हरियाणा में कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट का एनालिसिस: ​​​​​​​​​​युवा-अनुभवी चेहरों का गुडमिक्स; हाईकमान ने सर छोटूराम और बंसीलाल की विरासत नहीं छोड़ी – Haryana News

हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने 9 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी कर दी। इसके जरिए कांग्रेस हाईकमान ने युवा और अनुभवी चेहरों का गुडमिक्स किया है।

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इनमें 2019 का चुनाव हारने के बावजूद 3 चेहरों अशोक अरोड़ा, कुलदीप शर्मा और परमवीर सिंह पर अनुभव के तौर पर दांव खेला। वहीं वर्धन यादव, मोहित ग्रोवर, बलराम दांगी और अनिरुद्ध चौधरी युवा चेहरे हैं।

हाईकमान ने प्रदेश के पूर्व दिग्गज नेताओं की विरासत को भी पार्टी से जोड़े रखने का पूरा ध्यान रखा। इसी वजह से पूर्व CM बंसीलाल के पोते और सर छोटूराम के पूर्व मंत्री नाती बीरेंद्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह को भी टिकट दी है।

कांग्रेस हाईकमान ने BJP में बगावत से दूसरी लिस्ट में भी सबक लिया। भाजपा के पहली ही लिस्ट में 67 उम्मीदवारों को मुकाबले कांग्रेस ने पहली लिस्ट में 32 और अब सिर्फ 9 उम्मीदवारों की घोषणा की।

जातीय समीकरण: जाट चेहरे ज्यादा, SC चेहरा न होने से चौंकाया

  • कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में कोई भी SC चेहरा नहीं है। इसके उलट पिछली लिस्ट में कांग्रेस ने 9 एससी चेहरों की घोषणा की थी। इन 9 सीटों में कांग्रेस ने किसी रिजर्व सीट के बारे में घोषणा नहीं की। सामान्य वर्ग की सीटों पर कोई एससी चेहरा नहीं उतारा।
  • इस लिस्ट में सबसे ज्यादा 4 जाट चेहरे हैं। जाटों के दबदबे वाली 4 सीटों उचाना कलां, तोशाम, टोहाना और महम में जाट बिरादरी के ही उम्मीदवार उतारे गए हैं।
  • गुरुग्राम में पंजाबी और ब्राह्मण बिरादरी के वोट सबसे ज्यादा हैं। चूंकि भाजपा गुरुग्राम में ब्राह्मण बिरादरी से आने वाले मुकेश शर्मा को टिकट दे चुकी थी इसलिए कांग्रेस ने यहां पंजाबी कम्युनिटी का कैंडिडेट उतारा है।
  • पंजाबी वोटरों के दबदबे वाले थानेसर सीट पर पार्टी ने सियासत के पुराने खिलाड़ी अशोक अरोड़ा को फिर से मौका दिया है। अशोक अरोड़ा थानेसर सीट से 3 बार विधायक रह चुके हैं। वह 1996, 2000 और 2009 में इस सीट से विधायक चुने गए थे। इनमें से 1996 का चुनाव उन्होंने समता पार्टी के टिकट पर जीता। वहीं 2000 और 2009 में वह इनेलो के टिकट पर विधायक बने। 2019 के चुनाव से पहले अशोक अरोड़ा इनेलो को छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि वे पिछला चुनाव हार गए थे।
  • भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा गन्नौर सीट पर अपने पुराने साथी और पार्टी के दिग्गज नेता रहे स्व. पंडित चिरंजीलाल शर्मा के बेटे कुलदीप शर्मा को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। कुलदीप शर्मा की बेटी एश्वर्या की शादी पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के छोटे बेटे और राज्यसभा सांसद कार्तिकेय शर्मा के साथ हुई है। एश्वर्या और कार्तिकेय का रिश्ता 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्‌डा ने ही करवाया था। उस समय विनोद शर्मा भी कांग्रेस पार्टी में ही थे। कुलदीप शर्मा के पिता पंडित चिरंजीलाल शर्मा करनाल लोकसभा सीट से लगातार 4 बार कांग्रेस के सांसद चुने गए थे।
  • अगर ओबीसी बिरादरी वाली सीटों की बात करें तो बादशाहपुर सीट पर अहीर वोटरों का दबदबा है जो ओबीसी में ही आते हैं। इसी वजह से कांग्रेस ने यहां अपने युवा चेहरे वर्धन यादव पर दांव खेला है। भाजपा पहले ही यहां अहीर कार्ड खेलते हुए राव नरबीर सिंह को टिकट दे चुकी है। बादशाहपुर मतदाताओं के लिहाज से प्रदेश की सबसे बड़ी सीट है।
  • इसी तरह राजस्थान से सटी नांगल चौधरी सीट पर भी अहीर और गुर्जर वोट सबसे ज्यादा हैं। BJP यहां अहीर बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले अभय सिंह यादव को टिकट दे चुकी है इसलिए कांग्रेस ने गुर्जर वोटबैंक को साधने के लिए मंजू चौधरी को मैदान में उतारा है। मंजू चौधरी का परिवार बरसों से राजनीति से जुड़ा हुआ है। उनके पति मूलाराम नारनौल से विधायक रह चुके हैं। 2019 में मूलाराम ने जननायक जनता पार्टी के टिकट पर नांगल चौधरी से चुनाव लड़ा था और दूसरे नंबर पर रहे थे। मंजू चौधरी के ससुर और मूलाराम के पिता फूसाराम भी नारनौल से MLA रह चुके हैं। खुद मंजू चौधरी ने 2014 में नांगल चौधरी सीट से इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के टिकट पर चुनाव लड़ा और दूसरे नंबर पर रही थीं। बाद में वह अपने पति मूलाराम के साथ कांग्रेस में शामिल हो गईं। हरियाणा मांगे हिसाब यात्रा के दौरान दीपेंद्र हुड्डा खुद मंजू चौधरी के घर पहुंचे थे।

