं। इसी दौरान बांग्लादेश से आए कई बंगाली मुसलमान भी अवैध रूप से राज्य में बस गए।

असम ने सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (NRC) का काम कराया था, जिसकी सूची 2019 में आई। उस समय करीब 19 लाख लोगों के नाम नागरिकता साबित करने वाली अपडेट एनआरसी सूची में नहीं थे।

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