क्षेत्रीय समीकरण: बागड़-अहीरवाल बेल्ट पर हाईकमान का ज्यादा मंथन

  • कांग्रेस ने दूसरी लिस्ट में सोनीपत की गन्नौर और कुरूक्षेत्र की थानेसर सीट पर उम्मीदवार की घोषणा की है। यह हिस्सा जीटी रोड बेल्ट में आता है। इस बेल्ट में आती 23 में से 12 सीटें कांग्रेस ने होल्ड कर रखी हैं। राजनीतिक तौर पर इसे भाजपा का गढ़ माना जाता है।
  • सिरसा-फतेहाबाद वाली बागड़ बेल्ट में सबसे ज्यादा 21 में से 17 सीटें होल्ड की गई हैं। इसमें प्रमुख तौर पर सिरसा और फतेहाबाद एवं कुछ हिस्सा हिसार का भी आता है। यहां कांग्रेस में ज्यादा मंथन हो रहा है। कांग्रेस में यहां कुमारी सैलजा का होल्ड माना जाता है। वे सिरसा से सांसद भी हैं।
  • बांगर बेल्ट में कांग्रेस से 9 में से 6 सीटें होल्ड की हैं। इसमें प्रमुख तौर पर जींद और कैथल जिले आते हैं। जींद में कांग्रेस ने 2 सीटों पर घोषणा रोकी हुई है। कैथल की 4 में से अभी एक भी सीट पर उम्मीदवार की घोषणा नहीं की। यहां सांसद रणदीप सुरजेवाला का होल्ड माना जाता है। इसके अलावा गठबंधन हुआ तो यहां की कुछ सीटें AAP के खाते में जा सकती हैं।
  • जाटलैंड में कांग्रेस ज्यादा कॉन्फिडेंट नजर आ रही है। यहां कांग्रेस ने 14 में से 13 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। सिर्फ 1 सीट होल्ड की गई है।
  • साउथ हरियाणा-अहीरवाल बेल्ट पर भी कांग्रेस टेंशन में दिख रही है। यहां की 23 में से 13 सीटें होल्ड की गई हैं। इसकी बड़ी वजह कांग्रेस छोड़कर भाजपा में गए राव इंद्रजीत हैं। जो इस वक्त केंद्र सरकार में केंद्रीय राज्य मंत्री हैं। इस बेल्ट में उनका प्रभाव ज्यादा है। ऐसे में कांग्रेस यहां ज्यादातर सीटों पर भाजपा के उम्मीदवारों का इंतजार कर रही है।

2019 में जिन सीटों पर दूसरे नंबर पर रही कांग्रेस, वहां 26 सीटें रोकीं

कांग्रेस 2019 के विधानसभा चुनाव में कुल 30 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। 2024 के चुनाव के लिए पार्टी ने इन 30 सीटों में से सिर्फ 4 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है। इनमें थानेसर, गन्नौर, महम और होडल (SC) शामिल है। इन चार में से तीन सीटों पर पार्टी ने उन्हीं चेहरों को मौका दिया है जो 2019 का चुनाव लड़े थे। इनमें थानेसर से अशोक अरोड़ा, गन्नौर से कुलदीप शर्मा और होडल (SC) से चौधरी उदयभान शामिल है। महम सीट पर पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे आनंद सिंह दांगी की जगह पार्टी ने इस बार उनके बेटे बलराम दांगी को उम्मीदवार बनाया है।

कांग्रेस की दूसरी लिस्ट से जुड़े सवाल-जवाब

1. दूसरी लिस्ट में सिर्फ 9 ही उम्मीदवार क्यों? कांग्रेस हरियाणा में BJP जैसी गलती नहीं करना चाहती। इसीलिए कम सीटों की घोषणा की। इनमें वैसे तो कहीं बगावत की गुंजाइश नहीं है। अगर कहीं ऐसी स्थिति हुई थी तो कम सीटों की वजह से दिग्गज नेताओं को वहां जाकर बागियों को संभालना आसान हो जाएगा।

2. कांग्रेस कितनी लिस्टें जारी करेगी कांग्रेस के पहली लिस्ट में 32 और दूसरी में 9 उम्मीदवार देखकर ऐसा लगता है कि अभी 2 और लिस्टें आ सकती हैं। तीसरी लिस्ट आज या कल में आ सकती है। चौथी लिस्ट सबसे विवादों वाली होगी, जिसे नामांकन के अंतिम दिन 12 सितंबर से एक दिन पहले जारी किया जा सकता है ताकि बागियों को दूसरी पार्टी में जाने या निर्दलीय लड़ने का मौका न मिल सके।

3. कांग्रेस-AAP से गठबंधन का क्या होगा? गठबंधन को लेकर वैसे तो आज ही ऐलान हो सकता है। मगर, दोनों लिस्टों में कांग्रेस ने उन सीटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किया, जिन्हें AAP को देने की प्लानिंग हैं। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस AAP को 5 सीटें दे सकती है। जिनमें जींद, कलायत, पानीपत ग्रामीण, पिहोवा और ओल्ड फरीदाबाद की सीट हो सकती है। ऐसे में अभी गठबंधन की उम्मीद बरकरार है।

4. तोशाम से बंसीलाल के पोते को टिकट क्यों? बंसीलाल प्रदेश के पूर्व सीएम रह चुके हैं। आज भी उनके नाम का वोट बैंक है। उनकी राजनीतिक विरासत संभाल रही बहू किरण चौधरी कुछ महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चली गई। भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेज दिया। वहीं किरण की बेटी श्रुति चौधरी को तोशाम से विधानसभा टिकट दे दी। ऐसे में यह वोट बैंक भाजपा में शिफ्ट न हो जाए, इसलिए कांग्रेस ने बंसीलाल के पोते अनिरुद्ध चौधरी को टिकट देकर श्रुति के मुकाबले खड़ा कर दिया।

5. कांग्रेस के टिकट बंटवारे में किसकी चली अभी तक के लिहाज से पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्‌डा की। 41 सीटों में सबसे ज्यादा 35 टिकटें हुड्‌डा खेमे को ही मिली हैं। कांग्रेस में उनके विरोधियों की बात करें तो विधानसभा चुनाव लड़ने के इच्छुक नेताओं सांसद कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला पर कोई फैसला नहीं हुआ। सुरजेवाला कैथल सीट से अपने या बेटे आदित्य सुरजेवाला के लिए दावेदारी जता रहे हैं लेकिन कांग्रेस ने वहां टिकट की ही घोषणा नहीं की है।

राहुल गांधी की मुंहबोली बहन के ससुर को टिकट नहीं कांग्रेस उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट में बादशाहपुर सीट से वर्धन यादव का नाम चौंकाने वाला रहा। यहां से राव कमलबीर सिंह कांग्रेस टिकट के दावेदार थे। राव कमलबीर सिंह जनता दल (यूनाइटेड) के अध्यक्ष रहे स्व. शरद यादव की बेटी सुभाषिनी यादव के ससुर हैं।

सुभाषिनी की शादी राव कमलबीर सिंह के बेटे राजकमल राव से हुई है। राव कमलबीर सिंह किसी समय हरियाणा में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष थे। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए। राहुल गांधी सुभाषिनी यादव को मुंहबोली बहन मानते हैं। सुभाषिनी यादव भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में राहुल गांधी के साथ नजर आई थीं। वह प्रियंका गांधी के भी करीब है।

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